पूर्व कैबिनेट मंत्री लाखीराम जोशी को भारतीय जनता पार्टी से निलंबित कर दिया गया
भाजपा से निलंबित पूर्व मंत्री लाखीराम जोशी ने अपना जवाब प्रदेश भाजपा को सौंप दिया है। जोशी ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसलों पर अंगुली उठाते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र भेजा था। प्रदेश भाजपा ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए जोशी को पार्टी से निलंबित करने के साथ ही कारण बताओ नोटिस भेजा था। उधर, जोशी का कहना है कि उनके द्वारा कोई अनुशासनहीनता नहीं की गई। उन्होंने तो पार्टी की छवि को लेकर पत्र लिखा था और मांग की थी कि जिस मामले का अदालत ने संज्ञान लिया है, उसके संबंध में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी संज्ञान ले और कार्रवाई करे।
टिहरी के पूर्व विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री जोशी का प्रधानमंत्री को भेजा गया एक पत्र पिछले माह इंटरनेट मीडिया में वायरल हुआ था। इसमें जोशी ने कहा था कि प्रदेश सरकार के तीन साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए विवादास्पद निर्णयों से पार्टी की छवि को धक्का लगा है। पत्र में नैनीताल हाईकोर्ट के उस आदेश का भी जिक्र किया गया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। प्रदेश भाजपा ने प्रकरण का संज्ञान लेते हुए इसे अनुशासनहीनता माना और बीती 13 नवंबर को पूर्व मंत्री जोशी को पार्टी से निलंबित करने के साथ ही उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा। उन्हें नोटिस मिलने पर सात दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया। अब जाकर उन्होंने प्रदेश भाजपा को जवाब दिया है।
बताया गया कि पार्टी की ओर से उन्हें टिहरी के पते पर नोटिस भेजा गया था, जो 27 नवंबर को मिला।इस बीच पूर्व मंत्री जोशी शुक्रवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे और प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार को बंद लिफाफे में अपना जवाब सौंपा। प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने बताया कि जोशी के जवाब से संबंधित लिफाफा प्रदेश अध्यक्ष को सौंपा जाएगा। इसके बाद ही इस मामले में कोई फैसला लिया जाएगा।
जोशी का जवाब बना चर्चा का विषय
पूर्व मंत्री जोशी ने नोटिस का जवाब देने के लिए जो दिन चुना, वह भी चर्चा के केंद्र में रहा। असल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शुक्रवार को चार दिन के प्रवास पर उत्तराखंड पहुंचे और इसी दिन जोशी ने प्रदेश भाजपा को जवाब भी सौंपा। ऐसे में सियासी गलियारों में इसे लेकर चर्चा स्वाभाविक थी।