धर्मसंसद की अनुमति नहीं मिलने के बाद आयोजन स्थल से बाहर आते डासना पीठाधीश्वर स्वामी यति नरसिंहानंद और अन्य
हरिद्वार। डासना पीठाधीश्वर स्वामी यति नरसिंहानंद आपत्तिजनक भाषणों को लेकर चर्चाओं में रहे हैं। तीन साल पहले दिसंबर 2021 में हरिद्वार धर्म संसद भी विवादित रही थी। गाजियाबाद में 17 से 21 दिसंबर तक आयोजित होने वाले धर्मसंसद को प्रशासनिक अनुमति नहीं मिलने के बाद धर्मनगरी हरिद्वार के जूना अखाड़े में 19 से 21 दिसंबर तक आयोजित होने वाली धर्म संसद को भी प्रशासन ने अनुमति नहीं दी।
हालांकि प्रस्तावित धर्मसंसद से एक रोज पहले तक आयोजन को लेकर सैद्धांतिक सहमति भी बनी लेकिन सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय की ओर से कुछ बिंदुओं पर मांगी गयी जानकारी नहीं दिए जाने पर आखिरकार धर्मसंसद की अनुमति नहीं मिली। जिस पर टेंटू तंबू समेटने को विवश होना पड़ा।
शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर और श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज जूना अखाड़े के भैरव घाट पर 12 दिसंबर से मां बगलामुखी महायज्ञ कर रहे हैं। जिसकी पूर्णाहुति 21 दिसंबर को होगी। इस बीच 13 दिसंबर को उन्होंने शिष्यों के साथ 19 से 21 दिसंबर तक धर्मसंसद आयोजित किए जाने की भी जानकारी दी थी।
इसकी तैयारियां भी कई दिनों से चल रही थी। हालांकि प्रशासनिक अनुमति को उन्होंने बुधवार दोपहर सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय को आवेदन किया। सिटी मजिस्ट्रेट की अनुपस्थिति में एसडीएम अजयवीर सिंह की अगुवायी में पुलिस प्रशासन की टीम ने जूना अखाड़ा पहुंचकर स्वामी यति नरसिंहानंद से भेंट की।
स्वामी यति नरसिंहानंद
इस दौरान वर्ष 2021 की धर्मसंसद के बाद हेट स्पीच के आरोप में दर्ज हुए मुकदमों को लेकर भी बातचीत की। वहीं यति नरसिंहानंद ने अधिकारियों पर धमकाने का आरोप लगाते हुए सीएम को पत्र भेजा। इधर पुलिस और एलआइयू की रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन की ओर से धर्मसंसद की अनुमति नहीं दी गयी। इस संबंध में सुबह नोटिस चस्पा कराने के साथ ही दोपहर 12 बजे तक टेंट तंबू आदि उतरवा दिए गए। एहतियान पुलिस बल भी मौके पर तैनात रहा।
2021 के नफरती भाषण पर देशभर में हुआ था विरोध प्रदर्शन
2021 में स्वामी यति नरसिंहानंद की ओर से आयोजित धर्म संसद में नफरती भाषण दिया था। जिसके वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होने के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुआ। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचख था जिसके बाद यति समेत कई आरोपितों की गिरफतारी भी हुई थी।
साथ ही देश में नफरती भाशण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को लेकर गाइड लाइन भी जारी की थी। कोर्ट ने जिलाधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को सभी एहतियाती कदम उठाए को कहा कि कोई नफरत फैलाने वाला भाषण ना हो।