उत्तराखण्ड

चार साल के इंतजार के बाद अब भी शुरू नहीं हुआ कैंसर का अस्पताल

देहरादून। दून में पहले राजकीय कैंसर चिकित्सालय का इंतजार लंबा खिंचता जा रहा है। हर्रावाला में अत्याधुनिक चिकित्सकीय सुविधाओं से लैस 300 बेड के अस्पताल का शिलान्यास चार साल पहले हुआ था, लेकिन अब तक अस्पताल शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में मरीजों को कैंसर का इलाज निजी अस्पताल में करवाना पड़ रहा है।

दरअसल, साल 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर अत्याधुनिक चिकित्सकीय सुविधाओं से लैस 300 बेड के कैंसर अस्पताल बनाने का निर्णय लिया गया था। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत यह अस्पताल पहले शहर में ही बनाया जाना था, लेकिन जमीन के अभाव में अस्पताल को हर्रावाला में बनाने का निर्णय लिया गया।

हर्रावाला में जीवन ज्योति कैंसर अस्पताल ट्रस्ट की ओर से अस्पताल बनाने के लिए उपहार स्वरूप जमीन भी मुहैया कराई गई। कैंसर अस्पताल के निर्माण का डीपीआर तैयार करने के साथ ही 106.84 करोड़ रुपये के बजट का प्रविधान किया गया, जिसमें से 97 करोड़ रुपये केंद्र सरकार और बाकी बजट राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जाना था।

निर्माण एजेंसी को मई 2022 तक अस्पताल का निर्माण पूरा करना था, पर निर्माण एजेंसी ने निर्माण कार्यों के लिए एक साल का समय और मांगा। डेडलाइन बढ़ती गई और स्थिति यह है कि अस्पताल का निर्माण चार साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है। यह अलग बात है कि पिछले कुछ वक्त से शासन स्तर पर कुछ तेजी दिखी है। मुख्य सचिव स्वयं इस विषय को लेकर गंभीर दिख रही हैं। दावा यह है कि अस्पताल का संचालन इसी साल शुरू कर दिया जाएगा।

पीपीपी मोड पर होगा संचालन, 25 प्रतिशत बेड आयुष्मान के तहत आरक्षित

कैंसर अस्पताल का संचालन पीपीपी मोड पर किया जाएगा। साथ ही इसमें 25 प्रतिशत बेड आयुष्मान योजना के लाभार्थियों के लिए आरक्षित किए जाएंगे। बीते सप्ताह मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में हुई व्यय वित्त समिति की बैठक में इसकी मंजूरी दी गई है। जल्द ही स्वास्थ्य विभाग टेंडर की प्रक्रिया शुरू करेगा। मुख्य सचिव ने कैंसर अस्पताल एक साल के भीतर शुरू करने के निर्देश भी दिए हैं।

दून अस्पताल में है कैंसर विभाग, लेकिन सुविधाएं नहीं

बता दें, जिले में सरकारी अस्पतालों में कैंसर के इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में मरीजों को निजी अस्पताल जाना पड़ता है। दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में कैंसर विभाग तो शुरू कर दिया गया है, लेकिन यहां पर रेडियोथेरेपी की सुविधा नहीं है। कारण यह कि रेडियोथेरेपी यूनिट शुरू करने के लिए अस्पताल में जगह ही नहीं है। अस्पताल प्रशासन पिछले काफी वक्त से जमीन की तलाश कर रहा है, पर यह तलाश अब तक पूरी नहीं हुई है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कैंसर के उपचार की यहां आधी-अधूरी व्यवस्था है।

अस्पताल का निर्माण 95 प्रतिशत पूरा कर लिया गया है। इसका संचालन पीपीपी मोड पर किया जाएगा। जिसके लिए जरूरी औपचारिकताएं की जा रही हैं। इसी साल अस्पताल का संचालन शुरू कर दिया जाएगा।

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