देहरादून. उत्तराखंड कौशल विकास विभाग द्वारा तीन प्रमुख योजनाए चलायी जा रही हैं जिनमे भारत सरकार द्वारा पोषित प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना, वर्ल्ड बैंक द्वारा पोषित कौशल विकास कार्यक्रम और मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना शामिल हैं। पूरे राज्य में इन योजनाओं द्वारा कई युवाओं को फायदा मिल रहा है पर अब इन योजनाओ में गड़बड़ियों एवं धांधलियों की खबरें सामने आ रही हैं.
विभाग द्वारा 25-March-2021 को ट्रेनिंग पार्टनर्स को प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना के र.पि.ल कॉम्पोनेन्ट के अंतर्गत लक्ष्यों का आवंटन किया गया और ट्रेनिंग पार्टनर्स को कहा गया की वो यह लक्ष्य 31 मार्च 2021 तक हासिल करें। विभाग द्वारा किये गए इस तुगलकी फरमान से सारे ट्रेनिंग पार्टनर्स स्तभ्ध हैं और उन्हें समझ नहीं आ रहा की अब क्या करें और कैसे ये लक्ष्य हासिल करें। विभाग के इस सुस्त रवैये से प्रदेश के हज़ारों युवाओं को इस योजना का लाभ नहीं मिल पायेगा क्योकि विभाग पूरे वित्तीय वर्ष सोता रहा और मार्च में उसकी नींद खुली.
पूर्व में भी ट्रेनिंग पार्टनर्स को विभाग द्वारा काम प्रदान किया हुआ है उनमें से अधिकतर का कहना है की उनके किये हुए काम का 2018-19 एवं 2019-20 का बकाया भुगतान भी नहीं किया गया है और विभाग के अधिकारीयों से संपर्क करने पर बताया जाता है की बजट नहीं है। हलाकि नेशनल स्किल डेवलपमेंट कारपोरेशन द्वारा जो की प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना के स्टेट कॉम्पोनेन्ट को पोषित करती है बताया गया की विभाग से समय पर यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं होता और विगत वर्षों में विभाग के लक्ष्यों और बजट में कमी की गयी है जिससे लाखों प्रदेश के युवाओं को इस योजना का लाभ अब नहीं मिल पायेगा, यह भी बताया गया की विभाग को समय समय पर यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट के आधार पर प्रस्तावित देय किस्तें प्रदान की गयी हैं और अब ट्रेनिंग पार्टनर्स का बकाया विभाग को देना है । जो ट्रेनिंग पार्टनर्स इस योजना के अंतर्गत काम कर रहे हैं उन्होंने बताया की विभाग में अधिकारीयों द्वारा भ्रस्टाचार किया गया है तथा कुछ कम्पनीज से पैसे लेकर प्रदेश के बजट से ज्यादा टारगेट आवंटित कर दिया गया जिसके कारण अब ट्रेनिंग पार्टनर्स को बजट की कमी बता कर पिछले २ साल से भुगतान नहीं किया जा रहा है। कार्यदायी संस्थाओं द्वारा ये भी बताया गया की बाद में बजट का बहाना बनाते हुए जो लक्ष्य आवंटित किये गए थे वो भी बिना बताये निरस्त कर दिए गए तथा विभाग के कार्य आदेश के बाद ही उन्होंने लाखों रुपये लगाकर कौशल विकास संसथान स्थापित किये गए थे जो अब धूल खा रहे हैं और कहीं कोई सुनवाई नहीं है तथा हर बार नयी टेंडर प्रकिरिया जारी करते हुए नए ट्रेनिंग पार्टनर्स का चयन करता है जबकि पुराने ट्रेनिंग पार्टनर्स जिनके पास कौशल विकास संसथान उपलब्ध हैं उनको इस प्रक्रिया से दर किनार कर दिया जाता है जिससे ऐसी संथाओं को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है । संस्थाओं का आरोप है की इसी प्रकिर्या को अपनाते हुए प्रदेश की कई संस्थाओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है और बाहरी प्रदेश की संस्थाओं को काम दिया जा रहा है जो की प्रदेश की भूगोलिक तथा युवाओं के जीवन के बारे में कुछ नहीं जानती और अधिकतर अपना काम लोकल संस्थाओं को आउटसोर्स कर देती हैं और इन बहरी संथाओं द्वारा भी यहाँ की लोकल संस्थाओं का शोषण किया जाता है। संस्थाओं का यह भी कहना की इन चयन प्रक्रियाओं में प्रदेश की संस्थाओं को बाहर करने के लिए विभाग द्वारा टेंडर प्रक्रिया में इतना टर्न ओवर माँगा जाता है जो की प्रदेश की संस्था के पास उपलब्ध नहीं होता क्योकि विभाग द्वारा पिछले २ साल से संस्थाओं को उनका बकाया नहीं दिया गया तो उनका टर्न ओवर कैसे होगा इस वजह से प्रदेश की कई संस्थाएं आगामी सत्र के वर्ल्ड बैंक की कौशल विकास योजना के टेंडर से बाहर हो रहे हैं और कोई भी अधिकारी उनकी कोई सुध नहीं ले रहा है ।
जब विभाग के सचिव डॉ श्री रंजीत कुमार सिन्हा को इस बारे अवगत कराया गया की विभाग में ऐसा घोटाला चल रहा है तो उन्होंने जांच का आश्वासन दिया पर अभी तक किसी अधिकारी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। जब विभाग के अधिकारीयों का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क किया गया तो नाम गुप्त रखने की शर्त पर उन्होंने बताया की विभाग में इस समय २ सचिव स्तर के अधिकारी हो गए हैं डॉ. श्री रंजित कुमार सिन्हा तथा डॉ श्री एस राजेश कुमार और इस वजह से विभाग में पावर के दो केंद्र बन गए हैं और इससे विभाग का काम बाधित हो रहा है और समय पर फाइलों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है।
लेख लिखने तक विभाग के मंत्री डॉ श्री हरक सिंह रावत से संपर्क नहीं हो पाया है। आशा करते हैं की आप इस का संज्ञान लेंगे और हम ट्रेनिंग पार्टनर्स का मुद्दा सही माधयमो के द्वारा उठाएंगे और हमारी समस्या का निदान करेंगे।