उत्तराखण्ड

मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कहा- सहकारिता का ढांचा किया जाएगा तय , साथ ही नियमावली भी बनाई जाएगी

देहरादून। उत्तराखंड सहकारिता विभाग की प्रमुख सहकारी संस्था प्रादेशिक को-आपरेटिव यूनियन (पीसीयू) की प्रथम बोर्ड बैठक में सहकारिता मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कहा कि आगामी विधानसभा सत्र में सहकारिता का ढांचा तय किया जाएगा। इसके अलावा सहकारिता समिति अधिनियम, सहकारिता समिति कर्मचारी सेवा नियमावली लाई जाएगी। मंत्री ने नवनिर्वाचित कार्यकारिणी को शुभकामनाएं दी।

गुरुवार को राजपुर रोड स्थित इंस्टीट्यूट आफ को-आपरेटिव मैनेजमेंट में हुई बैठक में सहकारिता मंत्री ने नवनिर्वाचित बोर्ड को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारिता के प्रशिक्षण के मामलों में यूनियन तेजी लाए और प्रदेशभर में ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करें। उन्होंने बोर्ड को भरोसा दिया कि सरकार उनके कामों को सहयोग प्रदान करेगी। कहा कि सहकारिता विभाग ने पिछले साढ़े चार साल में कई अहम बदलाव किए हैं। को-आपरेटिव बैंक ने एनपीए की अच्छी वसूली की है।

बैंकों में पारदर्शिता के साथ आइबीपीएस के माध्यम से नियुक्तियां कराई गई हैं, प्रदेश में 13 महिला शाखाएं खोली गई हैं। कहा कि उत्तराखंड उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो गया है, जिन्होंने पैक्स कंप्यूटराइजेशन कराया है। इससे न्याय पंचायत स्तर पर सहकारिता विभाग कंप्यूटरीकृत हो गया है। कहा कि उत्तराखंड में 32 लाख लोग को-आपरेटिव से जुड़े हैं। प्रदेश के पांच लाख किसानों को ब्याज मुक्त कर दिया है।

उन्होंने राज्य सहकारी संघ को पर्वतीय क्षेत्रों से मंडवा, झंगोरा, सोयाबीन, राजमा आदि उत्पादों को किसानों से उचित मूल्य पर लेने के लिए निर्देशित किया है। जिससे किसानों की आय बढ़ सके और राज्य सहकारी संघ को बाजार मिल सके। मंत्री ने कहा कि सहकारिता में किसी भी तरीके का भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जहां भी अनियमितताएं मिलेगी वहां जांच कराकर कार्रवाई की जा रही है।

गंगाजल के निर्यात पर लगी मुहर

प्रादेशिक को-आपरेटिव यूनियन के चेयरमैन रामकृष्ण मेहरोत्रा की अध्यक्षता में आयोजित प्रथम बोर्ड बैठक में उत्तराखंड से मिट्टी के बर्तनों में गंगाजल का निर्यात करने पर मुहर लगी। इसके अलावा देहरादून में जल्द ही आइसीसीएमआरटी ट्रेनिंग सेंटर खोला जाएगा। जिसमें को-आपरेटिव सर्विसेस से संबंधित पाठ्यक्रम पढ़ाए जाएंगे और को-आपरेटिव व को-आपरेटिव बैंकों से जुड़े व्यक्तियों को विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। बोर्ड बैठक में यह भी निर्णय हुआ कि यूनियन अपनी गृह पत्रिका प्रति माह प्रकाशित करेगी, जिसमें को-आपरेटिव से संबंधित रिपोर्ट आलेख होगी। इसके लिए यूनियन का छापाखाना लगाने पर भी विचार हुआ।

प्रादेशिक को-आपरेटिव यूनियन के प्रबंध निदेशक एमपी त्रिपाठी ने यूनियन की गतिविधियों को बोर्ड के सम्मुख रखा। उन्होंने कहा कि 2018 में यूनियन का गठन किया गया था। अब तक 163 समितियां जोड़ दी गई है। बोर्ड की मीटिंग में यूनियन का भवन बनाने पर भी विचार हुआ। बैठक में नेशनल को-आपरेटिव यूनियन आफ इंडिया (एनसीयूआइ) के लिए राज्य से निदेशक प्रदीप चौधरी का नाम चयनित किया गया। बैठक में यूनियन के अध्यक्ष रामकृष्ण मेहरोत्रा, उपाध्यक्ष शैलेंद्र सिंह बिष्ट, सुभाष रमोला, प्रदीप चौधरी, मनोज सिंह सामंत, शांति देवी समेत अन्य मौजूद रहे।

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