डीजीपी मुख्यालय ने सभी जिलों में नकारा पुलिसकर्मियों की स्क्रीनिंग किये जाने का दिया निर्देश
लखनऊ, उत्तर प्रदेश में दागी और भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की फिर छटनी शुरू होने जा रही है। डीजीपी मुख्यालय ने सभी जिलों में नकारा पुलिसकर्मियों की स्क्रीनिंग किये जाने का निर्देश दिया है। 50 वर्ष व उससे अधिक आयु के दागी पुलिसकर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त देने के लिए स्क्रीनिंग शुरू करने का आदेश दिया गया है। योगी सरकार की जीरो टालरेंस की नीति के तहत पहले भी दागी पुलिसकर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है। बीते दिनों तीन आइपीएस अधिकारियों को भी अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई थी। 30 नवंबर तक स्क्रीनिंग का ब्योरा डीजीपी मुख्यालय भेजने का निर्देश दिया गया है।
उत्तर प्रदेश के एडीजी स्थापना संजय सिंघल की ओर से सभी जिलों के एसएसपी, एसपी और पुलिस कमिश्नरों भेजे गए पत्र में 50 साल या इससे ऊपर की उम्र के कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति देने के लिए स्क्रीनिंग की कार्यवाई समय और नियम के मुताबिक कराने को कहा गया है। इस पत्र में 26 अक्टूबर, 1985 से लेकर छह जुलाई, 2017 तक के कई शासनादेशों का हवाला भी दिया गया है और पहले की तरह कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है।
पत्र में साफ लिखा है कि 30 मार्च, 2021 को 50 साल या इससे अधिक की उम्र के पुलिसकर्मियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करने के लिए स्क्रीनिंग की कार्यवाई कराई जाए। स्क्रीनिंग कमेटी में नान गजेटेड पुलिसकर्मियों को नियुक्त करने वाले अधिकारियों को रखने की बात भी कही गई है। दागी, भ्रष्ट, अयोग्य और अनुशासन का पालन न करने वाले पुलिसकर्मियों की स्क्रीनिंग करा कर 30 नवंबर, 2021 तक एडीजी स्थापना के दफ्तर को सूचित करने का आदेश दिया गया है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति के तहत इसमें लिप्त अफसरों और कर्मचारियों की स्क्रीनिग के आदेश दिए हैं। अब तक तीन आइपीएस अधिकारी समेत चार सौ से ज्यादा पुलिसकर्मियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति दिया जा चुका है। आइपीएस अमिताभ ठाकुर, राकेश शंकर और राजेश कृष्णा इसी नीति के तहत रिटायर कर दिए गए थे।
दरअसल, पुलिसकर्मियों के प्रदर्शन और योग्यता के लिए हर साल उनकी एसीआर बनाई जाती है। इसी के आधार पर ही छंटनी की शुरुआत होती है। उत्तर प्रदेश में कर्मचारियों की भर्ती नियमावली के नियम 56 ग के तहत कर्मचारियों की उपयुक्तता को उसका नियुक्ति अधिकारी तय करता है और एक स्क्रीनिंग कमेटी बनाकर अनुपयुक्त और अयोग्य कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति किया जाता है।