नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश की पहली महिला आइपीएस अधिकारी और पुडुचेरी की उप-राज्यपाल किरण बेदी के निर्णय को बरकरार रखा है। किरण बेदी ने विधानसभा में तीन विधायकों को मनोनीत किया था। इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल के पास विधायकों को मनोनीत करने का अधिकार है। दरअसल, कांग्रेस ने किरण बेदी के फैसले को चुनौती देते हुए कहा था कि उपराज्यपाल को विधायक मनोनीत करने से पहले सत्ताधारी पार्टी के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए था। लेकिेन उन्होंने ऐसा नहीं किया, जो संविधान के खिलाफ है।
पिछले साल राज्यपाल किरण बेदी ने तीनों विधायक एस.स्वामीनाथन, के.जी.शंकर और वी सेल्वागणपति को विधानसभा सदस्य नामित किया था। इसको लेकर मुख्यमंत्री वी नारायणस्वामी और कांग्रेस नेताओं ने आपत्ति जताई थी, जिसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा। हालांकि मद्रास उच्च न्यायालय ने तीनों के नामांकन को वैध करार दिया था, इसके बावजूद उन्हें 26 मार्च को विधानसभा के अंदर घुसने नहीं दिया गया।
इस नामांकन को विधायक धनालक्ष्मी ने उच्च न्यायालय में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि पुडुचेरी के मुख्यमंत्री से परामर्श किए बिना नियुक्तियां की गईं। हालांकि, 22 मार्च को मद्रास उच्च न्यायालय ने तीनों विधायकों की नियुक्ति को बरकरार रखा। साथ ही, नामांकन को वैध करार दिया, इसके बावजूद उन्हें 26 मार्च को विधानसभा परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया गया।
गौरतलब है कि 26 मार्च को पुडुचेरी में तीन मनोनीत विधायकों वी स्वामीनाथन, केजी शंकर और एस सेल्वागणपति को विधानसभा के बाहर प्रदर्शन करने के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया था। भाजपा विधायकों ने आरोप लगाया था कि विधानसभा अध्यक्ष ने उनको सदन में नहीं जाने दिया। बता दें कि इन विधायकों के मनोनयन पर कांग्रेस पार्टी की ओर से आपत्ति दर्ज कराई गई। विधायकों का कहना था कि उनका नॉमिनेशन संवैधानिक दायरे के अंदर रहकर किया गया है।