उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त रुख ने नौकरशाहों को भी हठ छोड़ने और सरकार के निर्देशों को मानने को मजबूर होना पड़ा
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त रुख ने नौकरशाहों को भी हठ छोड़ने और सरकार के निर्देशों को मानने को मजबूर होना पड़ा है। हफ्तेभर के बाद सोमवार को आइएएस दीपक रावत ने ऊर्जा निगमों और उरेडा के निदेशक पद का प्रभार संभाला तो तो अन्य दो सचिवों ने भी अवकाश से लौटकर नए दायित्व ग्रहण किए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नौकरशाहों के साथ ही मंत्रिमंडल के अपने सहयोगियों को संदेश दे दिया। दरअसल हफ्ताभर पहले सरकार ने बड़ी संख्या में नौकरशाहों के दायित्व बदले थे। इसमें दीपक रावत को ऊर्जा निगम व विद्युत पारेषण निगम (पिटकुल) और उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) के निदेशक का जिम्मा सौंपा गया था। वहीं ऊर्जा सचिव की जिम्मेदारी राधिका झा से हटाकर सौजन्या को सौंपी गई थी। इस फेरबदल के बाद ऊर्जा मंत्री डा हरक सिंह रावत की नाराजगी उभरी थी। सूत्रों के मुताबिक ऊर्जा मंत्री विभाग में तैनात किए गए आला अधिकारियों से खुश नहीं थे। दरअसल सौजन्या और हरिद्वार में कुंभ मेलाधिकारी रहे दीपक रावत को सख्त अधिकारियों में शुमार किया जाता है।
इस बीच कार्यभार ग्रहण करने को लेकर आला अधिकारियों के स्तर पर भी ना-नुकुर देखी गई। आचरण नियमावली का पढ़ा चुके पाठचुनावी साल में नौकरशाहों को सख्त संदेश देने में जुटे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर अखिल भारतीय सेवा के इन अधिकारियों को आचरण नियमावली के नियमों का पाठ पढ़ाया गया। मुख्यमंत्री के तेवरों ने असर दिखाया। आइएएस दीपक रावत ने तकरीबन सात दिन बाद सोमवार को कार्यभार ग्रहण किया।
वहीं, अवकाश से लौटकर सचिव राधिका झा ने विद्यालयी शिक्षा का दायित्व सोमवार को सचिवालय में संभाल लिया। सचिव नितेश झा ने भी पंचायतीराज सचिव का पदभार ग्रहण किया। ऊर्जा मंत्री को करनी होगी मशक्कतदीपक रावत के ऊर्जा निगमों के पदभार ग्रहण करने के साथ ही तमाम तरह की चर्चाएं खत्म हो गईं। ऊर्जा मंत्री डा रावत दोनों निगमों में आइएएस की जगह विभागीय अधिकारियों की तैनाती के पक्ष में हैं। अपने फैसले को अमलीजामा पहनाने के लिए उन्हें इसे सरकार की नीति में शामिल कराना होगा। ऊर्जा निगम में प्रबंध निदेशक पद के लिए जल्द साक्षात्कार भी होने हैं।