दिल लुभा लेगा यह ‘कोकर्स वॉक’
ऊंची पहाडिय़ों से घिरे नजारों के बीच पैदल चलते जाने और नीचे मैदानी इलाकों का सौंदर्य निहारने का आनंद क्या होता है यह आप यहां महसूस कर सकते हैं। दरअसल, यहां नेबो पर्वत के इर्द-गिर्द यह करीब एक किलोमीटर लंबा पाथ-वे है जिस पर लोग पैदल घूमते नजर आएंगे। यहां से नीचे घाटी में कभी बादलों के टुकड़े तो कभी घने कोहरे के बीच सेल्फी लेते पर्यटकों की खुशी देखते ही बनती है। कोडाइ का मानचित्र तैयार करने वाले लेफ्टिनेंट कोकर के नाम पर इस जगह का नाम ‘कोकर्स वॉक’ पड़ा। साफ मौसम में यहां से दूर स्थित बस्तियों, नदियों और खेतों का दृश्य देखना सुखद है।
चांदी सा चमकता ‘सिल्वर कास्केड’ जलप्रपात
कोडाइकनाल शहर से तकरीबन 8 किमी. पहले सड़क के दोनों तरफ गाड़ियों की कतारें और पर्यटकों की भीड़ देखकर आप भी रुक जाएंगे। इससे पहले कि माजरा समझ में आये, एक मोड़ पर दाईं ओर काफी ऊंचाई से गिरते झरने को देखकर आप हैरान हो सकते हैं! यह एक तरह से कोडाइकनाल पहुंचने से पहले प्रकृति की तरफ से आपका स्वागत है! ‘सिल्वर कास्केड’ जल प्रपात की जल धारा को देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे पिघली हुई चांदी काफी मात्रा में एक साथ नीचे गिर रही हो। अब आप समझ गए होंगे कि इसका यह नाम यानी ‘सिल्वर कास्केड’ क्यों पड़ा?
कुरिंजी का फूल: प्रेम का प्रतीक
कोडाइकनाल की शान है यह फूल, जो प्रत्येक 12 साल में एक बार खिलता है। इस फूल को भगवान मुरुगन का पवित्र पुष्प माना जाता है। भगवान मुरुगन ने कुरिंजी पुष्प की माला पहने एक शिकारी की पुत्री से विवाह किया था। इसलिए इस फूल को प्रेम व प्यार का प्रतीक भी माना जाता है। इस फूल के खिलने के बाद यहां ‘कुरिंजी फेस्टिवल’ भी मनाया जाता है। पिछले साल ही जून से अक्टूबर के बीच यह उत्सव मनाया गया था यानी अब यह फूल 12 साल बाद वर्ष 2030 में खिलेगा।
‘स्टारफिश’ आकार की झील!
अगर आपने स्टारफिश देखी है तो जरा कल्पना करें इसी आकृति की झील की। मन हो गया न बाग-बाग! यह है कोडाइकनाल झील, जो शहर का शीतल हृदय स्थल है। इसका पारदर्शी पानी देखकर मन आह्लादित हो जाता है। झील के इर्द-गिर्द सघन वृक्ष और यहां का पूरा परिदृश्य आपको पुलकित कर देगा। बोटिंग करके आप इस खुशी को थोड़ा और बढ़ा सकते हैं। अगर नहीं, तो इस झील के चारों ओर तकरीबन 5 किमी. मार्ग पर टहलने या फिर घुड़सवारी अथवा साइक्लिंग का भी एक अलग आनंद है।
कुरिंजी मंदिर : अद्भुत है यह वास्तुकला
कोडाइ झील से यह तकरीबन 3 किमी. दूर है। इसे कोडाइकनाल का सबसे लेाकप्रिय आकर्षण माना जाता है। अगर आप कलाप्रेमी हैं तो इसकी वास्तुकला आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। यह मंदिर भगवान मुरुगन को समर्पित है।
कुदरत से प्यार है तो आइए ‘ब्रायंट पार्क’
अगर आप वनस्पतिशास्त्र में रुचि रखते है तो कोडाइ झील के पास ही स्थित ब्रायंट पार्क आपको लुभा लेगा। मदुरै के तत्कालीन वन अधिकारी एच. डी. ब्रायंट की परिकल्पना और समर्पित प्रयासों से विकसित हो सका है यह बोटेनिकल गार्डन। फूलों के खिलने के मौसम में यहां हर तरफ इंद्रधनुषी छटा छा जाती है। साल 1857 का यूकेलिप्टस ट्री और बोद्धि वृक्ष इस पार्क के प्रमुख आकर्षणों में शामिल हैं। देवदार के पेड़ों और फूलों की क्यारियों के बीच इस पार्क को निहारने और रुकने का अलग आनंद है।
ग्रीन वैली व्यू बनाम सुसाइड प्वाइंट!
कोडाइ झील से तकरीबन 5 किमी. दूर घने वृक्षों से आच्छादित इस स्थल को सोसाइड प्वाइंट इसकी खतरनाक बनावट के कारण कहा जाता है। पर यदि आप यहां की हरी-भरी वादियों को निहारना चाहते हैं तो यहां से देख सकते हैं। यहां से आपको घाटी में तैरते सफेद बादल और दूर पहाडिय़ों पर छाती धुंध के साथ-साथ वैगई बांध का मनमोहक नजारा दिखेगा।
‘पिलर राक्स’ का जादुई सम्मोहन
कोडाइकनाल बस स्टैंड से 8 किलोमीटर दूर पिलर रॉक्स प्वाइंट पर कभी आप प्रकृति का भयावह रूप, तो कभी मनमोहक छटा देख कर स्तब्ध रह जाएंगे। यहां पर 122 मीटर की उंचाई वाले तीन दैत्याकार चट्टानी स्तंभ हैं। कोहरे के कारण इनका नाटकीय प्रभाव यहां देखा जा सकता है। थोड़ी-थोड़ी देर में इनका यहां के रहस्यमयी कोहरे में छिपते-उभरते देखना मन में अचरज भरता है। इन स्तंभों के बीच पानी की धाराएं भी बहती हैं। घाटी में भी कोहरे के कारण पल-पल में दृश्य बदलते देखकर आप यहां देर तक रुकना चाहेंगे। यहां पास ही में एक सुंदर पार्क भी विकसित किया गया है।
कब और कैसे जाएं?
यहां वर्ष में किसी भी समय आ सकते हैं। निकटतम एयरपोर्ट मदुरै में है जो कोडाइकनाल से 120 किलोमीटर दूर है। कोयंबटूर एयरपोर्ट भी यहां से 170 किलोमीटर दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन कोडाइकनाल है जो 80 किलोमीटर दूर है। मदुरै सहित अन्य सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा कोडाइकनाल पहुंचा जा सकता है। यहां ठहरने के लिए छोटे-बड़े, सस्ते-महंगे सभी तरह के अनेक सुविधाजनक होटल हैं।