ओएलएक्स पर लोगों को ठगी का शिकार बनाने वाले दो साइबर जालसाज गिरफ्तार
देहरादून। ओएलएक्स पर कार, मोबाइल आदि के लुभावने विज्ञापन देकर लोगों को ठगी का शिकार बनाने वाले दो साइबर जालसाज आखिरकार उत्तराखंड की स्पेशल टास्क फोर्स के हत्थे चढ़ गए। एसटीएफ ने दोनों को अलवर राजस्थान से गिरफ्तार किया है। दोनों के बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबरों की सीडीआर से शातिरों के काले कारनामों का खुलासा हुआ। यह गैंग मूलरूप से सहसपुर के रहने वाले सीआरपीएफ के दारोगा समेत दो लोगों को शिकार बना चुका है।
डीआइजी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल ने बताया कि यह गिरोह उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली समेत उत्तर भारत के सैकड़ों लोगों से दो करोड़ से अधिक की ठगी कर चुका है। डीआइजी एसटीएफ ने बताया कि सीआरपीएफ में उप निरीक्षक के पद पर तैनात नवीन सिंह तोमर निवासी सहसपुर ने पिछले साल अक्टूबर महीने में साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनकी आइडी, आधार कार्ड और फोटो का प्रयोग कर कार-मोबाइल आदि का विज्ञापन देकर लोगों से ठगी की जा रही है।
मामले में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की तो पता चला कि ओएलएक्स पर जो विज्ञापन दिए गए उन पर प्रदर्शित मोबाइल नंबरों की लोकेशन अलवर राजस्थान में मिली। इस सुराग के बाद निरीक्षक रविंद्र कुमार चमोली और अमर चंद्र शर्मा के नेतृत्व में छह सदस्यीय टीम गठित की गई। लोकेशन को बारीकी से ट्रेस करते हुए सोमवार को टीम अलवर में उस ठिकाने पर पहुंच गई, जहां से जालसाज ठगी कर रहे थे। यहां एक मकान में खोले गए कंप्यूटर सेंटर में छापा मार कर दो को गिरफ्तार किया गया।
आरोपितों की पहचान असलम पुत्र रज्जाक निवासी बीपीओ ककराली अलवर राजस्थान व मनोज कुमार पुत्र मुंदर लाल निवासी ककराली अलवर राजस्थान के रूप में हुई। यह दोनों अपने सेंटर में लोगों के आधार कार्ड समेत अन्य दस्तावेजों के लिए फार्म भराते थे। यहां जो लोग अपनी आइडी या फोटो देकर जाते थे, बाद में उन्हीं के जरिए ओएलएक्स पर फर्जी विज्ञापन डालते थे। दोनों जो फोन इस्तेमाल करते थे, वह भी फर्जी आइडी कार्ड पर निकाले गए थे।
खाते में लाखों का ट्रांजेक्शन असलम और मनोज कुमार के नाम से एसटीएफ को दो बैंक अकाउंट भी मिले हैं। डीआइजी एसटीएफ ने बताया कि इन दोनों बैंक खातों में लाखों रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है। एसटीएफ ने इन दोनों बैंक खातों को फ्रीज करा दिया है।
तीसरे शख्स की तलाश बाकी साइबर ठगों के इस गैंग में वैसे तो कई लोग शामिल हैं, लेकिन अभी तक तीन की ही पहचान हो सकी है और दो गिरफ्तार हुए हैं। फरार आरोपित का ट्रांसपोर्ट का काम है। एसटीएफ की मानें तो वह गिरोह का सरगना हो सकता है।
बैंक स्टेटमेंट से खुलेंगे राज
एसटीएफ असलम और मनोज के बैंक अकाउंट के स्टेटमेंट की बारीकी से पड़ताल कर रही है। डीआइजी ने बताया कि इसमें यह देखा जाएगा कि गिरोह ने उत्तराखंड के कितने लोगों को ठगा। इन लोगों की पहचान के बाद आगे की कार्रवाई होगी। वहीं, अन्य राज्यों के शिकार लोगों की जानकारी सामने आने पर संबंधित राज्य की पुलिस को ब्योरा भेज दिया जाएगा।
न दें किसी को आइडी
डीआइजी रिधिम अग्रवाल ने कहा कि साइबर ठग हर दिन नई तकनीकी से लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। पहले तो किसी को अपनी आइडी न दें और दें भी तो उस पर लिख दें कि संबंधित काम के उपयोग के लिए ही मान्य। इसके साथ ऑनलाइन शॉपिंग करते समय पूरी जांच-पड़ताल करें। लुभावने विज्ञापन देखकर एकदम से पैसे ट्रांसफर करने के उतावलेपन में ठगे जाने की संभावना बढ़ जाती है।
सत्तर हजार में बेच रहे थे कार
असलम और मनोज की ओर से कुछ हफ्ते पहले ओएलएक्स पर एक लग्जरी कार का विज्ञापन डाला गया। विज्ञापन में कार की कीमत सत्तर हजार रुपये बताई गई। जबकि, उस मॉडल की कार की बाजारी कीमत कम से कम चार लाख थी। इस विज्ञापन पर दून के एक शख्स ने संपर्क किया और उनसे सत्तर हजार रुपये ठग लिए। ठगी के इस मामले ने एसटीएफ को जालसाजों तक पहुंचने में काफी मदद की।