उत्तराखण्ड

मेडीकल फीस मामला और उलझा, तय फीस से एक रूपया भी अधिक न देने का फैसला

देहरादून। उत्तराखण्ड के देहरादून में एक सप्ताह से चल रहा मेडीकल छात्रों की फीस का मामला और अधिक उलझ गया है क्योंकि अभिभावक संघ ने ऐलान किया है कि एडमीशन से पूर्व जो फीस सरकार ने तय की थी उससे एक भी रूपया अधिक कोई भी अभिभावक नहीं देगा।
उत्तराखण्ड सरकार ने गत दिनों गैरसैंण में हुए बजट सत्र में विधेयक पास कर निजी मेडीकल कालेजों को विश्वविद्यालय होने के नाते स्वयं फीस निर्धारण का अधिकार दे दिया था। जिस पर गुरू राम राय मेडीकल कालेज ने एक वर्ष की फीस तकरीबन बीस लाख तय कर नोटिस चस्पा कर दिया, जिससे छात्र-छात्राओं ने बेमियादी आन्दोलन छेड़ दिया जिसका व्यापक जनसमर्थन मिलने पर सरकार बैकफुट पर आ गई और बढ़ी हुई फीस की वापसी का खुद मुख्यमंत्री को आश्वासन देना पड़ा।

हिमालयन मेडीकल कालेज ने भी किया फीस निर्धारण
गुरू राम राय मेडीकल कालेज के छात्र-छात्राओं का आन्दोलन अभी चल ही रहा था कि दूसरी ओर हिमालयन मेडीकल कालेज जौलीग्रान्ट के प्रमुख विजय धस्माना ने फीस निर्धारण का ऐलान कर दिया। वर्ष 2018 के सत्र के लिये स्टेट कोटे के छात्र-छात्राओं के लिये ग्यारह लाख, जबकि मैनेजमेन्ट कोटे के लिये पन्द्रह लाख रूपया वार्षिक फीस निर्धारित की गई। जबकि वर्ष 2017 के बैच के लिये फीस निर्धारण को उच्च न्यायालय के निर्णय के अधीन किया गया।
पूर्व में तय फीस पर अड़े अभिभावक
मेडीकल छात्र-छात्राओं के आन्दोलन की अगुआई कर रहे निजी मेडीकल विश्वविद्यालय संयुक्त अभिभावक संघ के अध्यक्ष प्रो. बी0पी0 जोशी ने सूर्यजागरण को बताया कि प्रवेश से पूर्व स्टेट कोटे के लिये चार लाख व मैनेजमेन्ट कोटे के लिये पांच लाख रूपये फीस निर्धारित की गई थी। संघ ने फैसला किया है कि तय फीस से एक भी रूपया अधिक नहीं देंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि यदि हाईकोर्ट इस फीस की धनराशि को बढ़ाने का निर्णय देता है तो वह बढ़ी धनराशि सरकार दे, अभिभावक नहीं देंगे। अभिभावक संघ के बदले तेवरों से स्पष्ट है कि यह मामला अभी सुलझने से कोसों दूर है।

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