महाराष्ट्र के राज्यपाल कोश्यारी बोले, राष्ट्र के स्वाभिमान गौरव और राष्ट्रीय अस्मिता को बचाने का दायित्व हम सबका
देहरादून। महाराष्ट्र के राज्यपाल और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि राष्ट्र के स्वाभिमान, गौरव और राष्ट्रीय अस्मिता को बचाने का दायित्व हम सबका है। इसमें सांसदों व विधायकों की विशेष जिम्मेदारी है और संसद व विधानसभाओं में यह कार्य स्वस्थ परिचर्चा के माध्यम से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें नए भारत का निर्माण करना है। इसके लिए जरूरी है कि हम ग्रामसभा से लेकर लोकसभा तक ऐसे लोग पहुंचाएं, जो देश के विकास में योगदान दे सकें।
राज्यपाल कोश्यारी सोमवार देर शाम राजपुर रोड स्थित एक होटल में उन पर केंद्रित पुस्तक ‘भारतीय संसद में भगत सिंह कोश्यारी’ के विमोचन और परिचर्चा कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। अपने चिर-परिचित अंदाज में उन्होंने कहा कि वर्षों पहले हम रेडियो पर संसद समीक्षा ध्यान से सुनते थे, जिसमें पक्ष-विपक्ष के सांसदों की बहस की समीक्षा होती थी। ऐसी ही स्वस्थ परिचर्चा सभी सदनों में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज भी संसद में ऐसे लोग हैं, जिन्होंने सहिष्णुता की परंपरा कायम की है।
राज्यसभा में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की विदाई के घटनाक्रम को भी उन्होंने सहिष्णुता का वातावरण बनाने वाला बताया और कहा कि ऐसे लोग संसद की आत्मा होते हैं। राज्यपाल कोश्यारी ने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा, राष्ट्रभाषा पर अभिमान होना चाहिए। राज्यपाल ने उदाहरण दिया कि पहले महाराष्ट्र के विश्वविद्यालयों में कार्यक्रम अंग्रेजी में होते थे, जब पहल की गई तो अब वहां मराठी में कार्यक्रम होने लगे हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए और यही बात वह कुमाऊं व गढ़वाल के निवासियों से भी कहते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उन्हें कोश्यारी के सानिध्य में रहकर सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र में कार्य करने का अवसर मिला है। पुस्तक के माध्यम से कोश्यारी के जीवन के अनछुए पहलू समाज के सामने लाए गए हैं। उन्होंने कोश्यारी से जुड़े संस्मरण भी सुनाए। टिहरी बांध का जिक्र करते हुए कहा कि इसे पूर्ण स्वरूप में लाने का श्रेय भी कोश्यारी को है। कोश्यारी ने उन्हें सीख दी कि वह अपने ही विधानसभा क्षेत्र नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश को समझने, जनसमस्याओं को जानने का प्रयास करो, वक्त आने पर व्यक्ति के अच्छे कार्यों को पहचान मिलती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन रैंक-वन पेंशन योजना लागू करने की भूमिका तैयार करने में भी कोश्यारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही।अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि राष्ट्रभाषा के विकास में कोश्यारी का बड़ा योगदान है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, उत्तराखंड भाजपा के पूर्व प्रभारी श्याम जाजू, साहित्यकार लक्ष्मी नारायण भाला, अमित जैन आदि ने भी विचार रखे।
इस मौके पर कैबिनेट मंत्री डा धनसिंह रावत, गणेश जोशी, रेखा आर्या, विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह, सांसद अजय टम्टा व नरेश बंसल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक आदि मौजूद थे। इससे पहले पुस्तक का विमोचन किया गया। यह पुस्तक कोश्यारी के लोकसभा व राज्यसभा में दिए गए भाषणों और याचिका समिति के अध्यक्ष के रूप में दिए गए निर्णयों पर आधारित है।