उत्तराखण्ड

अनलाक-1 के तहत पाबंदियों के बीच धर्मनगरी में उल्लास और उमंग के साथ गंगा दशहरा पर्व मनाया जा रहा

अनलाक-1 के तहत सरकारी पाबंदियों के बीच धर्मनगरी में उल्लास और उमंग के साथ गंगा दशहरा और गायत्री जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। हालांकि, इस मौके पर सरकारी पाबंदी के चलते लोग गंगा स्नान के लिए हर की पैड़ी या अन्य गंगा घाटों पर सामूहिक रूप से नहीं जा पा रहे हैं। इसलिए गंगा स्नान को लेकर भीड़ नजर नहीं आ रही। मंदिरों के कपाट भी बंद है। इसलिए लोग घरों में ही पूजा-पाठ कर ले रहे हैं। सामान्य दिनों में इस मौके पर हरिद्वार में लाखों की भीड़ जमा होती थी और सुबह के प्रथम पहर में ही 5 से 10 लाख लोग गंगा स्नान कर चुके होते थे।

हस्त नक्षत्र और सिद्धि योग में गंगा दशहरा पर हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान करने वालों की भारी भीड़ जमा होती थी, लेकिन रोक के चलते पुलिस ने वहां पर भारी सुरक्षा प्रबंध किए हुए हैं जिससे इक्का-दुक्का लोगों को छोड़कर हर की पैड़ी पर कोई नहीं पहुंच पा रहा। हर साल इस मौके पर हाईवे और पूरे शहर में जगह-जगह श्रद्धालुओं छबील लगाकर शरबत और प्रसाद का वितरण करते थे, जो इस बार नहीं हो पा रहा है।

ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की दशमी पर हस्त नक्षत्र और सिद्घि योग में गंगा दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है। दशमी तिथि 31 मई को शाम 5 बजकर 36 मिनट से प्रारंभ होकर एक जून को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट तक है।

महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद सप्त ऋषि क्षेत्र में गंगा स्नान कर विश्व शांति, विश्व स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना की। उन्होंने भगवान शिव का गंगाजल से जलाभिषेक कर पूजा अर्चना भी की और दान दक्षिणा भी दी। मान्यता है कि गंगा दशहरे पर गंगा स्नान करने से मनुष्य के 10 प्रकार के पापों का नाश होता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार गंगा दशहरा दस शुभ वैदिक गणनाओं के लिए मनाया जाता है। गंगा दशहरे में विचारों, भाषण और कार्यों से जुड़े दस प्रकार के पापों को धोने की गंगा की क्षमता है।

दस वैदिक गणनाओं में ज्येष्ठ माह, शुक्लपक्ष, दसवां दिन, गुरुवार, हस्त नक्षत्र, सिद्धि योग, आनंद योग और कन्या राशि में चंद्रमा और वृषभ राशि में सूर्य शामिल हैं। मान्यता ऐसी है कि इस दिन मां गंगा की पूजा करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इसी दिन गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। हिंदू मान्यता के अनुसार गंगा को देवों की नदी कहा जाता है। गंगा दशहरे वाले दिन गंगा माता की पूजा अर्चना होती है। साथ ही काशी, हरिद्वार और प्रयागराज के घाटों पर लोग गंगा माता के पवित्र जल में स्नान कर भक्त अपने पापों का अंत करते हैं। मगर इस बार अनलाक-1 की पाबंदियों के चलते ऐसा करना संभव नहीं होगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button