उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में भाजपा ने पुष्कर सिंह धामी के युवा चेहरे को मुख्यमंत्री बनाकर जो मास्टर स्ट्रोक खेला

देहरादून भाजपा ने पुष्कर सिंह धामी के युवा चेहरे को मुख्यमंत्री बनाकर जो मास्टर स्ट्रोक खेला, कांग्रेस ने उसका जवाब गणेश गोदियाल को अपने सूबाई संगठन का मुखिया बनाकर दिया। तब लगा कि कांग्रेस के धुरंधर हरीश रावत ने गोदियाल के जरिये खुद को कांग्रेस का चुनावी चेहरा घोषित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है।

दरअसल, रावत लगातार कहते रहे हैं कि कांग्रेस को मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ चुनाव में जाना चाहिए। अब रावत के मंसूबों को भाजपा ने करारा झटका दे दिया है। भाजपा के उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम ने साफ कर दिया कि जिसके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा, वही अगला मुख्यमंत्री। साफ है कि भाजपा धामी के चेहरे के साथ अगले पांच साल की रणनीति बनाकर कदम बढ़ा रही है। अब कांग्रेस के सामने उलझन यह कि बुजुर्ग हरीश रावत पर दांव खेला जाए या फिर मुकाबले को युवा चेहरा ही पेश किया जाए।

पुरस्कार में भी तलाश लिया सियासी एंगल

तीलू रौतेली उत्तराखंड की वीरांगना रही हैं, सरकार इनके नाम पर हर साल विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य करने वाली मातृशक्ति को पुरस्कृत करती है। इस बार टोक्यो ओलिंपिक में शानदार प्रदर्शन करने वाली महिला हाकी टीम की सदस्य वंदना कटारिया को भी इस पुरस्कार के लिए चुना गया। वंदना हरिद्वार जिले से हैं। अब सरकार के निर्णय पर सवाल उठाना तो विपक्ष की परिपाटी और कर्तव्य है।

भला कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व मुख्यमंत्री और अब विधानसभा चुनाव संचालन समिति के सर्वेसर्वा हरीश रावत मौका कैसे चूकते। वंदना को पुरस्कार दिए जाने का स्वागत तो किया मगर साथ ही सरकार पर सवाल भी दाग दिया, मासूम और सुझाव भरे अंदाज में। हरदा ने इंटरनेट मीडिया में लिखा, वंदना को तीलू रौतेली पुरस्कार अच्छा निर्णय है। महिला क्रिकेट टीम की सदस्य स्नेह राणा, मानसी जोशी और एकता बिष्ट को भी पुरस्कृत किया जाता तो बेटियों को और प्रोत्साहन मिलता।

बोले तीरथ, सरकार सुरक्षा वापस ले लो

तीरथ सिंह रावत चार महीने ही मुख्यमंत्री रहे, मगर इस दौरान भी उनकी सादगी बरकरार रही। छोटे से कार्यकाल में अपने निजी आवास में ही निवास किया और पद से हटते ही तुरंत सांसद की भूमिका में रम गए। दरअसल, तीरथ का सियासी सफर अप्रत्याशित घटनाओं से भरा रहा है। उत्तराखंड की पहली अंतरिम सरकार में मंत्री, फिर संगठन के मुखिया का दायित्व निभाया।

2017 के विधानसभा चुनाव में सिटिंग विधायक होने के बावजूद टिकट नहीं मिला, लेकिन दो साल बाद पार्टी ने पौड़ी सीट से सांसद बना दिया। फिर अचानक तीरथ को इसी मार्च में मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल गई। नई भूमिका में ढल पाते, इससे पहले जुलाई में विदाई भी हो गई। इस कदर बदलाव, सभी भौचक, तीरथ भी। अब लगता है तीरथ का मोह-माया से विश्वास उठ गया। शायद इसीलिए उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में मिली वाई श्रेणी की सुरक्षा भी लौटाने का फैसला कर लिया।

कांग्रेस चाहे परिवर्तन और भाजपा मांगे आशीर्वाद

सूबे में छह-सात महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं, तो सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष कांग्रेस, दोनों हर हथकंडा आजमा लेना चाहते हैं। भाजपा को 2017 की तरह भारी-भरकम बहुमत के साथ फिर सत्ता में आना है, आलाकमान ने 70 में से 60 सीटें जीतने का लक्ष्य जो दिया है। एक तो पांच साल सत्ता में रहकर जनमत का मन जीतना आसान काम नहीं, दूसरे उत्तराखंड में अब तक हुए चार विधानसभा चुनाव में कभी कोई पार्टी रिपीट नहीं हुई।

इसे मुमकिन करना है तो जनता का आशीर्वाद जरूरी है, लिहाजा भाजपा जन आशीर्वाद यात्रा निकाल रही है। उधर, कांग्रेस को पिछले चुनाव में 11 पर सिमटना पड़ा, अब उसे सत्ता में वापसी के लिए बड़े परिवर्तन की दरकार है, तब ही बहुमत के 36 के आंकड़े को छुआ जा सकता है। परिवर्तन हो या न हो, मगर कांग्रेस चुनाव अभियान की शुरुआत जरूर परिवर्तन यात्रा के साथ करने जा रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button