crimeउत्तरप्रदेश

दुष्कर्म पीड़िता के खून में खतरनाक बैक्टीरिया

Unnao Case उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के खून में खतरनाक बैक्टीरिया, सात में से छह एंटीबायोटिक बेअसर

लखनऊ, रायबरेली सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल उन्नाव की दुष्कर्म पीड़िता के खून में इलाज के दौरान बैक्टीरिया हावी था। इसी कारण ट्रामा सेंटर में उसके ऊपर दवाइयां बेअसर थीं।

उन्नाव के माखी गांव की दुष्कर्म पीड़िता के रक्त में संक्रमण मिला है। रक्त में खतरनाक बैक्टीरिया पाया गया है जिससे उसकी रोगों से लडऩे की क्षमता खत्म हो गई है। इसी कारण उसे केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में दी जाने वाली मुख्य एंटीबायोटिक दवाएं भी बेअसर साबित हो रही हैैं। पीड़िता को लखनऊ के केजीएमयू में 28 जुलाई को भर्ती कराया गया था। मल्टीपल फ्रैक्चर की वजह से उसके शरीर में अंदरूनी रक्तस्राव हुआ। तकरीबन ढाई लीटर खून की कमी की वजह से वह अवचेतन में चली गई।

ट्रॉमा सेंटर में भर्ती होने के दौरान एक अगस्त को कल्चर जांच के लिए सैंपल माइक्रोबायोलॉजी विभाग भेजे जा गए थे। इस बीच पांच अगस्त को उसे एम्स, दिल्ली भेज दिया गया। मंगलवार को कल्चर जांच की रिपोर्ट ट्रॉमा सेंटर के वेंटिलेटर विभाग पहुंची। रिपोर्ट में घातक ब्लड इंफेक्शन की बात कही गई है। उसके खून में एंटिरोकोकस बैक्टीरिया मिला। साथ ही अधिकतर एंटीबायोटिक बेअसर पाई गईं।

रेयर है बैक्टीरिया, निपटना कठिन चुनौती

पीड़िता में एंटिरोकोकस बैक्टीरिया की पुष्टि हुई है। विशेषज्ञों ने इसे मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस करार दिया। विशेषज्ञों के मुताबिक यह बैक्टीरिया काफी रेयर है और मल में पाया जाता है। यह ब्लड में कैसे पहुंचा इसका पता लगाया जाना चाहिए। इस बैक्टीरिया की वजह से दवाएं बेअसर हो जाती हैं।

लखनऊ के केजीएमयू में उन्नाव पीड़िता के कल्चर टेस्ट रिपोर्ट में खून में खतरनाक बैक्टीरिया होने की बात सामने आई है। इसकी वजह से उसे दी जाने वाली प्रमुख सात एंटीबायोटिक दवाओं में से छह बेअसर साबित हो रही हैं। केजीएमयू अब पीड़िता के कल्चर रिपोर्ट को एम्स भेजेगा। ट्रामा सेंटर में इलाज के दौरान पीड़िता का कल्चर टेस्ट किया गया था जिसकी रिपोर्ट सामने आई है। इसकी रिपोर्ट एम्स भेज दी जाएगी।

अब सेप्टीसीमिया से निबटना चुनौती

विशेषज्ञों के मुताबिक, एंटिरोकोकस बैक्टीरिया खतरनाक है। यह मरीजों के खून में प्राय: नहीं पाया जाता है। दावा है कि यह बैक्टीरिया अधिकतर मल (फीकल) में पाया जाता है। ब्लड में बैक्टीरिया होने से अब सेप्टीसीमिया से निबटना चुनौती होगी।

सात में से छह दवाएं फेल

आइसीयू में भर्ती मरीजों को दी जाने वाली प्रमुख एंटीबायोटिक के प्रभाव की टेस्टिंग की गई। लैब में ड्रग सेंसिटीविटी टेस्टिंग में इस दौरान सात एंटीबायोटिक दवाओं की जांच की गई। उसमें से पीड़िता पर छह एंटीबायोटिक बेअसर पाई गईं। इसमें वैंकोमाइसिन, लिवोफ्लॉक्सासिन, एरिथ्रोमाइसिन, जेंटामाइसिन-हाई, सिप्रोफ्लॉक्सासिन, एमिसिलिन जैसी एंटीबायोटिक दवाओं का ड्रग रजिस्टेंस मिला। विशेषज्ञों ने इसे मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस करार दिया।

वेंटीलेटर यूनिट में इंफेक्शन कंट्रोल पर उठे सवाल

ब्लड में बैक्टीरिया पहुंचने पर विशेषज्ञों ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह बैक्टीरिया मरीज के चेस्ट ट्यूब डालने, इंडोटै्रकियल वेंटिलेटर ट्यूब से, दवा देने के लिए डाली गई सेंट्रल लाइन से, यूरिन कैथेटर से व साफ-सफाई का ध्यान न रखने से फैलता है। जाहिर है कि केजीएमयू की वेंटिलेटर यूनिट में इंफेक्शन कंट्रोल का ठोस प्रबंध नहीं है। अभी गत माह भर्ती मरीज में कैंडिडा ऑरिस बैक्टीरिया पाया गया था, जिसकी मौत भी हो गई थी।

एंटिरोकोकस बैक्टीरिया की पुष्टि

पीड़िता में एंटिरोकोकस बैक्टीरिया की पुष्टि हुई है। इसकी रिपोर्ट एम्स भेज दी जाएगी। मल्टी डे्रग रजिस्टेंस की जानकारी नहीं है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button