आतंकवाद के रास्ते पर भटक रहे युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए सेना और पुलिस ने आतंकियों के परिजनों से की बातचीत
श्रीनगर, राष्ट्रविरोधी तत्वों के दुष्प्रचार से गुमराह हो आतंकवाद के रास्ते पर भटक रहे युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए सेना और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने शोपियां में करीब 80 आतंकियों के परिजनों से बातचीत की।
अधिकारियों ने आतंकियों के परिजनों से कहा कि वह गुमराह हुए अपने बच्चों, भाइयों को बंदूक छोड़ एक सामान्य और सम्मानजनक जिंदगी जीने के लिए मनाएं। इसके लिए उनकी हर संभव मदद की जाएगी। हालांकि सेना व अन्य सुरक्षा एजेंसियां आतंकियों के सरेंडर को सुनिश्चित बनाने, उन्हेंं मुख्यधारा में वापस लाने के लिए अकसर उनके परिवार के साथ संवाद करते रहते हैं, लेकिन यह पहली बार है जब किसी एक जगह पर इतनी बड़ी संख्या में स्थानीय आतंकियों के परिवार वाले जमा हुए थे। कोई भी अपना चेहरा नहीं छिपा रहा था, बल्कि खुलकर बात कर रहा था।
बटपोरा स्टेडियम में जश्न-ए-जनूब के दौरान आयोजित कार्यक्रम मे चिनार कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय, आइजीपी कश्मीर विजय कुमार के अलावा सेना की विक्टर फोर्स के जीओसी और 44 आरआर के सीओ समेत पुलिस व सेना के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। इस अवसर पर कोर कमांडर ने आतंकियों के स्वजनों को संबोधित करते हुए कहा कि मेरी आप लोगों से गुजारिश है कि आप अपने बच्चों आतंकवाद के दलदल से बाहर निकालें। मैं यह आप पर छोड़ता हूं कि आप उन्हे कैसे बाहर निकालेंगे, लेकिन उन्हेंं जरुर बचाईए। यह पहला अवसर था जब वादी में किसी सार्वजनिक जगह पर कोर कमांडर ने आतंकियों के परिजनों से यूं बात की हो।
घाटी में 190 में से करीब 160 स्थानीय आतंकी : कश्मीर रेंज के आइजीपी विजय कुमार ने कहा कि हम किसी भी स्थानीय आतंकी पर गोली नहीं चलाना चाहते। इसलिए पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियां उन्हेंं सरेंडर का पूरा मौका देती हैं। हम चाहते हैं कि आप अपने बच्चों को मनाएं कि वह मौत और तबाही का रास्ता छोड़ मुख्यधारा में शामिल हों। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, दक्षिण कश्मीर में सक्रिय करीब 190 आतंकियों में 160 के करीब स्थानीय हैं। स्थानीय आतंकियों में से ज्यादातर दो माह से लेकर दो साल पुराने आतंकी ही हैं। कोर कमांडर ने कहा कि आप लोगों अगर चाहते हैं कि आपके बच्चे सुरक्षित रहें,जिंदगी में तरक्की करें तो अपने आसपास घूमने वाले सफेदपोश आतंकियों से जरूर सावधान रहें। ऐसे लोगों को पहचानिए।
आतंकियों के स्वजनों की भर आईं आंखें : कई आतंकियों के स्वजनों की आंखों में उस समय आंसू निकल आए, जब कोर कमांडर ने कहा कि आप घबराएं नहीं, अगर मुठभेड़ के दौरान हमारा कोई जवान या अधिकारी गोली लगने से जख्मी हो जाता है और उसके बाद भी कोई सरेंडर के लिए राजी होता है तो हम उसका भी स्वागत करेंगे, हम उसे मारेंगे नहीं बल्कि एक नयी जिंदगी का मौका देंगे। क्योंकि वह सिर्फ आपका अपना बेटा नहीं है, वह इस मुल्क का, इस समाज का भी बेटा है। कार्यक्रम में लेने आए लोगों में आतंकी सुमैर अहमद नजार के पिता अब्दुल हमीद नजार, आतंकी उमर इश्फाक मलिक का भाई, मोहम्मद सलीम मलिक, आतंकी नसीर वानी के पिता मोहम्मद हुसैन वानी, आतंकी आदिल अहमद के पिता बशीर अहमद वानी, आतंकी आदिल हुसैन के पिता मोहम्मद खलील वानी, आतंकी आबिद रमजान के पिता मोहम्मद रमजान शेख और आतंकी समीर अहमद शेख के पिता फारुक अहमद शेख के नाम उल्लेखनीय हैं।
अपने बेटे को मुख्यधारा में लाने के लिए दर-दर भटक रहा हूं : खलील वानी
आतंकी आदिल हुसैन के पिता मोहम्मद खलील वानी ने कहा कि मैं अपने बेटे को वापस मुख्यधारा में लाने के लिए दर-दर भटक रहा हूं। पता नहीं किसने उसका दिमाग खराब कर दिया और वह आतंकी बन गया। जब से वह आतंकी बना है, हमारे घर की हालत बिगड़ चुकी है। उसकी मां और बहन की हालत मुझसे देखी नहीं जाती। हमने इंटरनेट मीडिया पर भी उससे अपील की है। आज यहां आकर दिल को तसल्ली मिली है कि अगर वह सरेंडर के लिए मान जाएगा तो उसे नयी जिंदगी मिलेगी। उसके लिए वापसी का रास्ता आज भी है। खुदा उसे हिम्मत और अक्ल दे। मुझे उसे कंधा न देना पड़े, वही मुझे कंधा दे।