उत्तराखण्ड

उत्‍तराखंड में आपदा की श्रेणी में आएगा वन्यजीवों का हमला

देहरादून। उत्तराखंड में लगातार गहराते मानव-वन्यजीव संघर्ष को आपदा में शामिल करने की तैयारी है। इसके लिए शासन स्तर पर लगभग सहमति बन चुकी है। फिलहाल इसका मसौदा तैयार हो रहा है, जो लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के बाद कैबिनेट में रखा जाएगा। इस मुहिम के परवान चढऩे पर उत्तर प्रदेश के बाद उत्तराखंड देश का ऐसा दूसरा राज्य बन जाएगा। मानव-वन्यजीव संघर्ष के आपदा में शामिल होने से जहां इस जंग की रोकथाम को कदम उठाए जा सकेंगे, वहीं वन्यजीवों के हमलों में क्षति पर मुआवजा राशि भी बढ़ेगी और तत्काल भुगतान हो सकेगा।

71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक शायद ही कोई इलाका ऐसा होगा, जहां वन्यजीवों ने आमजन की मुश्किलें न बढ़ाई हों। विभागीय आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। वर्ष 2012-13 से अब तक के वक्फे में 326 लोगों को जंगली जानवरों के हमलों में जान गंवानी पड़ी, जबकि घायलों की संख्या 1300 से अधिक है। यही नहीं, वन्यजीवों ने इस अवधि में 31 हजार मवेशियों को निवाला बनाया और 2000 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें चौपट कर डालीं। सूरतेहाल, क्षति का मुआवजा देने में वन महकमे को पसीने छूट रहे हैं। अब तक 51 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति दी जा चुकी है और अभी भी काफी संख्या में मुआवजे के प्रकरण लंबित हैं।

इस सबको देखते हुए पिछले साल से राज्य में मानव-वन्यजीव संघर्ष को आपदा में शामिल करने पर जोर दिया जा रहा है। वन विभाग ने भी इस संबंध में शासन को पत्र भेजा था। सूत्रों के मुताबिक गत वर्ष उत्तर प्रदेश में मानव-वन्यजीव संघर्ष को आपदा में शामिल किए जाने के बाद राज्य में इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने का निश्चय किया गया। सूत्रों ने बताया कि शासन स्तर पर इस बारे में लगभग सहमति बन चुकी है। विभाग की ओर से हाल ही में इस बारे में मिले स्मरण पत्र के बाद उच्च स्तर पर गहन मंथन हुआ। अब इस मसौदे को कैबिनेट में लाने के लिए लोस चुनाव की आचार संहिता खत्म होने का इंतजार है।

यह होंगे फायदे

  • संघर्ष थामने को उठाए जाने वाले कदमों के लिए बजट का नहीं होगा संकट
  • वन्यजीवों के हमले में मृत्यु पर मुआवजा तीन से बढ़कर होगा चार लाख
  • मानव-वन्यजीव संघर्ष के आपदा में शामिल होने पर पूरा सिस्टम होगा सक्रिय
  • वन, पुलिस, प्रशासन, आपदा राहत बल समेत अन्य विभागों की बढ़ेगी जिम्मेदारी
  • आपदा मद में केंद्र से भी इसके लिए राज्य को मदद मिलेगी।

डॉ.हरक सिंह रावत (वन मंत्री, उत्तराखंड) का कहना है कि राज्य में मानव-वन्यजीव संघर्ष को लेकर सरकार गंभीर है। इसे आपदा की श्रेणी में लाने के मद्देनजर पिछले साल से कसरत चल रही है। लोस चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के बाद इस दिशा में तेजी से कार्य होगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button