कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों
-ब्रह्मदत्त शर्मा जी के प्रयास से हल हुई पत्रकारों की समस्या
देहरादून। लोकतंत्र के चैथे स्तम्भ पत्रकारिता में निसंदेह इतनी क्षमता है कि सूचना विभाग की बिसात ही क्या है, पत्रकार वर्ग उस कहावत को भी धरातल पर उतार सकता है जिसमें कहा गया है ‘‘कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालों यारों’’।
-ब्रह्मदत्त शर्मा जी के प्रयास से हल हुई समस्या
समय-समय पर उच्च न्यायालयों के निर्णयों में स्पष्ट कहा गया है कि मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार नम्बर प्लेट्स के साथ नाम, पदनाम या अन्य कुछ भी अंकित नहीं किया जा सकता है। जि क्रम में एक जनहित याचिका पर पारित आदेश के अनुपालन में पुलिस गैर सरकारी वाहनों से बोर्ड आदि उतारने में लगी हुई है परन्तु इस आदेश की आड़ में पत्रकारों को बेइज्जत किया जाने का प्रयास भी होने लगा। पत्रकारों के वाहन से शीशे या अन्य स्थान पर ‘‘PRESS’’ लिखे स्टीकर को उखाड़ा जाने लगा, कई मामलों में चालान तक कर दिया। नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट के प्रदेश अध्यक्ष ब्रह्मदत्त शर्मा की अनुआई वाले प्रतिनिधि मण्डल ने जिसमें प्रमुख रूप से अनुपम त्रिवेदी, अनूप गैरोला, पवन नेगी, प्रियांशु किशोर अरोड़ा, अधीर यादव, गौरव वासुदेव, परमजीत सिंह लाम्बा, अवनीश पाल, मंगेश कुमार, अनिल यादव, वीरेन्द्र सिंह नेगी, राकेश रावत, गणेश रयाल आदि शामिल थे, इस मुद्दे पर अपर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा, जिसका परिणाम भी निकला। अशोक कुमार जी ने यातायात निदेशालय को निर्देशित किया कि पत्रकारों के वाहनों से स्टीकर्स न हटाये जायें, केवल उन्हीं पर कार्यवाही की जाये जिसने अवैध रूप से स्टीकर लगा रखा है।
-देवभूमि पत्रकार यूनियन के प्रयास से हल हुआ था रोडवेज यात्रा का मामला-
कुछ समय पूर्व रोडवेज बसों में मान्यता प्राप्त पत्रकारों की निशुल्क यात्रा पर भी समस्या पैदा करने का प्रयास हुआ था जिसके तहत पत्रकार को यात्रा के दौरान किराया अदा करना पड़ता जिसे बाद में रिइमवर्समेन्ट के द्वारा वापस लेना पड़ता, जिस पर समय रहते देवभूमि पत्रकार यूनियन ने त्वरित पहल की और परिवहन मंत्री से लेकर सम्बन्धित अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा, नतीजा सुखद रहा और समस्या का प्रारम्भिक स्तर पर ही समाधान हो गया।
-सूचना विभाग की मनमानी पर लग सकेगा अंकुश-
सूचना विभाग विज्ञापन मद को मनमाने ढंग से व्यय करता है। यह धनराशि शासकीय धन है जिसका औचित्यपूर्ण उपयोग होना चाहिए। पत्रकारों के संयुक्त प्रयास की कौन कहे यदि प्रदेश में सक्रिय यूनियनों में एक भी यूनियन ठान ले और मुख्यमंत्री स्तर पर अपना पक्ष रखे तो विज्ञापन मद को इलैक्ट्रानिक मीडिया, बड़ा प्रिन्ट मीडिया एवं छोटे-मझोले प्रिन्ट मीडिया के मध्य औचित्यपूर्ण विभाजित करना ही होगा।