पीएम मोदी: नई शिक्षा नीति से नए भारत की नींव रखी जाएगी
बीते अनेक वर्षों से हमारे शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव नहीं हुए थे। परिणाम ये हुआ कि हमारे समाज में जिज्ञासा और कल्पना को आगे बढ़ाने के बजाय भेड़चाल को प्रोत्साहन मिलने लगा था। नई शिक्षा नीति में भेड़चाल की कोई जगह नहीं है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत की, नए भारत की फाउंडेशन तैयार करने वाली है। उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, उच्च शिक्षण संस्थानों के निदेशकों और कालेजों के प्राचार्यो को संबोधित करते हुए कही। इस दौरान शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे और नीति को तैयार वाली कमेटी के अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन भी मौजूद रहे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया है। इसमें उच्च शिक्षा से जुड़े विषयों पर अलग-अलग कई सत्र भी रखे गए हैं।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हर देश,अपनी शिक्षा व्यवस्था को राष्ट्रीय मूल्य के साथ जोड़ते हुए, अपने राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुसार सुधार करते हुए चलता है। मकसद ये होता है कि देश की शिक्षा व्यवस्था, अपनी वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को भविष्य के लिए तैयार रखे, भविष्य तैयार करे। भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति का आधार भी यही सोच है।
लंबे मंथन के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकृत किया गया
इससे पहले पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में आज का ये इवेंट बहुत महत्वपूर्ण है। इस कॉन्क्लेव से भारत के एजुकेशन वर्ल्ड को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी। जितनी ज्यादा जानकारी स्पष्ट होगी फिर उतना ही आसान इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करना भी होगा। तीन-चार साल के व्यापक विचार-विमर्श के बाद, लाखों सुझावों पर लंबे मंथन के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकृत किया गया है।
देशभर में नई शिक्षा नीति पर व्यापक चर्चा हो रही है
पीएम मोदी ने इस दौरान यह भी कहा कि आज देशभर में नई शिक्षा नीति पर व्यापक चर्चा हो रही है। अलग-अलग क्षेत्र के लोग, अलग-अलग विचारधाराओं के लोग, अपनी राय दे रहे हैं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को समीक्षा कर रहे हैं। ये एक स्वस्थ चर्चा है, ये जितनी ज्यादा होगी, उतना ही लाभ देश की शिक्षा व्यवस्था को मिलेगा। आप सभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन से सीधे तौर पर जुड़े हैं और इसलिए आपकी भूमिका बहुत ज्यादा अहम है। जहां तक राजनीतिक इच्छाशक्ति की बात है, मैं पूरी तरह प्रतिबद्ध हूं, मैं पूरी तरह से आपके साथ हूं। यह खुशी की बात है कि आने के बाद देश के किसी भी क्षेत्र से, किसी भी वर्ग से ये बात नहीं उठी कि इसमें किसी तरह का पक्षपात है, या किसी एक ओर झुकी हुई है।
स्थानीय भाषा पर क्यों किया गया फोकस?
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि इस बात में कोई विवाद नहीं है कि बच्चों के घर की बोली और स्कूल में पढ़ाई की भाषा एक ही होने से बच्चों के सीखने की गति बेहतर होती है। ये एक बहुत बड़ी वजह है कि बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाने पर सहमति दी गई है। अभी तक जो हमारी शिक्षा व्यवस्था है, उसमें ‘व्हाट टू थिंक’ पर फोकस रहा है, जबकि इस शिक्षा नीति में ‘हाऊ टू थिंक’ पर बल दिया जा रहा है। ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि आज जिस दौर में हम हैं, वहां इन्फोर्मेशन और कंटेट की कोई कमी नहीं है। अब कोशिश ये है कि बच्चों को सीखने के लिए इन्क्वायरी बेस्ड, डिस्कवरी बेस्ड, डिस्कशन बेस्ड और एनालिसिस बेस्ड तरीकों पर जोर दिया जाए। इससे बच्चों में सीखने की ललक बढ़ेगी और उनके क्लास में उनकी भागीदारी भी बढ़ेगी। उच्च शिक्षा को स्ट्रीम्स से मुक्त करने, मल्टीपल एंट्री और एग्जिट के पीछे यही सोच है।
नए युग में खुद को रि-स्किल और अप-स्किल करते रहना होगा
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि हम उस युग की तरफ बढ़ रहे हैं, जहां कोई व्यक्ति जीवन भर किसी एक पेशे में ही नहीं टिका रहेगा। इसके लिए उसे निरंतर खुद को रि-स्किल और अप-स्किल करते रहना होगा। जब गांवों में जाएंगे, किसान को, श्रमिकों को, मजदूरों को काम करते देखेंगे, तभी तो उनके बारे में जान पाएंगे, उन्हें समझ पाएंगे, उनके श्रम का सम्मान करना सीख पाएंगे। इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्र शिक्षा और श्रम की गरिमा पर बहुत काम किया गया है।
हम सभी को एक साथ संकल्पबद्ध होकर काम करना है
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि जब संस्थान और इंफ्रास्ट्रक्चर में भी ये बदलाव दिखेंगे होंगे, तभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अधिक प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकेगा। अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा का रास्ता इन दोनों मतों के बीच में है। इससे गुणवत्ता को प्रोत्साहन मिलेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अमल में लाने के लिए हम सभी को एक साथ संकल्पबद्ध होकर काम करना है।
सिर्फ सर्कुलर जारी करके, नोटिफाई करके लागू नहीं होगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति
पीएम मोदी ने कहा कि यहां से विश्विद्यालय, कॉलेज, स्कूल शिक्षा बोर्ड, अलग-अलग राज्यों, अलग-अलग हित धारकों के साथ संवाद और समन्वय का नया दौर शुरु होने वाला है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिर्फ सर्कुलर जारी करके, नोटिफाई करके लागू नहीं होगी। इसके लिए मन बनाना होगा, आप सभी को दृढ़ इच्छाशक्ति दिखानी होगी। भारत के वर्तमान और भविष्य को बनाने के लिए आपके लिए ये कार्य एक महायज्ञ की तरह है।
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को याद किया
पीएम मोदी ने इस दौरान गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हुए कहा कि आज गुरुवर रवींद्रनाथ ठाकुर की पुण्यतिथि भी है। वो कहते थे – ‘उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती, बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है।’ निश्चित तौर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का बृहद लक्ष्य इसी से जुड़ा है।
शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने क्या कहा
इससे पहले नई शिक्षा नीति पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि शिक्षा नीति पब्लिक डोमेन पर डालने के बाद जो सवा दो लाख से भी ज्यादा सुझाव आए हैं उस एक-एक सुझाव का विश्लेषण करने के बाद जो अमृत निकला है वो आज आपके सामने है।
नई शिक्षा नीति की प्रमुख विशेषताएं
-नई शिक्षा नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है।
-पढ़ाई की रुपरेखा 5+3+3+4 के आधार पर तैयारी की जाएगी। इसमें अंतिम 4 वर्ष 9वीं से 12वीं शामिल हैं।
-सरकार ने वर्ष 2030 तक हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा है। स्कूली शिक्षा के बाद हर बच्चे के पास कम से कम एक लाइफ स्किल होगी। इससे वो जिस क्षेत्र में काम शुरू करना चाहेगा तो कर सकेगा। सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि GDP का 6फीसद शिक्षा में लगाया जाए, जो अभी 4.43% है।
-नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा। यह संस्थान के लिए अनिवार्य नहीं होगा।
– शिक्षा के क्षेत्र में पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम को लागू किया गया है। एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद डिग्री मिल जाएगी। इससे ऐसे छात्रों को बहुत फायदा होगा जिनकी किसी कारणवश पढ़ाई बीच में छूट जाती है।