पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत और अब तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाने से कांग्रेस को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया
देहरादून। पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत और अब तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाने से कांग्रेस को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया। प्रमुख प्रतिपक्षी दल ने सत्तारूढ़ भाजपा पर प्रदेश को राजनीतिक अस्थिरता में झोंकने का आरोप लगाते हुए ताबड़तोड़ हमला बोला है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने तंज कसते हुए कहा कि इस राजनीतिक घटनाक्रम से प्रदेशवासियों को डबल इंजन की परिभाषा समझ में आ रही है। राज्य में शासन व्यवस्था बिल्कुल ठप पड़ चुकी है।
2017 में प्रचंड बहुमत के साथ प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई भाजपा पर कांग्रेस शुरुआती दौर से ही हमलावर है। अगले विधानसभा चुनाव से चंद महीने पहले भाजपा के दूसरी बार मुख्यमंत्री बदलने से कांग्रेस को हमले की धार और पैनी करने का मौका मिल गया है। विधानसभा में महज 11 सीटों तक सिमट गई कांग्रेस को लोकसभा चुनाव और तीन विधानसभा उपचुनावों के साथ ही शहरी निकायों और पंचायतों में भी संभलने का मौका नहीं मिला।
अब विधानसभा चुनाव से चंद कदमों के फासले पर खुद भाजपा ने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के पस्त पड़े मनोबल में नई जान फूंक दी है। कांग्रेस के बयानों में यह नजर भी आने लगा है। पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने भाजपा पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के सम्मुख संवैधानिक उलझन में भाजपा को कुछ सूझ नहीं रहा है। राष्ट्रपति शासन के विकल्प के साथ तीरथ से इस्तीफा दिलाकर व फिर मुख्यमंत्री बनाने और विधानसभा भंग करने जैसे कदम भाजपा उठा सकती है। हालांकि किसी भी विकल्प को आजमाने के दौरान भाजपा के लिए अपनी राजनीतिक उलझन को लेकर उत्तराखंड को उलझन में डालने के आरोप से बचना मुश्किल होगा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि भाजपा ने उसे प्रचंड बहुमत दिलाने वाली जनता के साथ विश्वासघात किया है। सत्तारूढ़ दल के चाल, चरित्र और चेहरे को जनता अच्छी तरह परख चुकी है। जनता से वायदे पूरे करने में विफल रहने पर भाजपा अब मुख्यमंत्री बदलकर ध्यान बंटाने की कोशिश कर रही है। इस घटनाक्रम से साफ हो गया है कि भाजपा में सबकुछ सामान्य नहीं है। पार्टी अंतर्विरोध से जूझ रही है।