नई दिल्ली। सीबीआइ रार पर विपक्ष ने भी मोदी सरकार पर वार करना शुरू कर दिया है। तमाम विपक्षी दल सीबीआइ चीफ पर हुई कार्रवाई को राफेल सौदे की जांच से जोड़कर देख रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सीबीआई मामले को राफेल से जोड़ते हुए केंद्र सरकार पर हमला बोला।
राजस्थान के हड़ौती में राहुल गांधी ने एक रैली कर कहा कि कल रात चौकीदार ने सीबीआइ निदेशक को हटा दिया। सीबीआइ निदेशक ने राफेल सौदे पर सवाल उठाए थे और उनको हटा दिया गया।
राहुल ने कहा, ‘सीबीआइ चीफ आलोक वर्मा राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे। उन्हें जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया गया। प्रधानमंत्री का मैसेज एकदम साफ है जो भी राफेल के इर्द- गिर्द आएगा। हटा दिया जाएगा, मिटा दिया जाएगा। देश और संविधान खतरे में हैं।’
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने जहां इसे सीबीआइ की आजादी में आखिरी कील ठोकना बताया, वहीं आलोक वर्मा की छुट्टी और राफेल डील के बीच संबंध पर सवाल किया। सीबीआइ के दो वरिष्ठ अफसरों के बीच विवाद गहराता देख बुधवार तड़के केंद्र सरकार ने सीबीआइ डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया।
सीबीआइ द्वारा दर्ज की गई एफआइआर में आरोप लगाया गया है कि उसके स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना और डीएसपी देवेंद्र कुमार जबरन वसूली का रैकेट चलाते हैं। उधर, इस मामले में राकेश अस्थाना ने 29 अक्टूबर तक दिल्ली हाई कोर्ट से गिरफ्तारी से राहत का आदेश प्राप्त कर लिया है।
विपक्षी दलों ने क्या कहा?
अभिषेक मनु सिंघवी- आलोक वर्मा को असंवैधानिक तरीके से हटाया गया है। केंद्र सरकार राफेलोफोबिया से पीड़ित है, इसीलिए केंद्र ने डायरेक्टर को हटाया। डायरेक्टर को हटाने के लिए सरकार ने गलत तरीकों का इस्तेमाल किया। सीबीआइ एक्ट का उल्लंघन किया गया है। उन्हें हटाना संभव नहीं, इसीलिए छुट्टी पर भेजा गया है।
अरविंद केजरीवाल- क्या आलोक वर्मा की छुट्टी और राफेल डील के बीच कोई संबंध है? क्या आलोक वर्मा राफेल डील को लेकर जांच शुरू करने वाले थे, जो मोदी जी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता था।
रणदीप सुरजेवाला- मोदी सरकार ने सीबीआइ की आजादी में आखिरी कील ठोक दी है। सीबीआइ का व्यवस्थित विध्वंस और विघटन अब पूरा हो गया है। एक वक्त की शानदार जांच एजेंसी, जिसकी अखंडता, विश्वसनीयता और दृढ़ता खत्म करने का काम प्रधानमंत्री ने किया है। सीबीआइ निदेशक का तबादला इसीलिए क्या गया क्योंकि वे राफेल घोटाले की जांच करने वाले थे।
सीताराम येचुरी- मोदी सरकार और प्रधानमंत्री ने सीबीआइ का राजनीतिक तख्ता-पलट किया है। हमें नहीं पता कि सीबीआइ राफेल घोटाले की जांच कर रही थी। अगर ऐसा था तो ये आदेश सरकार, प्रधानमंत्री और संबंधित अधिकारियों को बचाने के लिए दिया गया। राकेश अस्थाना मामले की जांच कर रहे डीआईजी को अंडमान में ‘काला पानी’ क्यों भेजा गया?
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने दिया जवाब
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सरकार के फैसले पर उंगली उठाने के सवाल पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि क्या दो अधिकारी जो जांच का सामना कर रहे हैं वो ही अपनी जांच करवाएं? विपक्ष के आरोप बिल्कुल गलत हैं। सरकार ने सेक्शन 42 की शक्ति का इस्तेमाल करते हुए यह आदेश पारित किया है। सरकार का यह कदम विपक्ष, पीआईएल दाखिल करने वाले लोगों और आम जनता सभी के लिए है। उन्होंने कहा कि जांच का माखौल नहीं बनने दिया जा सकता है। अगर अधिकारी निर्दोष होंगे तो उनकी वापसी होगी। सीवीसी की अनुशंसा पर सरकार के तुरंत फैसले के सवाल पर जेटली ने कहा कि हमारी सरकार फास्ट ऐक्टिंग सरकार है। इसलिए हमने तुरंत अनुशंसा पर कदम उठाया।
इनकी हुई पोस्टिंग/इनका हुआ तबादला
सीबीआइ के JD(P) अरुण कुमार शर्मा, ए. साई मनोहर, HoZ वी. मुरुगुशन और DIG अमित कुमार को तत्काल प्रभाव से नई पोस्टिंग दी गई है। उधर, अफसरों के दफ्तरों को सील किए जाने की खबरों पर सीबीआइ के प्रवक्ता ने साफ कहा है कि CBI मुख्यालय के किसी भी कमरे को सील नहीं किया गया है। इसके अलावा सीबीआइ के डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा, डीआईजी तरूण गौबा, डीआईजी जसबीर सिंह, डीआईजी अनीश प्रसाद, डीआईजी केआर चौरसिया, HoB राम गोपाल और एसपी सतीष डागर का भी तबादला किया गया है। ये सभी अधिकारी राकेश अस्थाना घूसखोरी मामले की जांच कर रहे थे। बता दें कि एम नागेश्वर राव को तत्काल प्रभाव से सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया है। एम नागेश्वर राव सीबीआइ में ही संयुक्त निदेशक के पद पर हैं।
अस्थाना मामले की जांच के लिए बनी नई टीम
सीबीआइ के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना मामले की जांच सीबीआइ डीआइजी तरुण गौबा, एसपी सतीश डागर और जॉइंट डायरेक्टर वी मुरूगुशन करेंगे। सीबीआइ हेडक्वार्टर में अभी अंतरिम डायरेक्टर एम. नागेश्वर राव एक बड़ी बैठक कर रहे हैं।