उत्तरप्रदेश

बिजली कर्मियों के बगवाती तेवर, माननीयों के लाखों के बकाया बिल पर उठाये सवाल

लखनऊ। जब अस्तित्व की बात होती है तो पलटवार कर एक कमजोर ताकतवर को पछाड़ देता है। ऐसा ही आजकल उत्तरप्रदेश में चरितार्थ हो रहा है। वित्तीय घाटे के नाम पर बिजली वितरण को निजी कम्पनियों को सौंपने की सरकार की तैयारियों पर ज़ोरदार प्रहार कर बिजली कर्मियों ने बड़े-बड़े औहदेदारों के लाखों रूपया बिजली बिल बकाया होने पर बिजली काटना शुरू कर दिया है।
उ0प्र0 के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना अधिकतम सहयोग देते हुए बिजली विभाग ने पूरी मुस्तैदी से शहरी, नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में शिद्दत से वितरण व्यवस्था को निभाया। परन्तु जैसा कि हर एक सरकार के दौर में दिखाई देता है कि सरकारी कार्यप्रणाली जनहित को भूल कर अमीरों को फायदा पहुंचाने की कोशिशों में जुट जाता है।
उ0प्र0 में भी ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा जनहित को अनदेखा कर आगरा की तर्ज पर पांच प्रमुख शहरों लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, मुरादाबाद, मेरठ के विद्युत वितरण के लिये निजी हाथों में सौंपना चाहते हैं। सरकार की मंशा के खिलाफ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ‘‘प्रदेश को बिजली दो-कर्मचारियों को न्याय दो’’ के नारे के साथ ज़ोरदार आन्दोलन छेड़ रखा है।
बिजली विभाग के आंकड़ों पर यदि गौर करें तो बिजली विभाग के घाटे की मुख्य वजह सरकारी विभागों पर भारी भरकम धनराशि का बकाया होना है। अनुमानित रूप से यह धनराशि ग्यारह हजार करोड़ रूपयों के करीब है। बिजली विभाग के गर्त में जाने की असली वजह यही सरकारी बकाया है जिसमं माननीयों ने भी अपना योगदान दे रखा है। लाखों के आंकड़ों में जिन पर बिजली बिल बकाया है उसमें पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, मायावती, मुलायम सिंह यादव से लेकर भारत सरकार के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के नाम शामिल हैं और तो और स्वयं ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा के नाम भी लाखों की धनराशि बकाया है।


संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे के अनुसार निजीकरण का फैसला बिना निदेशक मण्डल की अनुमति के किया गया है। विद्युत अभियन्ताओं ने करोड़ों के बकाये वाले सरकारी भवनों की बिजली काट दी जिनमें प्रमुख रूप से जवाहर भवन, इन्दिरा भवन व कई राज्य सम्पत्ति के अतिथि गृह शामिल हैं। ज्ञातव्य है कि योगी सरकार के कुछ इसी प्रकार के जनविरोधी फैसलों की वजह से भाजपा गोरखपुर व फूलपुर की प्रतिष्ठित सीटें हार गई है। यदि इसी प्रकार के तुगलकी व जनविरोधी फैसले लिये जाते रहे तो संभवतया 2019 में भाजपा आधा दर्जन सीटें भी जीतने में नाकामयाब रहेगी। बिजली कर्मियों के बगावती तेवरों से उ0प्र0 के सत्ता प्रतिष्ठानों में भारी हलचल मच गई है।

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