उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में चुनाव प्रचार के लिए 11 दिन और मतदान को 13 दिन बचे, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों ने अभी तक अपना घोषणा पत्र नहीं किया जारी

अब ऐसा लगने लगा है राष्ट्रीय हो या क्षेत्रीय दल किसी के पास उत्तराखंड के विकास का विजन या माडल नहीं रहा। पार्टियों के पास बस कोरे नारे, आरोप प्रत्यारोप, खोखले वादों के अलावा कुछ नहीं रह गया है। चुनाव प्रचार को 11 दिन शेष रह गए है आज तक किसी भी दल ने घोषणा पत्र जारी नहीं किया। इससे यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि पार्टियां प्रदेश की जनता के विकास के प्रति कितनी गंभीर है।

विधानसभा का चुनावी रण सज चुका है। सभी दलों के प्रत्याशी चुनाव मैदान में कूद पड़े है। मतदान को अब केवल 13 दिन बच गए हैं। चुनाव में खड़ी पार्टियों के प्रत्याशी केवल 11 दिनों तक ही प्रचार कर पाएंगे। जो पहाड़ की विषम भौगोलिक परिस्थितियों में किसी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन अभी तक किसी भी दल ने अपना घोषणा पत्र नहीं निकाला है। इन दलों के पास पहाड़ के विकास का माडल क्या है, जीतने के बाद पांच साल तक यह किस विजन डाक्यूमेंट पर काम करेंगे। इसका दूर-दूर तक पता नहीं है।

राष्ट्रीय दल केंद्रीय मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। भाजपा प्रधानमंत्री मोदी के गुणगान कर रही है तो। कांग्रेस डबल इंजन सरकार के नाकामियों को लेकर जनता के बीच जा रही है। इसके अलावा उनके पास वादों और नारों के अलावा कुछ नहीं है। पहाड़ की अवधारणा को लेकर अलग राज्य की मांग करने वाले क्षेत्रीय दल भी घोषणा पत्र निकालने में पीछे ही है। उनको भी नहीं पता की जनता के बीच कैसे जाएं। इसी कारण राज्य बनने के बाद हुए चार विधानसभा चुनावों में यह दल लगातार पिछड़ते चले गए। आज हालात यह है कि इन दलों काे चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी ही नहीं मिल रहे।

लोग कहने लगे नहीं है राज्य के विकास की सोच

चुनाव से पहले एक चीज सबसे ज्यादा खबरों में रहती है वह है चुनावी घोषणा पत्र। यह एक प्रकार का पार्टियों का विजन डाक्यूमेंट होता है कि वह पांच सालों में प्रदेश की जनता के लिए क्या करेंगे। किस तरह से काम करेंगे। जनता भी इसी घोषणा पत्र के आधार पर पार्टियों से सवाल भी पूछती है कि उन्होंने इन पांच सालाें जो वादे किए थे वह कितने पूरे किए। अब तो जनता यह कहने लग गई है यह पार्टियां केवल नारों तक ही सीमित हो गए है। इनके पास पहाड़ की सोच ही नहीं है। एक-दूसरी पार्टियों के घोषणा पत्र का इंतजार हो रहा है बस।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button