इराक की जनता ने संसद भवन पर किया कब्जा, जानें क्यों हुआ विद्रोह
बगदाद, पड़ोसी देश श्रीलंका में राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक संकट के चलते वहां की जनता में खासी नाराजगी है। श्रीलंका की आम जनता कुछ दिन पहले सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरी और राष्ट्रपति भवन व पीएम आवास पर कब्जा कर लिया। श्रीलंका जैसे हालात अब इराक में दिख रहे हैं। इराक में भी जमकर प्रदर्शन हो रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को बगदाद में संसद भवन पर कब्जा कर लिया। ये प्रदर्शन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोहम्मद शिया अल-सुदानी के विरोध में हो रहे हैं। प्रदर्शनकारियों में से ज्यादातर शिया नेता मुक्तदा अल-सदर के समर्थक हैं। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के नामांकन के विरोध में संसद भवन पर धावा बोल दिया। उनका मानना है कि वह ईरान के बहुत करीब हैं। अल-सुदानी पूर्व मंत्री और पूर्व प्रांतीय गवर्नर हैं।
संसद भवन में प्रदर्शनकारियों को गाते और नाचते हुए देखा गया है। एक शख्स को इराकी संसद के अध्यक्ष की मेज पर लेटा हुआ देखा गया। प्रदर्शनकारी जब संसद भवन में घुसे तो कोई सांसद मौजूद नहीं था। हालांकि, संसद में सुरक्षाबल मौजूद थे, लेकिन उन्होंने प्रदर्शनकारियों को नहीं रोका।
प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कदीमी की चेतावनी
वहीं, प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कदीमी ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी है। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को ग्रीन जोन से तुरंत वापस जाने को कहा है। बता दें कि ग्रीन जोन में सरकारी भवन और राजनयिक मिशनों के घर हैं। पीएम ने एक बयान में कहा कि राज्य संस्थानों और विदेशी मिशनों की सुरक्षा और सुरक्षा-व्यवस्था में किसी भी तरह के नुकसान पर प्रदर्शनकारियों से निपटा जाएगा।
पीएम की चेतावनी का असर
पीएम की चेतावनी के बाद प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन से बाहर निकलना शुरू कर दिया। इससे पहले, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया गया, लेकिन फिर भी कई लोग अंदर घुस गए। प्रदर्शनकारी ग्रीन जोन के मुख्य मार्ग से नीचे उतरे और संसद भवन के दरवाजे के बाहर जमा हो गए। प्रदर्शनकारियों ने “अल-सुदानी, आउट” के नारे भी लगाए।
नई सरकार के गठन को लेकर गतिरोध बरकरार
गौरतलब है कि अक्टूबर 2021 में हुए चुनाव में अल-सदर के गुट ने 73 सीटें जीती थीं। अल-सदर चुनाव में 329 सीटों वाली संसद में सबसे बड़ा गुट बन गया था, लेकिन वोटिंग के बाद से नई सरकार के गठन की बातचीत रुक गई है। अल-सद्र ने बातचीत की प्रक्रिया से खुद को बाहर कर लिया। नई सरकार के गठन को लेकर गतिरोध बना हुआ है।