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राजस्थान हाईकोर्ट ने कोविड व्यवस्थाओं को लेकर केंद्र व राज्य सरकार से मांगे जवाब

जोधपुर। कोरोना संक्रमितों के इलाज को लेकर बरती जा रही कोताही और केन्द्र सरकार की ओर से पर्याप्त मात्रा में राजस्थान को ऑक्सीजन व रेमडेसिवीर इंजेक्शन नहीं देने को लेकर दायर जनहित याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने कड़ा रवैया अपनाया है। कोर्ट ने इस बारे में केन्द्र व राज्य सरकार को जवाब तलब करते हुए उपलब्धता सुनिश्चित करने को रोडमैप पेश करने को कहा है।

समाजसेवी सुरेन्द्र जैन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांती व न्यायाधीश विनीत माथुर की खंडपीठ ने कई आदेश जारी कर रिपोर्ट मांगी है। मामले की अगली सुनवाई छह मई को होगी।

जनहित याचिका में कई मसले उठाए गए है। केन्द्र सरकार को कहा गया है कि मरीजों की संख्या आधार पर अन्य राज्यों के समान राजस्थान को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन व रेमडेसिवीर इंजेक्शन की आपूर्ति किस तरह से सुनिश्चित की जा सकती है। इसे लेकर पूरा प्लान पेश किया जाए। हाईकोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरकार से पर्याप्त ऑक्सीजन व दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक्शन प्लान मांगा जाए।

राज्य सरकार से कहा जाए कि ना केवल सरकारी बल्कि प्राइवेट अस्पतालों में भी उनकी तरफ से बताई गई आवश्यकताओं व मरीजों की स्थिति के अनुसार ऑक्सीजन व रेमडेसिवीर इंजेक्शन उपलब्ध करवाए जाए। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नवम्बर 2020 में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का आदेश दिया गया था, लेकिन ये अभी तक शुरू नहीं हो पाए है। इन्हें समयबद्ध तरीके से शीघ्र पूरा किया जाए।

प्रदेश के सभी प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए ली जाने वाली राशि प्रदर्शित की जानी चाहिए। साथ ही समाचार पत्रों में भी इन दरों को प्रकाशित कराया जाना चाहिए। ताकि किसी से अधिक राशि वसूली नहीं जा सके। राज्य सरकार से कहा गया है कि प्रत्येक जिला कलेक्टर व सीएमएचओ सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों के अधीक्षकों के साथ बैठक कर रोजाना जिले में उपलब्ध बेड, वेंटिलेटर व आईसीयू बेड की समीक्षा की जाए।उसी के अनुसार आगे की तैयारी में आसानी रहेगी।

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में नवनिर्मित आउटडोर बिल्डिंग को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए काम में लेने को कहा है। उद्घाटन के अभाव में इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसी तरह की प्रदेश में निर्मित अन्य बिल्डिंगों का उपयोग भी कोरोना मरीजों के इलाज में काम लेने को कहा गया है। यह सुनिश्चित किया जाए कि प्राइवेट अस्पताल मरीज को भर्ती करने से पहले भारी भरकम राशि जमा कराने का परिजनों पर दबाव न डाले।

हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार अपने किसी पोर्टल पर सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध बेड, आईसीयू की उपलब्धता को रियल टाइम के आधार पर प्रदर्शित करे। सीएमएचओ पर इस पर पूरी नजर रखे। ताकि मरीजों की संख्या बढऩे पर समय रहते अतिरिक्त व्यवस्थाएं की जा सके। राज्य सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि प्रत्येक प्राइवेट अस्पताल में रेमडेसिवीर इंजेक्शन की जैनरिक व ब्रांडेड कंपनी की रेट प्रदर्शित करना अनिवार्य किया जाए।

किसी मरीज के लिए डॉक्टर की ओर से लिखी गई दवा एक घंटे के भीतर उपलब्ध हो जाए, ताकि लोगों को परेशान नहीं होना पड़े। राज्य सरकार पंद्रह दिन के भीतर चिकित्सा विभाग में स्वीकृत पदों के खिलाफ काम करने वालों की सटीक संख्या के बारे में जानकारी दे। सभी रिक्त पदों पर अस्थाई तरीके से तत्काल नियुक्ति प्रक्रिया सीधे इंटरव्यू लेकर शुरू की जाए। वहीं आवश्यकता पडऩे पर गत तीन वर्ष में सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों की सेवा ली जाए।

राज्य सरकार को आदेश दिया गया है कि कोरोना मरीजों के इलाज को आवश्यकता पडऩे पर वह किसी भी भवन का अधिग्रहण कर वहां सुविधाएं विकसित कर सकती है। कोरोना संक्रमितों के सैंपल जांच रिपोर्ट 36 घंटों के भीतर हर हालत में मिल जानी चाहिये। वर्तमान में इस प्रक्रिया में तीन से पांच दिन लग रहे है। इस कारण भी कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है।

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