उत्तराखण्ड

समन्वय समिति की बैठक से ठीक पहले नियुक्तियां निरस्त कर पार्टी हाईकमान ने दिया संदेश

देहरादून। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के लिए आने वाले समय में चुनौती बढ़ गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों को साधे बिना आगे कदम बढ़ाना उनके लिए संभव नहीं होगा। मंगलवार को समन्वय समिति की बैठक से दो दिन पहले जिला एवं ब्लॉक समेत विभिन्न स्तर पर की गईं नियुक्तियों को पार्टी हाईकमान ने जिस प्रकार निरस्त किया, उसके निहितार्थ यही माने जा रहे हैं।

करन माहरा को 2022 में मिली थी कमान

नगर निकाय और पंचायतों के चुनाव के साथ ही केदारनाथ उपचुनाव की हर रणनीति में प्रदेश संगठन के स्थान पर समन्वय समिति की छाप दिखाई देगी। उत्तराखंड में वर्ष 2022 में मार्च माह में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पराजय मिलने के बाद पार्टी हाईकमान ने करन माहरा को प्रदेश संगठन की बागडोर सौंपी थी। प्रदेश कांग्रेस के कप्तान के रूप में अभी तक लगभग ढाई वर्ष के कार्यकाल में माहरा के सामने सबसे बड़ी चुनौती दिग्गज नेताओं और विधायकों के साथ समन्वय की रही है। विधायकों से लेकर वरिष्ठ नेता संगठन के स्तर पर निर्णय लेने में उन्हें विश्वास में नहीं लेने का आराेप लगाते रहे हैं।

हार के कारणों का उठा था मुद्दा

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में हार के कारणों की मंथन के लिए पार्टी नेतृत्व की ओर से भेजी गई फैक्ट फाइंडिंग टीम के समक्ष भी समन्वय की कमी का मुद्दा जोर-शोर से गूंजा। इसके बाद प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा ने देहरादून के बजाय दिल्ली में ही गत माह अगस्त में पहले प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं और फिर समस्त विधायकों की बैठक बुलाई थीं। बैठकों में करन माहरा निशाने पर रहे। जिला, ब्लाक एवं अन्य स्तर पर प्रदेश संगठन की ओर से की गईं नियुक्तियों में स्थानीय विधायकों और क्षत्रपों को विश्वास में नहीं लेने की शिकायत भी हाईकमान तक पहुंचाई गई। यह शिकायत भी की गई कि इन नियुक्तियों के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की स्वीकृति नहीं ली गई।

सभी नियुक्तियों को किया निरस्त

कांग्रेस हाईकमान ने एआइसीसी से स्वीकृति नहीं लेने को गंभीर मानते हुए ही प्रदेश संगठन के स्तर से की गईं नियुक्तियों को निरस्त कर दिया। प्रदेश प्रभारी की अध्यक्षता में दिल्ली में हुई इन बैठकों में ही समन्वय समिति के गठन के फार्मूले पर सहमति बनी। एआइसीसी ने पहले 19 सदस्यों की समन्वय समिति गठित की। बाद में इस समिति में लोकसभा क्षेत्रों के पार्टी प्रत्याशियों को भी स्थान मिला। अब 23 सदस्यीय इस समिति की बैठक मंगलवार को प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में हो रही है।

बैठक में शामिल होंगे ये नेता

बैठक में प्रदेश सह प्रभारी सुरेंद्र शर्मा भाग लेंगे। प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा ने बैठक में वर्चुअल भाग लेने पर सहमति जताई है। समिति का गठन प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा की अध्यक्षता में ही किया गया है। यह अलग बात है कि ढाई वर्ष की अवधि में माहरा को नई प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी नहीं मिल पाई है। समन्वय समिति में प्रदेश के समस्त वरिष्ठ नेताओं को शामिल कर संतुलन बनाया गया है। करन माहरा को अब शहरों और पंचायतों में बनने वाली छोटी सरकारों के लिए होने जा रहे चुनाव में समन्वय समिति के साथ निर्णय लेने हैं।

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