पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी की टिकट की कुर्बानी उनके करीबी के नहीं आ सकी काम
हल्द्वानी। पूर्व मुख्यमंत्री व नैनीताल सांसद भगत सिंह कोश्यारी की टिकट की कुर्बानी उनके बेहद करीबी माने जाने वाले खटीमा के विधायक पुष्कर सिंह धामी व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के काम नहीं आ सकी। वह पिछले एक सप्ताह से खुद की दावेदारी खारिज करते हुए किसी युवा नेता को टिकट देने की वकालत कर रहे थे। चूंकि टिकट के दावेदारों में पुष्कर सिंह धामी सबसे युवा थे और कोश्यारी के बेहद करीबी भी थे, लिहाजा माना जा रहा था कि कोश्यारी उन्हें ही टिकट दिलवाना चाहते थे। यशपाल आर्य और पुष्कर धामी भी खुद के लिए लगातार टिकट की मांग तो कर रहे थे, लेकिन शर्त यह थी कि कोश्यारी चुनाव न लड़ें तो ही। कहा यह भी जा रहा था कि कोश्यारी की यह भी कोशिश थी कि यदि किसी कारणवश धामी को टिकट नहीं मिलता है तो यशपाल आर्य को मिल जाए।
नैनीताल सीट से टिकट के दावेदारों में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य, कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत, पूर्व सांसद बलराज पासी, भाजपा के प्रदेश महासचिव गजराज बिष्ट और खटीमा विधायक पुष्कर सिंह धामी शामिल थे। वैसे तो भगत सिंह कोश्यारी लंबे समय से यह बात कह रहे थे कि इस बार वह टिकट के लिए दावेदारी नहीं करेंगे, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट लगातार यह बात कह रहे थे कि नैनीताल सीट पर मौजूदा सांसद को ही मौका मिलेगा। एक सप्ताह पूर्व कोश्यारी ने जब सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट किया कि उनकी जगह किसी युवा चेहरे को मौका मिलना चाहिए तो पुष्कर की दावेदारी अचानक मजबूत लगने लगी थी। क्योंकि टिकट के दावेदारों में वह सबसे युवा थे और कोश्यारी के सबसे करीबी भी। इसके साथ ही उन भाजपा नेताओं के भी पंख लग गए थे, जो कोश्यारी की वरिष्ठता को देखते हुए टिकट की दावेदारी नहीं कर रहे थे। इनमें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट व प्रदेश उपाध्यक्ष राजू भंडारी भी शामिल थे। पिछले एक सप्ताह से अजय भट्ट, राजू भंडारी और पुष्कर धामी के नाम की चर्चा चल रही थी। तीनों नेताओं ने दिल्ली में डेरा डाल रखा था और अपने-अपने समर्थकों को यह आश्वस्त कर रखा था कि टिकट उन्हें ही मिलेगा। तीनों के समर्थक सोशल मीडिया पर लगातार अपने-अपने नेताओं को टिकट मिलने का दावा कर रहे थे और लोगों से उन्हें विजयी बनाने की अपील कर रहे थे, लेकिन होली की शाम 7.30 बजे भाजपा के टिकटों की घोषणा के साथ ही ऊहापोह की स्थिति समाप्त हो गई। अजय भट्ट का नाम अधिकृत प्रत्याशी के रूप में सामने आ गया।|
कांग्रेस से आए विधायकों को नहीं मिला मौका
विधानसभा चुनाव से कुछ माह पूर्व कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए विधायकों में यशपाल आर्य नैनीताल सीट से और रेखा आर्य अल्मोड़ा सीट से लोकसभा का टिकट मांग रही थीं, लेकिन पार्टी ने फिलहाल इस चुनाव में उन्हें मौका नहीं दिया। इसके पीछे एक वजह भाजपा का परिवारवाद से बचने की कोशिश भी बताई जा रही है। भाजपा को आशंका थी कि यदि यशपाल आर्य को नैनीताल सीट से लोकसभा चुनाव लड़ाया जाता है और वह जीत जाते हैं, तो वह बाजपुर विधानसभा क्षेत्र की रिक्त सीट पर अपने परिवार के किसी अन्य सदस्य को टिकट देने का दबाव बना सकते हैं। यही आशंका रेखा आर्य के मामले में भी जताई जा रही थी। यदि रेखा अल्मोड़ा से प्रत्याशी घोषित हो जातीं और उन्हें जीत हासिल हो जाती तो वह सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र की रिक्त सीट से परिवार के किसी अन्य सदस्य को टिकट देने का दबाव बना सकती थीं।