उत्तर प्रदेश की जनता ने भाजपा पर फिर विश्वास जताया, मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ पहली पसंद बने
लखनऊ, उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम दलों में अपनी दौड़ को गति प्रदान पर दी है। बहुजन समाज पार्टी के साथ ही समाजवादी पार्टी व कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए कमर कस ली है। इसी बीच उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी भी तैयारी में लगी है। 2022 के चुनाव में नतीजे जो भी हों, लेकिन फिलहाल भाजपा के लिए सत्ता में वापसी उतनी चुनौतीपूर्ण नहीं नजर आ रही। उत्तर प्रदेश में कराए गए सर्वे में जनता ने भाजपा पर फिर विश्वास जताया है, जबकि मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ पहली पसंद बने हुए हैं। इस दौरान योगी आदित्यनाथ सरकार के कोविड प्रबंधन पर 45 फीसद लोगों ने संतुष्टि की मुहर लगाई है।
विधानसभा चुनाव की सरगॢमयों के बीच उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में 12 से 22 जुलाई के बीच कुल 37,500 लोगों के बीच कराए सर्वे में कोरोना की दूसरी लहर के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार की स्थिति का आकलन किया गया। इस सर्वे के अनुसार, अधिकांश ने योगी आदित्यनाथ सरकार में विश्वास व्यक्त करते हुए संदेश दिया कि अगर तुरंत विधानसभा चुनाव हो जाएं तो भाजपा एक बार फिर सरकार बनाने में सफल होगी। 2022 में विधानसभा चुनाव में मतदान का आधार के बारे में सबसे ज्यादा 22 फीसद लोगों ने कहा कि मुख्यमंत्री उम्मीदवार, दूसरे नंबर पर 12 फीसद जनता ने कहा कि सरकार के कामकाज के आधार पर वोट करेंगे, जबकि 10 फीसद लोग पार्टी के आधार पर वोट करेंगे। कामकाज के आधार पर सीएम योगी आदित्यनाथ 46 फीसद मत के साथ सबसे ऊपर रहे, जबकि 28 फीसद ने मायावती को और 22 फीसद ने अखिलेश यादव को बेहतर मुख्यमंत्री बताया।
64 फीसद ब्राह्मण भाजपा के साथ
ब्राह्मण वोटरों को लेकर राजनीतिक दलों की सक्रियता को भी शामिल किया। परिणाम आया है कि अभी भी 64 फीसद ब्राह्मण भाजपा के साथ हैं। ब्राह्मणों की दूसरी पसंदीदा पार्टी बसपा, फिर कांग्रेस है, जबकि इस दौड़ में सपा सबसे पीछे है। दलित वोटरों के बीच बसपा 45 फीसद समर्थन के साथ सबसे आगे है, दूसरे नंबर पर 43 फीसद दलित वोटर भाजपा के साथ है। इसमें कहा गया है कि कोरोना के दौरान मई, 2021 में अगर विधानसभा चुनाव होते तो भाजपा को 178 से 182 सीटें ही मिलतीं, जबकि वोट मात्र 32 फीसद। सीएम योगी आदित्यनाथ के खुद ग्राउंड पर उतरने के बाद स्थितियां तेजी से बदलीं। अगर जुलाई के पहले हफ्ते में चुनाव होते तो भाजपा को 278 से 288 सीटें और 43 फीसद वोट मिलता, जो बहुमत है। इसी तरह महिला सुरक्षा ने भी योगी आदित्यनाथ सरकार की साख बढ़ाई है। इस मुद्दे पर 52 फीसद लोगों ने सीएम योगी आदित्यनाथ पर भरोसा जताया। 34 फीसद मायावती पर भरोसा करते हैं, जबकि अखिलेश को 12 फीसद ही वोट मिला।