दिवाली कितने दिन और क्यों मनाई जाती है,जानें इस त्योहार के बारे में सब कुछ
दिवाली रोशनी का त्योहार होता है, जो बुराई पर अच्छाई और अज्ञानता पर ज्ञान की जीत का उत्सव मनाता है। वैसे तो यह त्योहार पूरा देश मनाता है लेकिन इसे मुख्य रूप से हिन्दू, सिख और जैन धर्म के लोग मनाते हैं। दिवाली शब्द संस्कृत भाषा से आया है, जिसका मतलब होता है ‘रोशनी ही रोशनी’।
यह दिन धन की देवी लक्ष्मी और राम व सीता की कथा के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग अपने घर की साफ सफाई कर उसे दियों, लाइट्स और रंगोली से सजाते हैं। साथ ही पटाखे जलाना, परिवार से मिलना और रिश्तेदारों व दोस्तों में तोफे बांटना इस त्योहार का हिस्सा है।
क्या है दिवाली?
दिवाली, रोशनी का पांच दिन चलने वाला त्योहार होता है। इस उत्सव को खुशी, क्षमा, ज्ञान, धन की देवी, लक्ष्मी, राम और सीता की कहानी जैसे कई तरह की विषयों के लिए मनाया जाता है। अगर कम शब्दों में कहें तो ये त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है।
दिवाली भारत का बड़ा त्योहार है इसीलिए सभी धर्मों के लोग इस दिन अपने घरों को सजाते और संवारते हैं। दिए और लाइट्स लगाते हैं और साथ ही रंगोली भी बनाते हैं। इस दिन लोग नाच, गाना और स्वादिष्ट खाना खाकर खुशियां मनाते हैं।
दिवाली 2019 कब है?
ये त्योहार अक्सर अक्टूबर या नवंबर के महीने में आता है। इसकी तारीख चंद्रमा पर निर्भर करती है, यानी हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक ये कार्तिक महीने की 15वीं तारीख को होती है। इस बार दिवाली 27 अक्टूबर को पड़ रही है। वहीं, ये त्योहार 5 दिन मनाया जाता है। जिसमें तीसरे दिन दिवाली होती है। हालांकि, हर दिन का अपना एक खास महत्व है।
पहला दिन: “धनतेरस”: यह दिन समृद्धि का जश्न मनाने और देवी लक्ष्मी के आगमन के लिए समर्पित होता है। जिनके बारे में माना जाता है कि वह इस दिन सागर से निकली थीं। धनतेरस यानी अपने धन को तेरह गुणा बनाने और उसमें वृद्धि करने का दिन। इसी दिन भगवान धनवन्तरी का जन्म हुआ था जो कि समुन्द्र मंथन के दौरान अपने साथ अमृत का कलश व आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे और इसी कारण से भगवान धनवन्तरी को औषधी का जनक भी कहा जाता है। धनतेरस के दिन सोने-चांदी के बर्तन खरीदना भी शुभ माना जाता है। इस दिन धातु खरीदना भी बेहद शुभ माना जाता है।
दूसरा दिन: “नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली”: बड़ी दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है। यह इस साल 26 अक्टूबर को है। इस दिन रात को घर के बाहर यम की पूजा की जाती है। छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। नरक चतुर्दशी पर कई घरों में रात को घर का सबसे बुजुर्ग सदस्य एक दीपक जलाकर पूरे घर में घुमाता है। फिर उस दीपक को ले जाकर घर से बाहर कहीं दूर रख देता है। घर के सभी सदस्य अंदर रहते हैं और इस दीपक को नहीं देखते हैं। यह यम का दीपक कहलाता है।
तीसरा दिन: “अमावस्या या लक्ष्मी पूजा”: रविवार, 27 अक्टूबर की सुबह चतुर्दशी तिथि रहेगी और शाम को अमावस्या रहेगी। इस वजह से रविवार को ही लक्ष्मी पूजन किया जाएगा। मां लक्ष्मी को धन, भाग्य, समृद्धि और सुंदरता की देवी माना जाता है।
चौथा दिन: “गोवर्धन पूजा”: गोवर्धन पूजा करने के पीछे धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण इंद्र का अभिमान चूर करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गोकुल वासियों की इंद्र से रक्षा की थी। माना जाता है कि इसके बाद भगवान कृष्ण ने स्वंय कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56 भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का आदेश दिया दिया था। तभी से गोवर्धन पूजा की प्रथा आज भी कायम है और हर साल गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का त्योहार मनाया जाता है।
पांचवां दिन: “भाई दूज”: इस त्योहार के आखिरी दिन भाई दूज का त्योहरा मनाया जाता है। इस तिथि से यमराज और द्वितीया तिथि का सम्बन्ध होने के कारण इसको यमद्वितिया भी कहा जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं, उनका स्वागत सत्कार करती हैं और उनकी लम्बी आयु की कामना करती हैं। माना जाता है कि जो भाई इस दिन बहन के घर पर जाकर भोजन करता है और तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है।