देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने चुनाव आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले वर्ष 2001 बैच के पुलिस आरक्षी को एकमुश्त दो लाख रुपये बतौर मानदेय दिए जाने का आदेश जारी किया था जबकि इससे पहले मुख्यमंत्री ने पुलिस कार्मिकों को वित्तीय प्रोत्साहन के रूप में 4600 ग्रेड पे देने की घोषणा की थी इसी से मामला फास गया है और सिपाहियों के इस्तीफे और उनके लिखे अन्य पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
एक पत्र में सिपाही ने लिखा है कि सरकार ने उनके साथ धोखा किया है। इन दो लाख रुपये में उनका कुछ नहीं होगा। लिहाजा, यह दो लाख रुपये वह सरकार को दान दे देगा। सिपाही इस धनराशि को अपने लिए नाकाफी मान रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री धामी पर विश्वास किया था। लगा था कि युवा मुख्यमंत्री है, सैनिक पुत्र हैं और घोषणा भी पुलिस के मंच से ही हो रही है। उस वक्त लगा कि उनकी मांगे पूरी हो जाएंगी, लेकिन अब उन्हें सरकार की ओर से यह झुनझुना ही पकड़ाया गया है।
ग्रेड-पे की मांग को लेकर आखिर क्यूँ है परिजनों की नाराजगी ?
लंबे समय से चल रही 4600 ग्रेड पे की मांग को लेकर पुलिसकर्मियों के परिजनों ने भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। साथ ही सरकार पर पुलिसकर्मियों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। शनिवार को रुड़की के गणेशपुर पुल के पास पुलिसकर्मियों के परिजनों ने ग्रेड पे की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग में 20 साल की सेवा देना के बाद 4600 ग्रेड पे दिया जाता है, लेकिन लंबे समय से उत्तराखंड में 20 साल की नौकरी पूरी कर चुके सिपाहियों को अब भी 2800 ग्रेड पे ही दिया जा रहा है जबकि सिपाही से ऊपर की सभी पोस्ट के लिए 4600 ग्रेड पे लागू हो चुका है।
इसके अलावा अन्य राज्यों में सिपाहियों को 4600 ग्रेड पे मिल रहा है। उत्तराखंड में 20 साल से नौकरी कर रहे सिपाहियों को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। कहा कि प्रदेश सरकार ने पुलिसकर्मियों को धोखा दिया है। उन्होंने चुनाव बहिष्कार और भाजपा का विरोध करने की भी चेतावनी दी।