उत्तराखण्ड

त्रिवेंद्र सरकार का बड़ा एक्‍शन, एनएच 74 मामले में दो आइएएस अफसर निलंबित

देहरादून: प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार ने जीरो टॉलरेंस को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखते हुए भ्रष्टाचार के आरोप में दो आइएएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। सरकार के निर्देश पर शासन ने हरिद्वार-ऊधमसिंह नगर-बरेली (एनएच-74) चौड़ीकरण मुआवजा मामले में आइएएस अधिकारी व प्रभारी सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय और अपर सचिव चंद्रेश यादव को निलंबित कर दिया है।

राज्यपाल की संस्तुति के बाद दोनों अधिकारियों पर नियम विरुद्ध मुआवजा निर्धारण कर करोड़ों का प्रतिकर भुगतान करने के आदेश जारी कर वित्तीय अनियमितता के आरोपों को प्रथम दृष्ट्या सही पाते हुए शासन ने निलंबन और अनुशासनात्मक कार्यवाही के आदेश जारी किए। शासन ने इसकी सूचना केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय (डीओपीटी) को भी भेज दी है। निलंबन अवधि में दोनों अधिकारियों को अपर मुख्य सचिव, कार्मिक राधा रतूड़ी के साथ संबद्ध किया गया है।

प्रभारी सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय और अपर सचिव चंद्रेश कुमार यादव पर जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर के पद पर रहते हुए आर्बिट्रेटर की भूमिका निभाने के दौरान नियम विरुद्ध मुआवजा वितरित करने का आरोप है। दरअसल, राष्ट्रीय राजमार्ग 74 के चौड़ीकरण के लिए सरकार ने रुद्रपुर में सड़क के दोनों ओर की भूमि का अधिग्रहण किया था। इसके लिए भूस्वामियों को मुआवजा दिया गया। इस दौरान कई तरह की अनियमितताएं सामने आई थीं। इसमें कृषि भूमि को अकृषि दिखाकर अधिक मुआवजा बांटने व नियम विरुद्ध मुआवजा निर्धारण करना आदि शामिल थे। सरकार ने शुरुआती जांच के बाद बीते वर्ष मार्च में सात एसडीएम (एक सेवानिवृत्त) निलंबित कर दिए थे। मामले की विस्तृत जांच के लिए एसआइटी का गठन किया गया।

कुछ समय पूर्व एसआइटी ने अपनी रिपोर्ट में आइएएस अधिकारी डॉ. पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश यादव के आर्बिट्रेटर के रूप में लिए गए फैसलों पर सवाल उठाए थे। इस पर शासन ने दोनों अधिकारियों से इस मामले में स्पष्टीकरण तलब किया। दोनों अधिकारियों के अनुरोध पर दो बार जवाब लेने का समय बढ़ाया गया। इनके जवाब का परीक्षण करने के बाद शासन ने दोनों को निलंबित कर दिया है। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की ओर से जारी आदेशों में साफ किया गया है कि एसआइटी की विवेचनात्मक जांच आख्या के आधार पर दोनों अधिकारियों को निलंबित किया गया है। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि दोनों अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही के लिए आरोप पत्र जारी करने और जांच अधिकारी की नियुक्ति के लिए अलग से आदेश जारी किए जाएंगे।

मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि शासन की मंशा स्पष्ट है। इन अधिकारियों के खिलाफ जांच में सामने आए तथ्यों पर स्पष्टीकरण लिया गया था। विचार विमर्श के बाद दोनों को निलंबित करने का निर्णय लिया गया है।

आगे क्या होगी कार्रवाई

अब शासन इन दोनों अधिकारियों को अलग से आरोप पत्र जारी करेगा। इसमें उनसे एसआइटी की रिपोर्ट पर उठाए गए सवालों के जवाब लिए जाएंगे। इसके साथ ही एक जांच अधिकारी की भी नियुक्ति की जाएगी। यह जांच अधिकारी वरिष्ठ आइएएस अधिकारी होगा। अधिकारियों का जवाब मिलने के बाद जांच अधिकारी इसकी जांच करेंगे। आरोप पुष्ट होने पर कार्रवाई के लिए डीओपीटी और संघ लोक सेवा आयोग को पत्र भेजा जाएगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर सरकार कायम है। भ्रष्टाचार के मामलों में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। सरकार सबके खिलाफ समान रूप से कार्रवाई करेगी। इन दोनों अधिकारियों को भी प्रथम दृष्ट्या आरोप पुष्ट होने पर निलंबित किया गया है।

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