रास्ता भटकता चला गया संगम
(सुरेन्द्र अग्रवाल द्वारा)
उत्तराखण्ड/देहरादून। अपने घर से सैकड़ों कि.मी. दूर उत्तराखण्ड में रहने वाले प्रवासियों को विभिन्न अवसरों विशेषकर दुख दर्द में भागीदार बनने की अवधारणा के साथ एक संस्था गठित की गई है जिसमें पारिवारिकता का समावेश कर नाम दिया गया संगम परिवार। परन्तु जैसे ही संगम ने प्रवासियों के बीच पैठ बनाई, कुछ लोगों ने अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा पूरी करने के लिये न केवल इसे हाईजैक कर लिया वरन वर्ग विद्वेष की भावना भड़काने का कुकृत्य करने लगे।
राकेश भाटी, चन्दन झा, स्वपनिल सिन्हा जैसे कुछ महानुभावों ने संगम परिवार का गठन किया जिस क्रम में चन्दन झा जी ने 14 जनवरी 2016 को मकर संक्रान्ति के मौके पर संगम विचार मंच नामक व्हाट्सैप ग्रुप का गठन कर प्रवासियों को जोड़ना शुरू किया। अपने घर से सुदूर उत्तराखण्ड में एक परिवार की परिकल्पना प्रवासियों को रास आने लगी। 14 जनवरी 2017 को नगर निगम के सभागार में पहला स्थापना दिवस समारोह मनाया गया। समारोह में भारी तादाद में प्रवासी जुटे/पूरा सभागार खचाखच भरा था, सैकड़ों लोग हाल के बाहर भी जमे रहे।
बेहद सफल कार्यक्रम के बाद कुछ लोगों में राजनीतिक महत्वकांक्षा जाग गई और वे विधायक बनने का मंसूबा बुनने लगे। जिस क्रम में सबसे पहले संगठन को हाईजैक कर उसकी स्थापना करने वाले तीनों प्रमुख महानुभावों को किनारे कर दिया। फिर अपनी पैठ बनाने के लिये वर्ग विद्वेष की भावनायें भड़काने में जुट गये।
संगम परिवार का उद्देश्य परिवर्तित कर राजनीतिक ताकत बनाने की योजना के सूत्रधार बन कर पी0सी0एस0 अधिकारी ललित नरायन मिश्रा ने धीरे-धीरे उन सभी को किनारे कर दिया जो एक परिवार की भावना से इसे सामाजिक संगठन बनाये रखना चाहते थे। नतीजतन 14 जनवरी 2018 को महादेवी कन्या पाठशाला के छोटे से सभागार में आयोजित द्वितीय स्थापना दिवस बुरी तरह फ्लाॅप रहा। छोटे से सभागार की भी आधी कुर्सियां खाली पड़ी रहीं। एकाध को छोड़कर अधिकांश बड़े अधिकारियों ने राजनीतिक महत्वकांक्षा भांप कर समारोह से दूरी बनाये रखी। दुख दर्द में प्रवासियों को परिवार का अहसास दिलाने के उद्देश्य से गठित संगम विचार मंच अपनी राह से भटकता-भटकता सरकार विरोधी भावनायें भड़का कर वर्ग विद्वेष पैदा करने के कुकृत्य पर उतर आया है।
हरीनारायण के मामले में दिखी चरम संवेदनहीनता
बिहार के दरभंगा निवासी हरीनरायण के मामले में संगम विचार मंच में चरम संवेदनहीनता दिखी। कई बार अपील के बावजूद चाकूबाजी के शिकार होकर मौत से जूझ रहे हरीनरायण के परिजनों को आर्थिक सहायता करना तो दूर रहा, 14 जनवरी 2018 को दून अस्पताल से 50 मीटर दूर महादेवी कन्या पाठशाला में संगम विचार मंच के दर्जनों लोग जुटे रहे परन्तु किसी ने उस गरीब-लाचार की सुध लेना भी मुनासिब नहीं समझा।