उत्तराखण्ड

राजधानी में चिह्नित 3800 अतिक्रमण पर शासन ने साधी चुप्पी

देहरादून। हाईकोर्ट के आदेश पर राजधानी में अतिक्रमण के खिलाफ शुरू हुई कार्रवाई पिछले तीन माह से ठप पड़ी है। खासकर नए अतिक्रमण चिह्नीकरण तो दूर चिह्नित 38 सौ अतिक्रमण पर सरकारी मशीनरी हरकत में नहीं दिख रही है। यही कारण है कि जहां से अतिक्रमण हटाए गए थे, वहां अब फिर से अतिक्रमण हो गया है। अतिक्रमणों पर कब कार्रवाई होगी यह अभी साफ नहीं है। जिम्मेदारों का कहना है कि जल्द रणनीति बनाकर अभियान चलाया जाएगा।

हाईकोर्ट ने 18 जून को देहरादून की सड़कों, फुटपाथ, नालियों और सरकारी जमीनों पर हुए अतिक्रमण हटाने के के निर्देश दिए थे। इस आदेश की प्रति मिलते ही संबंधित विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मच गया। आदेश में अधिकारियों को कार्रवाई की जिम्मेदारी देते हुए अपडेट रिपोर्ट मांगी थी।

आदेश पर मंथन करने के बाद अधिकारियों ने 27 जून से अभियान की शुरुआत की। इसके लिए चार जोन बनाते हुए मजिस्ट्रेटों के साथ अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई। शुरुआत में प्रशासन ने एक के बाद एक बड़े अतिक्रमण ध्वस्त किए। खासकर प्रेमनगर में 14 सितंबर को बड़ी कार्रवाई करते हुए एक साथ 155 छोटे-बड़े भवन ध्वस्त कर बाजार को मैदान में तब्दील कर दिया गया था।

मगर, इसके बाद 18 सितंबर से विधानसभा सत्र, अत्याधिक बारिश, इन्वेस्टर समिट, त्योहारी सीजन और इसके बाद निकाय चुनाव की आचार संहिता ने अभियान पर ब्रेक लगा दिया। तीन माह बाद आचार संहिता खत्म हुई तो लोगों को फिर से अतिक्रमण हटाने की उम्मीदें जगी।

खासकर पूर्व में 77 दिनों तक चली कार्रवाई के दौरान 8825 अतिक्रमण चिह्नित किए गए। इनमें से 5021 ध्वस्त किए गए। जबकि 3804 शेष रहे गए। इसके अलावा शहर के कई हिस्से में अभी अतिक्रमण चिह्नीकरण होना शेष हैं। लंबे ब्रेक के बाद अब सरकारी मशीनरी अतिक्रमण हटाने को लेकर हरकत में आती नजर नहीं आ रही है।

ऐसे में अतिक्रमणकारियों के हौसले फिर बुलंद होने लगे हैं। यही कारण है कि प्रेमनगर बाजार हो या फिर कांवली रोड, चकराता रोड, हरिद्वार रोड आदि में दोबारा अतिक्रमण सड़क तक होने लगा है। इससे अभियान की शुरुआत से लेकर अंजाम तक पहुंचने से पहले ही सवाल उठने लगे हैं।

यहां नहीं जुटा पाए हिम्मत 

शहर के राजपुर रोड में सबसे ज्यादा अतिक्रमण हैं। यहां सिंचाई विभाग और लोक निर्माण विभाग की सड़क पर पांच सौ से ज्यादा अतिक्रमण चिह्नित हैं। कई अलावा बड़े होटल, दुकानें और भवन इसकी जद में हैं। लेकिन प्रशासन यहां चिह्नीकरण की कार्रवाई नहीं जुटा पा रहा है।

इसी तरह पलटन बाजार के अतिक्रमण पर भी लाल निशान लगाने के बाद प्रशासन यहां पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। जिससे यहां भी सड़क तक दुकानें बदस्तूर सजी हुई हैं।

आधा हटाया और आधा छोड़ दिया

अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान लोगों भी खुद अतिक्रमण हटने लगे थे, लेकिन जब से अभियान बंद हुआ है उसके बाद से लोगों ने भी स्वयं अतिक्रमण हटाने से हाथ पीछे खींच लिए हैं। उन्हें लगता है अब अभियान दम तोड़ चुका है इसलिए क्यों अतिक्रमण हटाया जाए। ईसी रोड पर कुछ स्कूलों ने अपनी आधी चहारदीवारी तोड़ दी थी।

अभियान थमते ही आगे की कार्रवाई रोक दी। यहां एक स्कूल जिला जज के आवास से लगा हुआ है। जज के आवास की चहारदीवारी को अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान तोड़कर पीछे कर दिया। अब स्कूल की चहारदीवारी जस की तस है। इसके अलावा कई आवासीय फ्लैट, घर और दुकानों के अतिक्रमण पर लाल निशान लगे हैं लेकिन इसके बाद भी इन अतिक्रमणों को नहीं हटाया गया।

चुनाव के चलते प्रभावित हुआ अभियान 

अपर मुख्य सचिव एवं नोडल अधिकारी अतिक्रमण ओम प्रकाश के अनुसार निकाय चुनाव की व्यस्तता के चलते अभियान प्रभावित हुआ था। अब नए सिरे से रणनीति बनाकर अभियान शुरू किया जाएगा। इसके लिए जल्द बैठक बुलाई जाएगी। अभियान कहां से और कैसे शुरू होगा, इस पर जल्द स्थिति साफ हो जाएगी।

बैठक में होगा फैसला 

जिलाधिकारी देहरादून एसए मुरूगेशन के अनुसार अतिक्रमण अभियान से जुड़े अधिकारियों की बैठक प्रस्तावित है। बैठक में जो फैसला लिया जाएगा, उसके अनुरूप कार्रवाई होगी। अतिक्रमण करने वालों को कतई नहीं बख्शा जाएगा।

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