देहरादून। जैन धर्म का महत्वपूर्ण और पावन पर्व, दस लक्षण पर्व, आज से धूमधाम से प्रारंभ हो गया। परम पूज्य श्रमणोपाध्याय श्री 108 विकसंत सागर जी मुनिराज ससंघ के सानिध्य में दिगंबर जैन धर्मशाला में ‘दसलक्षण महामंडल विधान’ का आयोजन हुआ। इस दौरान शहर के विभिन्न जैन मंदिरों, जैसे माजरा, राजपुर, सर्निमल और क्लेमेंटॉउन के मंदिरों में श्रद्धालुओं ने पूरे भक्तिभाव से पूजा-अर्चना, शांति धारा और प्रक्षाल किया।
उत्तम क्षमा धर्म पर मुनि श्री का प्रवचन
उत्तम क्षमा धर्म के महत्व पर प्रवचन देते हुए मुनि श्री 108 विकसंत सागर जी ने कहा कि क्रोध प्रत्येक व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है। क्रोध से व्यक्ति कई तरह के अनर्थ कर बैठता है, जो उसे चारों गतियों में भटकाने का कारण बनता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सज्जन व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में क्रोध नहीं करता, चाहे उसे कोई कितनी भी विपत्ति में डाल दे। जैसे सोना बार-बार तपाने के बाद भी अपनी चमक नहीं खोता, और चंदन को घिसने पर भी वह अपनी सुगंध नहीं छोड़ता, वैसे ही उत्तम पुरुष किसी भी परिस्थिति में अपना धैर्य और क्षमा का स्वभाव नहीं छोड़ते।
धार्मिक फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन
दस लक्षण पर्व के पहले दिन, उत्तम क्षमा धर्म के उपलक्ष्य में दिगंबर जैन महासमिति महिला इकाई द्वारा धार्मिक फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें बच्चों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। यह प्रतियोगिता दो समूहों में आयोजित हुई, जिसमें बच्चों ने अपनी-अपनी रचनात्मकता और प्रतिभा को प्रस्तुत किया। मंच संचालन में रीता जैन, मंजू जैन, शेफाली जैन, और बबिता जैन का विशेष योगदान रहा। निर्णायक मंडल में ब्रह्मचारिणी देशना दीदी और बबिता जैन ने सभी प्रतिभागियों का मूल्यांकन किया। प्रतियोगिता में लगभग 30 बच्चों ने भाग लिया, और विजेताओं को पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रंखला
सांध्यकालीन कार्यक्रम में, माजरा जैन मंदिर में जैन मिलन सुभाष नगर द्वारा “जोड़ी कमाल की” नामक एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस अवसर पर मीडिया संयोजक मधु जैन और जैन समाज के प्रमुख सदस्य जैसे विनोद जैन, नरेश चंद जैन, अंकुर जैन, अशोक जैन और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम को मनोरंजक और ज्ञानवर्धक बनाने के लिए बीच-बीच में श्रोताओं से प्रश्न पूछे गए और उन्हें पुरस्कार भी प्रदान किए गए।
इस अवसर पर संदीप जैन, अमित जैन, अर्जुन जैन, और अजीत जैन का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम में जैन समाज के सदस्यों की उत्साहपूर्ण भागीदारी ने आयोजन की शोभा बढ़ाई और इसे सफल बनाया।
निष्कर्ष
दस लक्षण पर्व जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण समय होता है, जिसमें वे आत्मशुद्धि और धर्म की गहरी समझ प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इस पर्व के प्रथम दिन उत्तम क्षमा धर्म पर दिए गए मुनि श्री के प्रवचन ने सभी को धैर्य और क्षमा का महत्व समझाया, जबकि सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने आयोजन को और अधिक मनोरंजक बना दिया।