Uncategorized

स्यांसू नदी पर पुल बनने का इंतजार करते बीते पांच साल, इंतज़ार में बैठे ग्रामीण

देहरादून। टिहरी जिले के थौलधार प्रखंड के स्यांसू नदी पर पुल का इंतजार करते पांच साल बीत गए, लेकिन अभी तक ग्रामीणों का पुल का सपना साकार नहीं हो पाया। पुल नहीं बनने से ग्रामीणों को आवागमन में मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। रत्वाड़ी- स्यांसू, नकोटखोली मोटरमार्ग कटिंग के पांच वर्षों बाद भी स्यांसू नदी में अभी तक पुल नहीं बनने के कारण मार्ग पर आवाजाही प्रारंभ नहीं हो पाई है। इस मार्ग से आवागमन शुरू हो तो थौलधार विकास खंड मुख्यालय से नई टिहरी, कोटी कॉलोनी, भागीरथीपुरम, डोबरा, उप्पू आदि के लिए दस से पच्चीस किमी तक की दूरी कम हो जाएगी।

टिहरी बांध झील भराव के बाद थौलधार विकास खंड के बदले भूगोल से विकास खण्ड मुख्यालय एवं नगुण पट्टी व गुसांई पट्टी से विकासखंड की जुआ पट्टी के उप्पू, डोबरा, प्लास, सिराईं, तिवाड़ गांव, बेरगणी सहित कोटी, भागीरथी पुरम, नई टिहरी लिए दूरी बहुत बढ़ गई है। इसके साथ ही जुआ पट्टी के लोगों को विकास खंड मुख्यालय तक आने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। क्षेत्र की जनता की मांग पर मठियाली, रत्वाड़ी- स्यांसू, नकोटखोली मोटर मार्ग की मांग की गई। मार्ग की उपयोगिता देखते हुए स्वीकृति भी मिल गई।

लोनिवि द्वारा गलत समरेखण कर इस मार्ग की पहले ही अनावश्यक लंबाई बढ़ा दी गई है। लेकिन चार वर्षो से स्यांसू नदी में एक मात्र पुल का निर्माण पूरा नहीं किया गया है, जिससे इस पर आवागमन नहीं हो पा रहा है। चार वर्ष पूर्व पुल का निर्माण कार्य शुरू करवाया गया था। पुल के पोल भरने का काम शुरू करने के साथ ही बंद हो गया था। पोल के सरिया चार वर्षों से जंग खा रही हैं। लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं। मार्ग की कटिंग पूर्ण होने के बावजूद भी लोगों को आवागमन की सुविधा नहीं मिल पा रही है। लंबी दूरी तय कर बाया कमान्द एवं बाया चम्बा यात्रा करने को राहगीर मजबूर हैं।

इस मार्ग  से यदि यातायात प्रारंभ हो जाता है तो लंबगांव, डोबरा, कोटी कॉलोनी, भागीरथी पुरम, नई टिहरी सहित विकास खण्ड की जुवा पट्टी के निचले क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों की दूरी 10 से 25 किलोमीटर कम हो जाएगी, साथ ही यदि यह मार्ग और पुल यातायात योग्य तैयार हो गया होता तो ऑल वेदर रोड की चंबा से नौली तक कटिंग के समय यातायात रूट डायवर्जन करने के लिए यह मार्ग उपयोगी साबित होता। लोगों को जहां सुगम मार्ग उपलब्ध होता। वहीं आलवेदर रोड निर्माण कंपनियों को भी काम करने में बाधा नहीं पहुंचती।

लोनिवि के सहायक अभियंता किशोर कुमार ने बताया कि पूर्व में काम कर रहे ठेकेदार का अनुबंध समाप्त कर दिया गया था। नया टेंडर निकालने के बाद ठेकेदार द्वारा कार्य आरंभ कर दिया गया है।

केदारनाथ आपदा के पांच वर्ष बाद भी पुल का इंतजार

केदारघाटी के ग्रामीणों का सब्र जवाब देने लगा है। आपदा के पांच वर्ष से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन आज भी त्रासदी के जख्म पूरी तरह भरे नहीं हैं। आपदा में केदारघाटी के रेल गांव समेत पांच गांवों को जोडऩे वाला पुल का निर्माण नहीं हो पाया है। ग्रामीण ट्रॉली से जानजोखिम में डालकर ही आवाजाही कर रहे हैं। गत वर्ष ट्रॉली में जाते समय एक छात्रा मंदाकिनी नदी में बह गई थी।

इसके अलावा अभी तक तीन दर्जन से अधिक लोग जख्मी भी हो चुके हैं। इसके बाद भी आज तक तंत्र की नींद नहीं खुल पाई है। ग्रामीणों ने लकड़ी का अस्थाई पुल भी बनाया है, जिससे आवाजाही करते हैं, लेकिन यह बरसात होने पर बह जाता है। यह लोक सभा चुनाव में आपदा पीड़ितों के दर्द का मुद्दा भी प्रत्याशियों के सम्मुख रहेगा। जनता भी सरकार से जानना चाहती है कि आखिर मूलभूत सुविधाओं के लिए इंतजार कब तक उन्हें करना होगा।

16 जून वर्ष 2013 को केदारनाथ त्रासदी को बीते भले ही छह वर्ष पूरे होने वाले हैं, लेकिन त्रासदी के जख्म भर नहीं पाए हैं।

केदारघाटी के लोगों के दिलो दिमाग में जख्म आज भी हरे हैं। रुद्रप्रयाग से 60 किमी दूर गौरीकुंड हाईवे पर फाटा से लगभग तीन किमी की दूरी तय कर रेल गांव पहुंचा जाता है। आपदा से पहले यहां पर एक झूला हुआ करता था, मंदाकिनी नदी पर बने इस पुल से रेल गांव समेत चार गांवों के ग्रामीण आवाजाही करते थे। लेकिन पुल केदारनाथ आपदा में बह गया। जिससे रेल गांव के पन्द्रह परिवार समेत केदारघाटी से जाल तल्ला, जाल मल्ला, चोमासी के पांच सौ से अधिक परिवार अलग थलग पड़ गए।

सरकार ने ट्रॉली बनाई तथा आपदा के एक वर्ष बाद वर्ष 2014 में पुल निर्माण की स्वीकृति दी। लेकिन पुल का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है। हालांकि अब निर्माण अंतिम चरण में है। उम्मीद की जा रही है कि बरसात से पूर्व निर्माण पूरा हो जाएगा।

पुल न बनने के कारण यहां के ग्रामीण ट्रॉली व लकड़ी के अस्थाई पुल के सहारे ही आवाजाही कर रहे हैं। ट्रॉली का सफर काफी खतरनाक है। गत वर्ष रेल गांव की एक छात्रा स्कूल से घर जाते समय ट्रॉली से नीचे नदी में जा गिरी, जिससे उसकी मौत हो गई। जबकि ट्रॉली से हाथ कटने व नीचे गिरने की तीन दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं।

अब लोक सभा चुनाव में पीड़ित लोगों का मुद्दा अहम होगा 

रेल गांव की ग्राम सभा रवि ग्राम के प्रधान रामेश्वर प्रसाद कहते हैं कि उन्हें मात्र आश्वासन मिलता है, पर आज तक पुल का निर्माण नहीं हो पाया है। कई बार आंदोलन करने के बाद भी आज तक सुस्त गति से चल रहा है। जबकि इसकी स्वीकृति 2014 में मिल गई। लोक सभा चुनाव में इस बार पुल का मुद्दा प्रत्याशियों के सम्मुख रखेंगे। रेल गांव के ही सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हुए शिव सिंह कहते हैं कि पांच वर्ष बाद भी पुल का निर्माण नहीं हुआ, ग्रामीण जान जोखिम में डालकर अवाजाही कर रहे हैं, जबकि एक कच्चा लकड़ी का पुल भी ग्रामीणों ने बनाया है, जिससे भी आवाजाही करते हैं, जो बरसात होने पर बह जाता है।

लोकसभा चुनाव में मुद्दा बनेगा मारवाड़ी बाईपास

ऑलवेदर रोड मारवाड़ी बाईपास आगामी लोकसभा चुनाव में चमोली जिले के जोशीमठ शहर का सबसे बड़ा मुद्दा है। मारवाड़ी बाईपास को लेकर जोशीमठ विकासखंड के लोगों में भारी रोष है। यह केंद्र का मामला होने के चलते लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बन गया है। मामले को लेकर जगतगुरु शंकराचार्य भी ऑल वेदर रोड को मारवाड़ी बाईपास ले जाने का विरोध कर चुके हैं।

जोशीमठ धार्मिक, पौराणिक ऐतिहासिक महत्व का शहर है। इस शहर की धार्मिक और पौराणिक जड़े बहुत मजबूत हैं। यहीं पर आकर आदिगुरु शंकराचार्य ने अमरकल्प वृक्ष के नीचे तपस्या कर अमर ज्ञान ज्योति को प्राप्त किया था। यहां पर 2500 साल पुराना अमर कल्प वृक्ष के साथ ज्योतेश्वर महादेव का मंदिर है। यहीं पर आदिगुरु शंकराचार्य ने शंकर भाष्य सहित कई धार्मिक ग्रंथों की रचना की थी।

इसे कार्तिकेय नगरी के रूप में भी जाना जाता है। जोशीमठ से आदिगुरु शंकराचार्य ने बदरीनाथ में नारद कुंड से भगवान बदरीनाथ की मूर्ति निकालकर पुन: स्थापित किया था और भारत के चार कोनों में चार पीठो की स्थापना की थी। जोशीमठ विकासखंड के लोगों को केंद्र सरकार की चारधाम परियोजना के मारवाड़ी बाईपास जाने से जोशीमठ शहर का अस्तित्व खत्म होने का भय सता रहा है। स्थानीय लोग केंद्र सरकार की इस परियोजना से जोशीमठ को अलग-थलग करने की साजिश बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि यदि स्थानीय जनता की इस समस्या का समाधान नहीं किया जाता है तो आगामी लोकसभा चुनावों में मतदान पर इसका असर पड़ सकता है। जोशीमठ से ऑल वेदर रोड ले जाने को लेकर स्थानीय लोग दो विकल्प भी दे चुके हैं। पैनखंडा विकास संघर्ष समिति के अध्यक्ष रमेश चंद्र सती का कहना है कि सरकार मारवाड़ी बाइपास का कार्य शीघ्र बंद नहीं करती है तो लोकसभा चुनावों में इसका असर देखने को मिलेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button