उत्तराखण्ड

छात्रसंघ चुनाव में प्रचार चरम पर, लिंगदोह की सिफारिशों की उड़ रही धज्जियां

देहरादून: दून के विभिन्न कॉलेजों में हो रहे छात्रसंघ चुनाव को लेकर प्रचार अभियान भी तेज हो गया। चुनाव में लिंगदोह की सिफारिशों की खूब धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। वहीं, प्रचार-प्रसार में खूब धन बहाया जा रहा है।

जगह-जगह पोस्टर और पर्चे चस्पा कर शहर की सूरत बिगाड़ी जा रही हैं। वहीं इन सबके बीच एमकेपी महाविद्यालय में छात्राएं लिंगदोह समिति की सिफारिशों का शालीनता के साथ पालन कर रही हैं।

नियम के मुताबिक चुनावी उम्मीदवार और उनके समर्थक अपने हाथों से पोस्टर, बैनर और पर्चे तैयार कर प्रचार कर सकते हैं। वहीं पोस्टरों और बैनरों को भी केवल कॉलेज परिसर में ही चस्पा किया जा रहा है।

एमकेपी के छात्र संगठनों का भी मानना है कि लिंगदोह की सिफारिशों का चुनाव में पूर्णतया पालन करना चाहिए। चुनाव में पैसा नहीं प्रत्याशी की नेतृत्व क्षमता और उसका चुनावी एजेंडा देखा जाना चाहिए। वहीं कॉलेज प्रशासन भी इन नियमों को पूरी तरह पालन करने के लिए प्रत्याशियों पर नजर रख रहा है।

छात्राओं के गुटों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए हस्तनिर्मित प्रचार सामग्री तैयार की है। जिसके जरिए वह उनके लिए समर्थन की अपील कर रही हैं। एमकेपी महाविद्यालय की चुनाव अधिकारी तुष्टि मैठाणी के अनुसार कॉलेज परिसर में लिंगदोह सिफारिशों  के अनुरूप ही कार्य किया जा रहा है। सभी छात्र संगठनों के साथ पूर्व में बैठक कर उन्हें चुनावी नियमों से रूबरू करा दिया गया था। उनकी ओर से भी अभी तक कोई अनुशासनहीनता सामने नहीं आई है। अगर कोई भी नियम विरुद्ध कार्य करेगा तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।

अभाविप के लिए मुश्किल, आर्यन ने भी कदम खींचे

एसजीआरआर पीजी कॉलेज में अभाविप की राह मुश्किल होती दिख रही है। यहां अध्यक्ष पद पर अभाविप का बागी भी मैदान में उतर गया है। इसके अलावा आर्यन के लिए भी यहां अजीब स्थिति बन गई।  टिकट बंटवारे को लेकर उपजे गतिरोध के बीच संगठन को कदम पीछे खींचने पड़े।

एसजीआरआर कॉलेज में टिकट नहीं मिलने से नाराज कॉलेज के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप पंत, पूर्व प्रत्याशी विपिन कांबोज सहित कई अभाविप कार्यकर्ताओं ने सोमवार को सामूहिक इस्तीफा दे दिया था। मंगलवार को बागी गुट ने निर्दलीय प्रत्याशी प्रविंद्र गुप्ता को मैदान में उतार दिया। ऐसे में अभाविप के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार गिरीश भट्ट को एनएसयूआइ के अलावा बागी उम्मीदवार से भी पार पाना होगा।

इधर, महासचिव पद पर आर्यन ने कोई अधिकृत प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा है। जबकि अकमल अली को संगठन ने अपना प्रत्याशी घोषित किया था। टिकट बंटवारे पर उपजे असंतोष के बीच संगठन ने कदम खींच लिए। संगठन से ही ताल्लुख रखने वाले दो उम्मीदवार अब निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व में उम्मीदवार बनाए गए अकमल अली और शिवांग प्रताप राना के बीच सीधा मुकाबला है।

छात्र संगठनों ने दल बदलने का खेल चरम पर

छात्र नेताओं का पाला बदलने का सिलसिला नहीं थम रहा है। आठ छात्र नेताओं ने एनएसयूआइ का दामन थाम लिया। कांग्रेस भवन में आयोजित बैठक में इन छात्र नेताओं ने कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा, पूर्व अध्यक्ष पृथ्वीराज चौहान, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना आदि की उपस्थिति में एनएसयूआइ से डीएवी में अध्यक्ष पद के दावेदार आदित्य बिष्ट के समर्थन में प्रचार करने का आश्वासन दिया। एनएसयूआइ ज्वाइन करने वालों में पूर्व विवि प्रतिनिधि गुड्डी बिष्ट, राजेश भट्ट, कृष्ण कुमार, मुनेंद्र आर्य, संध्या रोथाण, शिवम भंडारी, सतीश नौटियाल, संजय उनियाल शामिल हैं।

आर्यन में शामिल हुए छह छात्र नेता

आर्यन छात्र संगठन के जिला प्रभारी सचिन थपलियाल ने दावा किया कि मंगलवार को उनके विरोधी छात्र संगठन से छह छात्र नेता योगेश चौधरी, कुलवंत कुमार, नवीन सकलानी, विनोद कवि, अनीस राठौर एवं निशांत शर्मा आर्यन में शामिल हो गए। इस दौरान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष नरेश राणा भी मौजूद रहे।

सभी चुनें- सही चुनें

डीबीएस महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.एके बियानी के अनुसार छात्र संघ चुनाव लोकतंत्रिक चुनाव प्रणाली की पहली सीढ़ी है। छात्र-छात्राओं को इससे काफी कुछ सीखने को मिलता है। भविष्य में राजनीति को सेवा क्षेत्र सुनने वाले युवाओं को चुनाव की सभी प्रणालियों की जानकारी होनी चाहिए। सभी छात्रों को मतदान में हिस्सा लेकर बेहतर नेता चुनना चाहिए।

भावनाओं पर नियंत्रण जरूरी 

डीबीएस कॉलेज के मुख्य चुनाव अधिकारी डॉ. दिलीप शर्मा के अनुसार छात्र राजनीति में भावनाओं पर नियंत्रण रखना जरूरी है। युवा होने के चलते कई बार जोश में आकर छात्र हुड़दंग मचाना शुरू कर देते हैं। छात्र राजनीति में ङ्क्षहसा की कोई जगह नहीं है। छात्रों को शत प्रतिशत मतदान में हिस्सा लेना चाहिए और परिसर की बेहतरी के लिए बेहतर नेता का चुनाव करना चाहिए।

युवा बनें रोल मॉडल  

सहायक प्राध्यापक, एसजीआरआर डॉ. हर्षवर्धन पंत ने कहा कि छात्रों को शिक्षा के उन्नयन में सहायक बनना चाहिए न कि बाधक। छात्र संघ आदर्श चुनाव होने चाहिए। युवा जब रोल मॉडल बनेंगे तो देश की राजनीति में भी सकारात्मक परिवर्तन आएंगे। छात्राओं में चुनाव को लेकर जोश भविष्य के शुभ संकेत हैं। सभी छात्रों को मतदान में हिस्सा लेना चाहिए।

लिंगदोह की सिफारिशों की खूब उड़ीं धज्जियां

शहर के तीन प्रमुख कॉलेज डीएवी, डीबीएस और एसजीआरआर पीजी कॉलेज में नामांकन के दौरान लिंगदोह समिति की सिफारिशों की जमकर धच्जियां उड़ाई गईं। आलम यह रहा कि प्रत्याशियों के समर्थकों ने कॉलेज के सामने हैंडबिल उड़ाए और हाथों में डंडे-पटरे आदि लेकर नारेबाजी की। यहां तक की आतिशबाजी भी की गई। कॉलेज तक जाने वाले मार्ग और नजदीकी चौराहे पोस्टरों व पंफलेट से पटे रहे।

डीएवी 

शहरभर के गली-चौहारों पर डीएवी पीजी कॉलेज के दावेदारों को आसानी से देखा जा सकता है। कॉलेज प्रशासन के तमाम दावे भी छात्रों के सामने हवा नजर आ रहे हैं। कॉलेज परिसर में जुलूस की सख्त मनाही है पर छात्र संगठनों ने नामांकन के दिन ही इस नियम को तार-तार कर दिया। वह अपने साथ समर्थकों का हुजूम लेकर पहुंचे। परिसर में काफी देर तक प्रचार करते रहे।

डीबीएस 

डीबीएस पीजी कॉलेज में स्थिति कुछ हद तक ठीक रही। यहां बाहर दीवारों पर छात्र नेताओं ने बड़े-बड़े फ्लैक्स लगाए हैं। इसके अलावा आसपास का पूरा क्षेत्र पोस्टर से अटा पड़ा है। यह अलग बात है कि परिसर में बैनर-पोस्टर नहीं दिखाई दे रहे। यहां भी समर्थक हैंडबिल उड़ाते नजर आए।

एसजीआरआर 

एसजीआरआर में भी लिंगदोह की सिफारिशों की खूब धज्जियां उड़ रही हैं। यहां ठीक कॉलेज गेट के सामने प्रत्याशियों के बड़े-बड़े फ्लैक्स लगे हैं। इसके अलावा कॉलेज परिसर में हर जगह हैंडबिल बिखरे दिख रहे हैं। जुलूस निकालने की मनाही है, पर प्रत्याशियों ने इससे भी परहेज नहीं किया। न केवल जुलूस निकाला, बल्कि आतिशबाजी भी जमकर की।

छात्रसंघ चुनाव के दौरान सुरक्षा बनी चुनौती

विश्वविद्यालय परिसर और डिग्री कॉलेजों में एक ही तिथि को होने जा रहे छात्रसंघ चुनाव के दौरान सुरक्षा और शांति व्यवस्था बड़ी चुनौती होगी। वजह यह कि एक साथ चुनाव के चलते सभी जगह पीएसी मिलने के आसार कम हो गए हैं। ऐसे में जिलों को अपने स्तर से सुरक्षा की व्यवस्था बनानी होगी।

दून के डीएवी, डीबीएस व एसजीआरआर में हुई नामांकन प्रक्रिया के दौरान तीनों कॉलेजों में फोर्स की कमी देखने को मिली। सर्वाधिक छात्र संख्या वाले डीएवी में बमुश्किल बीस पुलिस कर्मी ही तैनात दिखे। कमोबेश यही हाल डीबीएस और एसजीआरआर का भी रहा।

गौरतलब है कि गत वर्ष तक डीएवी में चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले अस्थायी पुलिस चौकी खोलने के साथ वहां पीएसी भी डेरा डाल देती थी, लेकिन इस बार डालनवाला कोतवाली के भरोसे ही यहां सुरक्षा का बेड़ा पार करने कोशिश की जा रही है। जबकि, डीएवी कॉलेज का इतिहास रहा है कि वहां एक महीने पहले से ही पीएसी को तैनात कर दिया जाता था। ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो।

फिर भी छात्र वहां हुड़दंग मचाने से बाज नहीं आते थे। ऐसे में इस बार चुनौती बड़ी होगी। एसपी सिटी ने छात्र नेताओं के साथ की बैठक छात्रसंघ चुनाव को लेकर एसपी सिटी पीके राय ने डीएवी पीजी कॉलेज में छात्र नेताओं के साथ बैठक की। बैठक में उन्होंने चुनाव के दौरान लिंगदोह कमेटी की नई सिफारिशों के अनुरूप चुनाव लड़ने और शांति व्यवस्था बनाए रखने को कहा। साथ ही हुड़दंग करने वाले तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी।

बैठक में सीओ डालनवाला जया बलूनी, इंस्पेक्टर राजीव रौथाण भी मौजूद रहे। महाविद्यालयों में हो रहे छात्रसंघ चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए पुलिस मुख्यालय से पीएसी की मांग की जा रही है।

एसएसपी देहरादून निवेदिता कुकरेती के अनुसार फिलहाल स्थानीय स्तर पर पुलिस लाइन से और उन थानों से फोर्स बुलाई जाएगी, जो थाने चुनाव क्षेत्र से बाहर हैं। साथ ही एटीएस, क्यूआरटी की भी चुनाव में ड्यूटी के आदेश जल्द जारी कर दिए जाएंगे।

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