मसूरी में मजदूर संघ का प्रदर्शन: शिफन कोर्ट के बेघरों की मांगें और प्रशासन पर सवाल

शिफन कोर्ट के बेघरों के लिए पुनर्वास की मांग

मसूरी। शिफन कोर्ट के उजड़ने के चार साल बाद भी, यहां के 84 परिवारों की मांगें पूरी नहीं हो पाई हैं। इस असंतोष के चलते मसूरी मजदूर संघ ने आज शहीद स्थल पर एक दिवसीय उपवास रखा और पूर्व पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता तथा प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से शीघ्रता से बेघर परिवारों को पुनः बसाने की मांग की।

अनिश्चितकालीन धरने की तैयारी

मजदूर संघ ने घोषणा की कि 28 अगस्त को वे अपनी तीन प्रमुख मांगों को लेकर शहीद स्थल पर अनिश्चितकालीन धरना देंगे। अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं, तो 2 सितंबर को मसूरी गोलीकांड की बरसी के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आगमन पर उनका घेराव किया जाएगा और कार्यक्रम का बहिष्कार किया जाएगा।

मूलभूत मांगें और प्रशासन का रुख

मजदूर संघ की तीन प्रमुख मांगों में मसूरी में साइकिल रिक्शा को ई-रिक्शा में परिवर्तित करना, शिफन कोर्ट के 84 बेघर परिवारों के लिए आवास का निर्माण, और मसूरी बेकरी हिल एमडीडीए पार्किंग को मजदूर संघ के नाम पर वापस करना शामिल है। संघ का आरोप है कि प्रशासन और सरकार उनकी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं, और उन्हें केवल आश्वासन दिया जा रहा है।

शिफन कोर्ट के पुनर्वास में देरी

मजदूर संघ का कहना है कि मसूरी पुरुकुल रोपवे परियोजना के तहत शिफन कोर्ट में रहने वाले 84 परिवारों को कोविड के दौरान बेघर कर दिया गया था। इसके बाद, मंत्री गणेश जोशी और मुख्यमंत्री धामी ने हंस फाउंडेशन के माध्यम से आईडीएच बिल्डिंग में इन परिवारों के लिए आवास बनाने का शिलान्यास किया था। हालांकि, शिलान्यास के बाद से अब तक इस परियोजना में कोई प्रगति नहीं हुई है।

आंदोलन की चेतावनी

संघ ने आरोप लगाया कि पूर्व पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने भी उन्हें गुमराह किया है। अगर उनकी मांगे जल्द पूरी नहीं की गईं, तो 2 सितंबर को मसूरी में मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान संघ उग्र आंदोलन करेगा और शहीद स्थल पर होने वाले सभी सरकारी कार्यक्रमों का विरोध किया जाएगा।

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