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मुख्यमंत्री आदित्यनाथ कहते हैं कि हम लड़ेंगे, बढ़ेंगे और जीतेंगे भी, यूपी में ‘न’ के लिए कोई जगह नहीं

मार्च में आगरा के पहले केस से यूपी में कोरोना संक्रमण की दस्तक हुई। तब एक भी मरीज के इलाज की व्यवस्था नहीं थी। उस मरीज को दिल्ली भेजना पड़ा। फिर जिस तेजी से बीमारी ने पैर पसारे, उससे कहीं ज्यादा रफ्तार सरकार की रही। आज कोरोना के मरीजों के लिए देश में सर्वाधिक एक लाख बेड प्रदेश में हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि हम लड़ेंगे, बढ़ेंगे और जीतेंगे भी। यह राम-कृष्ण, गंगा-यमुना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रतिनिधित्व वाला यूपी है, यहां संभावनाओं के लिए ‘न’ की कोई जगह नहीं है।

रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘दैनिक जागरण’ संपादक मंडल के साथ हुए वेबिनार में चुनौतियों के साथ अपनी उपलब्धियां और रणनीति साझा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कारगर रणनीति बनी। अभी प्रतिदिन दस हजार टेस्टिंग की सुविधा हमारे पास हैं। जून के अंत तक बीस हजार ले जाएंगे। आज 31 लैब चल रही हैं। एक सप्ताह में चार लैब और शुरू करने जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ठेला, रेहड़ी, खोमचे वालों को राशन और भरण-पोषण भत्ता, वृद्ध, दिव्यांगों को पेंशन और इसके अलावा दूसरे राज्यों से करीब तीस लाख श्रमिक-कामगारों और राजस्थान के कोटा से 12 हजार छात्रों को सुरक्षित घर पहुंचाने के काम को अपना धर्म बताते हैं। कहते हैं कि सरकार चाहती है कि यूपी वालों को यहीं काम-धंधा मिल जाए। यदि वे बाहर जाते भी हैं तो सरकार उनका पूरा डेटा रखेगी ताकि उनकी सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

सीएम योगी आदित्यनाथ की नजर आगरा में निवेश को आ रही जर्मनी कंपनी की टीटीजेड से जुड़ी समस्याओं से लेकर कानपुर के सीसामऊ नाले और चमड़ा उद्योग पर भी है। पश्चिम में जेवर एयरपोर्ट से पैदा होने वाली संभावनाओं पर नजर है तो प्रदेश की रीजनल कनेक्टिवटी के लिए एचएएल के डोनियर के उडऩे का इंतजार है। वह यह भी बताते हैं कि काशी विश्वनाथ मंदिर से निकलने वाले खराब फूलों से अगरबत्ती बनाकर उनके निर्यात का लक्ष्य भी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना के इस संकट काल में सरकार का संवेदनशील पक्ष सामने रखा है। वह चाहे श्रमिकों की वापसी का मामला हो या फिर कोटा मकें फंसे बच्चों को वापस बुलाने का या फिर निर्धनों, असहायों के जीवन निर्वाह के लिए उनके खातों में धनराशि भेजने का, उन्होंने सभी मसलों पर खुद अगुवाई की। वह यह मानते हैं  कि यह मुश्किल भरा समय है लेकिन साथ ही यह विश्वास भी जताते हैं कि जल्द ही प्रदेश पटरी पर लौटेगा। घर वापसी करने वाले कामगारों की ऊर्जा को वह अपनी पूंजी मानते हैं और कहते हैं कि इनकी ताकत ही प्रदेश को आगे ले जाएगी। वे कहते हैं कि यूपी में संभावनाओं के लिए न नहीं है और इसी वजह से विकास की राहें भी लगातार खुल रही हैैं। वेबिनार में उन्होंने संपादक मंडल से सभी मुद्दों पर खुलकर बात की-

दैनिक जागरण के तरुण गुप्त के सवाल- मुख्यमंत्रीजी, वर्ष के प्रारंभ में नोएडा व लखनऊ में कमिश्नर प्रणाली लागू की गई। क्या आगे चलकर उत्तर प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में भी यह प्रणाली लागू करेंगे।

योगी आदित्यनाथ- देखिए, अभी तो हम लोग कोरोना संकट से लड़ रहे हैं। इससे सफलतापूर्वक पार पाने के बाद हम लोग देखेंगे कि लखनऊ व नोएडा में यह प्रणाली कितनी कारगर रही। इसके बाद आगे की कार्ययोजना बनाएंगे। जो भी होगा, प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हितों को ध्यान में रखकर ही होगा।

सवाल- केंद्र व राज्य में भाजपा की ही सरकार है, भरपूर समन्वय है लेकिन रीजनल कनेक्टिविटी के तहत उत्तर प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में एयरपोर्ट का निर्माण कहीं न कहीं बाधित है। कहीं जमीन का रोड़ा है तो कहीं नागरिक उड्डयन मंत्रालय की उदासीनता। इसी प्रकार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए हाईकोर्ट बेंच का मामला दशकों से पेंडिंग है।

योगी आदित्यनाथ- जब मार्च-17 में हम सत्ता में आए तो केवल दो एयरपोर्ट फंक्शन में थे, अब सात एयरपोर्ट फंक्शन में हैं और 11 एयरपोर्ट पर कार्य चल रहा है। जेवर व कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का काम चल रहा है। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट का कामकाज शुरू होते ही आगरा का काम भी आगे बढ़ेगा। अभी फरवरी में आयोजित डिफेंस एक्सपो में हम लोगों ने एचएएल के साथ समझौता किया है कि यूपी के भीतर एचएएल के डोनियर का इस्तेमाल किया जाए। यह लगभग 20 यात्री ले जा सकता है। बहरहाल, ढेरों संभावनाएं हैं। बहुत जल्द डोनियर की सुविधा आम जन को मिलेगी। रही हाईकोर्ट बेंच की बात तो यदि हाईकोर्ट कोई प्रस्ताव और सुप्रीम कोर्ट उसपर अपनी सहमति देता है तो केंद्र सरकार के निर्देशानुसार राज्य सरकार आगे बढ़ेगी।

सद्गुरु शरण, स्थानीय संपादक, लखनऊ का सवाल- प्रदेश की सरकार किसानों को लेकर अत्यंत संवेदनशील रही है। कोरोना के इस संकटकाल में किसान भी काफी परेशान हैैं? इन्हें सहारा देने के लिए सरकार के पास क्या योजना है?

योगी आदित्यनाथ- किसान सरकार की प्राथमिकता में हैं। हम खाद्य प्रसंस्करण और फार्मा पार्क दोनों को साथ लेकर चल रहे हैैं। खाद्य प्रसंस्करण की इकाइयां अलग-अलग सेक्टरों में स्थापित की जाएंगी। तीन नए फूड पार्क बन रहे हैैं। इससे किसानों के उत्पाद को नया बाजार मिलेगा।

अजय जायसवाल, ब्यूरो प्रमुख, उत्तर प्रदेश का सवाल- कोरोना से राज्य सरकार की वित्तीय सेहत भी बिगड़ी है। सरकार ने अपने खर्चों में कटौती करने के साथ ही पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ाया है। सरकार, जनता को तमाम राहत दे रही है तो क्या पेट्रोल-डीजल पर भी टैक्स घटाया जाएगा? 

योगी आदित्यनाथ- पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने से आम उपभोक्ताओं पर कोई असर नहीं पडऩे वाला है। सरकार इसके लिए पहले से संवेदनशील है। पहले जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़े थे, तब हमने वैट को काफी घटाया था। राजस्व का संकट होने पर हमने अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाए हैं। बढ़ोतरी के बावजूद दूसरे कई राज्यों की तुलना में प्रदेश में पेट्रोल-डीजल के दाम काफी कम हैं। हम जनता के सामने कोई समस्या नहीं आने देंगे।

सवाल- मौजूदा हालात में पंचायत चुनाव की क्या तैयारी है?

योगी आदित्यनाथ-पंचायत चुनाव के बारे में राज्य निर्वाचन आयोग को तय करना है। कोरोना संकट को देखते हुए आयोग की क्या रणनीति बनती है, इस संबंध में कोई ठोस प्रस्ताव सामने आएगा तो सरकार उस पर अवश्य विचार करेगी।

मुकेश कुमार, संपादकीय प्रभारी, वाराणसी का सवाल- वाराणसी में हस्त शिल्प का सालाना कारोबार 1500 करोड़ रुपये का है। इसस से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर तकरीबन पांच लाख लोग जुड़े हुए हैं। आर्थिक पैकेज घोषित होने के बावजूद हस्त शिल्प उद्योग का संकट जस का तस बना हुआ है। कारण यह कि बनारस में हर साल 60 लाख से अधिक देशी-विदेशी सैलानी आते हैं जो हस्त शिल्प के सबसे बड़े ग्राहक हैं। पर्यटकों के नहीं आने से तीर्थ पुरोहित, फूल-माला बेचने वाले, नाविक, गाइड, ऑटो-टैक्सी चालक आदि भी इसी समस्या से जूझ रहे हैं। इस तबके के लिए सरकार क्या सोच रही है?

योगी आदित्यनाथ- हमारी सरकार हर तबके के लिए कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। वाराणसी में टेक्सटाइल पार्क की संभावना भी देखी जा रही है। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर बनेंगे। धाॢमक पर्यटन को बढ़ाने में प्रयागराज कुंभ से बड़ी मदद मिली लेकिन, कोरोना से हमें झटका लगा और इसमें ठहराव आ गया है। पहले हमें अपनी जान बचानी है, फिर आगे के लिए तैयारी करनी है। आठ जून से मॉल, होटल, धर्मस्थल आदि खुलेंगे तो पर्यटकों का आना भी धीरे-धीरे शुरू हो जाएगा। हर क्षेत्र के लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है। इसके अलावा श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर विश्व पटल पर बनारस को नई पहचान देगा। काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं के अॢपत फूल-पत्तियों से अगरबत्ती बनाई जा रही है। आइटीसी के साथ मिलकर शुरू किए गए इस काम से चंदौली जिले में नौगढ़ के पास एक गांव के 116 परिवारों को रोजगार मिला है। ये परिवार हर महीने पांच से दस हजार रुपये कमा रहे हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर में भी वहां से अगरबत्ती आती है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अभी हम वियतनाम जैसे देशों से अगरबत्ती-धूपबत्ती आयात करते हैं। भविष्य में हम इसका निर्यात कर सकेंगे। एक जगह काम शुरू हो चुका है, हर जगह शुरू करेंगे।

जेपी पांडेय, संपादकीय प्रभारी, मेरठ का सवाल -एक समान स्थिति का सामना कर रहे कलेक्टर अपने जिलों के भीतर के कंटेंनमेंट, बफर और अप्रभावित क्षेत्रों की व्याख्या अपने हिसाब से कर रहे हैं। मेरठ में चार वार्ड कंटेंनमेंट जोन के बाहर हैं लेकिन वहां भी बाजार अभी बंद हैं। उद्योग उत्पादन करके भी क्या करेंगे अगर उनके लिए बाजार नहीं उपलब्ध होगा?

योगी आदित्यनाथ- कंटेंनमेंट जोन के लिए केंद्र व राज्य सरकार की स्पष्ट गाइड लाइन है। इसके साथ ही बफर जोन में भी कोई पॉजिटिव केस मिलने पर सील किए जाने वाले क्षेत्र का दायरा संशोधित किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब कोई एक पॉजिटिव केस मिलने पर प्रभावित मजरे को ही प्रतिबंध के दायरे में लाया जाएगा। आपको याद हो कि मेरठ के पहले पॉजिटिव मामले से संक्रमण की लंबी चेन बनी थी। इसके बाद जमातियों के चलते भी कई और लंबी चेन बनीं। इसके चलते वहां की कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी मेरठ में प्रभावी लॉकडाउन की बात की। इसके बाद भी यदि मेरठ में कोई समस्या है तो हम देखेंगे। वैसे, केंद्र सरकार के दिशा निर्देशन में राज्य सरकार द्वारा जो गाइड लाइन जारी की जा रही है, उसका अनुपालन किया जाना चाहिए। हां, यह जरूर है कि दिल्ली एनसीआर के उत्तर प्रदेश से संबद्ध जिलों में आवागमन के लिए उच्च स्तर की सावधानी बरती जाएगी।

भारतीय बसंत कुमार, संपादकीय प्रभारी, मुरादाबाद के सवाल- पीतल नगरी मुरादाबाद में ‘कॉमन फैसिलिटी सेंटर’ (सीएफसी) को बढ़ाए जाने की जरूरत है। ‘एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ हैंडीक्राफ्ट’ ने भी इस बात की जरूरत जताई है कि मुरादाबाद में इस समय संचालित चार सीएफसी कम पड़ते हैं। इस समय चुनौतियां बढ़ी हैं। चीन यहां की तुलना में सस्ता प्रोडक्ट कम कीमत पर बना लेता है, लेकिन मुरादाबाद के प्रोडक्ट में वह तकनीक नहीं शामिल है जो उत्पादन की लागत को घटा दे। इस बारे में सरकार क्या सोचती है ? 

योगी आदित्यनाथ- मुरादाबाद हमारे लिए बहुत बड़ा सेंटर है।  ब्रांज के आइटम की मैपिंग, ब्रांंडिंग, मार्केटिंग और डिजाइनिंंग को वहां हमारी सरकार ने बहुत आगे बढ़ाया है।  सरकार के स्तर पर कोई कमी नहीं रहेगी। सरकार के ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ कार्यक्रम के अंतर्गत मुरादाबाद के पीतल का हस्तशिल्प उत्पादन शामिल है। यह मेरी प्राथमिकता में है। मैं खुद मुरादाबाद जा कर इस क्षेत्र को परख चुका हूं। वहां से छह हजार करोड़ का निर्यात होता है। लॉकडाउन के इस कठिन समय में भी कैसे वहां से निर्यात शुरू हो, इसके लिए मेरी सरकार ने पहल की है। तकनीक की बेहतरी के लिए जो भी प्रस्ताव सरकार के पास आएगा, वह लंबित नहीं रहेगा। उस पर तत्काल निर्णय लेकर वहां के पीतल कारोबारियों को हर संभव सहायता पहुंचाई जाएगी।

सवाल-  सब्जी उत्पादकों को उनके उत्पाद का समुचित दाम इस समय नहीं मिल पा रहा है। अमरोहा और रामपुर के स्वार के किसान टमाटर या हरी मिर्च की कीमत नहीं मिलने से निराश हैं। टमाटर को फेंक देने जैसी स्थिति भी बनी है। ऐसे में क्या मुरादाबाद मंडल के जिलों में भी सरकार फूड प्रोसेसिंग यूनिट के बारे में विचार कर रही है?

योगी आदित्यनाथ- इस क्षेत्र में सरकार लगातार प्रयास कर रही है। यह उनकी प्राथमिकता में है। फूड प्रोसेसिंग इकाई लगाने के लिए उद्यमियों को आमंत्रित किया गया है। जो भी उद्यमी प्रस्ताव लाएंगे, सरकार उन्हेंं भरपूर सहयोग करेगी।

सवाल- मुरादाबाद में कोई सरकारी मेडिकल कॉलेज नहीं है। मेडिकल कॉलेज और सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के लिए शासन के पास प्रस्ताव लंबित है। स्वास्थ्य क्षेत्र में मुरादाबाद की अपेक्षा पूरी होगी?

योगी आदित्यनाथ- सरकार इस पॉलिसी पर काम कर रही है कि जहां कोई भी मेडिकल कॉलेज नहीं है, पहले वहां इसे खोला जाए। मुरादाबाद में निजी मेडिकल कॉलेज इस समय संचालित है और वह बेहतर कार्य कर रहा है। इसलिए वहां किसी नए मेडिकल कॉलेज से पहले सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का निर्माण कराया जाएगा।  इसके लिए प्रस्ताव मंगवा चुके हैं और इस दिशा में निश्चय ही काम शीघ्र शुरू होगा।

राकेश पांडेय, संपादकीय प्रभारी, प्रयागराज का सवाल-सूबे में ऐसे क्या प्रयास हो रहे हैं कि यूपी के कामगारों को रोजगार के लिए अन्य राज्यों का रुख न करना पड़े। प्रयागराज के नैनी में स्वदेशी कॉटन मिल, मऊआइमा व मेजा में कताई मिल जैसी कई उद्योग बंद पड़े हैं जबकि वहां पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। ऐसी बंद इकाइयों को क्यों नहीं शुरू किया जा रहा है।

योगी आदित्यनाथ- उत्तर प्रदेश के सभी कामगारों में अपार क्षमता है। इन्हेंं अपने ही सूबे में काम मिल सके इसके लिए प्रदेश सरकार व्यापक कदम उठा रही है। हम कामगारों की स्किल की मैपिंग करा रहे हैं। यह भी बता दें कि हम सिर्फ स्किल मैपिंग ही नहीं करा रहे हैं बल्कि कामगारों के स्किल डेवलपमेंट की भी व्यवस्था की जा रही है ताकि उन्हेंं अन्य अवसरों से भी जोड़ा जा सके। ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि काम की कमी न होने पाए, सभी को समायोजित कर लिया जाए। प्रयागराज में भी रोजगार के व्यापक अवसर तैयार करने के लिए पहल की जा रही है। वहां सरस्वती हाइटेक सिटी का काम तेजी से हो रहा है। जैसा कि नैनी, मऊआइमा और मेजा की बंद इकाइयों का जिक्र कर रहे हैं, वैसी तमाम बंद और बीमार इकाइयों को लेकर सर्वे शुरू हुआ है। बीमार व बंद इकाइयों को शुरू करने से रोजगार के व्यापक अवसर का सृजन हो सकेगा।

मदन मोहन सिंह, संपादकीय प्रभारी, गोरखपुर का सवाल- गोरखपुर का निर्माणाधीन एम्स अपनी पूरी क्षमता के साथ कब से संचालित होने लगेगा, क्या इसके लिए कोई समय सीमा तय की गई है?

योगी आदित्यनाथ- हम लोगों का प्रयास था कि गोरखपुर का एम्स मार्च 21 में अपनी पूूरी क्षमता के साथ कार्य प्रारंभ कर ले। ओपीडी ब्लॉक को हम प्रारंभ कर चुके हैं। प्रवेश भी शुरू हो चुका है। पिछले साल एमबीबीएस के 50 एडमिशन भी हुए थे। कोरोना के कारण निर्माण में थोड़ा अवरोध आया था, फिर काम शुरू होने जा रहा है। प्रयास है कि निर्धारित समय पर एम्स पूरी क्षमता के साथ प्रारंभ हो। अभी आउटडोर सुविधाएं उपलब्ध है, वहां इनडोर की सुविधाएं भी प्राप्त हों। युद्ध स्तर पर एम्स के कार्य को आगे बढ़ाएंगे। रायबरेली में भी इसी तर्ज पर काम हो रहा है। इसके अतिरिक्त प्रदेश में 29 नए सरकारी मेडिकल कालेज बना रहे हैं। उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य सेवाओं का नया हब बनकर उभरेगा।

नवीन सिंह, संपादकीय प्रभारी, कानपुर के सवाल- कानपुर का चमड़ा उत्पाद घरेलू ही नहीं दुनियाभर की जरूरतें पूरी करता है। पर, यहां की छोटी इकाइयां बहुत संकट में हैं क्योंकि प्रदूषण फैलाने के इल्जाम में इन्हेंं बार-बार बंद करा दिया जाता है। बंदी के कारण इसी साल 5000 करोड़ के ऑर्डर निरस्त हो चुके हैं। इन इकाइयों के अपशिष्ट से गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए प्रधानमंत्री ने 20 एमएलडी के कॉमन इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) का शिलान्यास भी किया था, लेकिन काम चालू नहीं हो पाया। यह कब तक हो सकेगा?

योगी आदित्यनाथ – कानपुर औद्योगिक विकास की संभावनाओं का शहर है। इसे हम बखूबी समझते हैं। हमारी सरकार ने गंगा की अविरलता और निर्मलता को सुनिश्चित किया है। मां गंगा हमारी भारतीयता और आस्था का प्रतीक हैं। नमामि गंगे परियोजना के तहत हमने इसे प्रदूषण से पूरी तरह सुरक्षित रखा है। आपको याद होगा कि सीसामऊ नाला से रोज करोड़ों लीटर सीवरेज वाटर सीधे गंगा में गिरता था। अब एक बूंद नहीं गिरता। जहां तक बात टेनरी की है, हमारी सरकार ने पूरी तरह से क्लीयरेंस दे रखी है। लोग सहमति दें, सरकार हर तरह का सहयोग देना चाहती है। ट्रांसपेरेंसी तकनीक के जरिये ही हो सकती है, लेकिन कुछ लोगों का इससे परहेज करना ही इसमें बड़ी बाधा है। मैं कई बार टेनरी संचालकों से बैठक में कह चुका हूं कि जो इफ्लुएंट गिरता है, उसके बारे में बताइये, नियमानुसार समझौता कीजिए। सीईटीपी के लिए जमीन अधिगृहीत हो चुकी है। सरकार निर्माण लागत का भी अपना हिस्सा दे चुकी है। मेरा कहना है कि किसी भी सूरत में इफ्लुएंट गंगा में नहीं करना चाहिए। यह बेहद जहरीला है। तीन साल पहले गंगा में जाजमऊ नाले के कारण सारे जलीय जीव नष्ट हो गए थे। आज यहां फिर से जलीय जीव आ चुके हैं।

सवाल- बुंदेलखंड में पीने के पानी का संकट फिर शुरू हो चुका है। कोसों दूर से पानी लाने की वैसी ही तस्वीरें सामने आ रही हैं, जैसी पहले आती थीं। हर घर को जल की योजना में 9000 करोड़ रुपये मिलने के बाद भी सिर्फ कार्ययोजना ही बन पाई है। हर घर को पानी पहुंचाने की योजना कब साकार हो सकेगी?

योगी आदित्यनाथ- बुंदेलखंड में पेयजल संकट की समस्या बहुत पुरानी है। जून के पहले या दूसरे हफ्ते में हम पेयजल योजना पर काम शुरू करने जा रहे हैं। बुंदेलखंड के सातों जिलों में एकसाथ योजना चालू होगी। जो संस्था परियोजना चलाएगी, उसे 10 वर्ष तक निर्बाध संचालन की गारंटी भी देनी होगी। डिफेंस कॉरीडोर का आधार बनने जा रहा है बुंदेलखंड। इसके छह में से दो नोड झांसी व चित्रकूट में हैं। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे विकास की नई कहानी लिखने जा रहा है। इससे पर्यटन की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। यहां के लिए जितना काम हमारी तीन साल और केंद्र की छह साल पुरानी सरकार ने किया है, उतना किसी ने नहीं किया।

अवधेश माहेश्वरी, संपादकीय प्रभारी, अलीगढ़ का सवाल- चीन से शिफ्ट हो रहे उद्योगों को भारत में लाने की बात चल रही है। निर्माणाधीन जेवर एयरपोर्ट के पास स्थित अलीगढ़ सहित पश्चिम के जिलों में औद्योगिक विकास की व्यापक संभावनाएं हैं, क्या सरकार की यहां व्यापक विकास के लिए कोई योजना बनी है। क्या चीन की किसी कंपनी ने यहां निवेश के लिए रुचि दिखाई है?

योगी आदित्यनाथ- उत्तर प्रदेश में बहुत संभावनाएं हैं। जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का कार्य बीस साल से लंबित था। हमने इसके निर्माण की कार्रवाई को आगे बढ़ाया है। यह दुनिया की सौ सबसे अच्छी परियोजनाओं में होगी। इसके माध्यम से विकास की अनेक संभावनाएं बनने जा रही हैं। वर्ष 2023 में यह शुरू हो जाएगा तो कुछ वर्षों में ही 1.30 लाख करोड़ रुपये का राजस्व उप्र को मिलेगा। जेवर के आसपास अलग-अलग क्लस्टर विकसित करने की कार्रवाई को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। अलीगढ़ तो हमारे डिफेंस कॉरिडोर का हिस्सा है, वहां डिफेंस से जुड़े तमाम कार्य आगे बढ़ा रहे हैं। जेवर के पास इलेक्ट्रानिक सिटी बसाने जा रहे हैं, जो दुनिया में यूनिक होगी। इसमें निवेश के साथ रोजगार की असीमित संभावनाएंं होंगी। जेवर एयरपोर्ट को सड़क और मेट्रो से भी जोड़ा जाएगा, इसका प्रस्ताव दे चुके हैैं। मंजूरी मिलते ही तेजी से काम होने लगेगा।

जितेंद्र शुक्ल, संपादकीय प्रभारी, बरेली का सवाल-बरेली में तीन औद्योगिक पार्कों के विकास का काम रुका हुआ है। इनमें बहेड़ी का मेगा फूड पार्क, फतेहगंज पश्चिमी के पास टेक्सटाइल पार्क और रजऊ परसपुर में निजी क्षेत्र का इंडस्ट्रियल एरिया शामिल है। इन्हें जल्द विकसित करने का सरकार की क्या योजना है ?  

योगी आदित्यनाथ- बरेली के तीनों पार्कों की अपनी विशेषताएं हैं। सरकार इनके विकास के लिए गंभीर है। तीनों के लिए कार्ययोजना तैयार है। उसे जल्द उपयोग में लाया जाएगा। सरकार अपनी नीतियों के अनुरूप उद्यमियों को सभी सुविधाएं देने को तैयार है। उद्यमी और निवेशक आएं , निवेश करें उद्यम लगाएं। उद्यमी सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाभ लें। इसके पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।

(संजय मिश्र, संपादकीय प्रभारी, नव दुनिया- भोपाल, मध्य प्रदेश का सवाल- मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण  केन-बेतवा परियोजना विभिन्न कारणों से विवाद में फंसी हुई है। मध्य प्रदेश सरकार एवं विपक्ष के बीच अक्सर इसे लेकर बयानबाजी चलती रहती है। पिछली कांग्रेस सरकार में यह प्रचारित किया गया था कि उत्तर प्रदेश सरकार इसे उस तरह से संचालित नहीं करना चाहती है, जैसा समझौता हुआ था। मध्य प्रदेश सरकार का कहना है कि 700 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) पानी का समझौता हुआ था, बाद में उत्तर प्रदेश सरकार ने 910 एमसीएम पानी की मांग कर दी।  मधय प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकारें हैैं तो इतनी महत्वपूर्ण परियोजना का लंबित होना दोनों राज्यों के हित में नहीं है। ऐसे में कब तक यह परियोजना शुरू हो सकती है?

योगी आदित्यनाथ- केन-बेतवा नदियों को जोडऩे की परियोजना महत्वपूर्ण है। खासकर मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए। इस क्षेत्र का बड़ा लाभ होगा। 2005 में जब समझौता हुआ था, यदि उसी को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया होती है, तो हमें कोई आपत्ति नहीं है।  पिछले कुछ महीनों में इस मुद़दे पर भारत सरकार ने दोनों प्रदेशों के बीच समन्वय बनाकर प्रक्रिया को काफी तेजी के साथ आगे बढ़ाया है। कोरोना संकट नहीं होता तो हो सकता है इसका समाधान निकल गया होता। हमें इस परियोजना को आगे बढ़ाना चाहिए।

आशीष व्यास, राज्य संपादक, नई दुनिया, मध्य प्रदेश का सवाल- राम वनगमन पथ को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार मिलकर पूरा करेंगे, तो पर्यटन और पार्टी की विचारधारा के लिहाज से यह बहुत महत्वपूर्ण कदम होगा। इस परियोजना पर दोनों प्रदेश कब तक काम करेंगे और इसे निर्णायक रूप से सफल बनाएंगे?

योगी आदित्यनाथ- भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र और उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश की सरकार पूरी संवेदनशीलता के साथ इस कार्य को आगे बढ़ा रही है। हम लोगों ने इसीलिए अयोध्या से श्रृंगवेरपुर, चित्रकूट के कार्यों को अपनी कार्ययोजना का हिस्सा बनाया है। मध्य प्रदेश सरकार का भी इसमें सकारात्मक रुख है। हम जल्द ही मिलकर इसे आगे बढ़ाएंगे। इसके लिए हमारा एयरपोर्ट भी बन रहा है। चित्रकूट को हमने एक्सप्रसे-वे के साथ जोडऩे की इसीलिए कार्यवाही भी प्रारंभ की है। ये पर्यटन की ही संभावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए है। ढेर सारे पर्यटकों को वहां पर लाकर स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकेंगे।

(उमेश शुक्ल, एसोसिएट एडीटर- आगरा के सवाल- टीटीजेड के चलते कई श्रेणी के उद्योगों की स्थापना में बाधा आती है। हाल ही में चीन से अपना कारोबार समेट आगरा के जूता उद्यमी से करार करने वाली जर्मन की फुटवियर कंपनी वोन वेलेक्स के आगरा आने में टीटीजेड की बाधा है ? सरकार उस दिशा में क्या प्रयास कर रही है ?

योगी आदित्यनाथ- टीटीजेड (ताज ट्रिपेजियम जोन) के चलते नए उद्योग स्थापित होने वाली बाधाओं को जल्द ही दूर कर लिया जाएगा। चीन से अपने संयंत्र हटाकर भारत में लगाने की इच्छुक बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भी इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए वातावरण मुहैया कराया जाएगा। प्रदेश सरकार इसमें उनका पूरा सहयोग करेगी। विशेष संस्कृति की पहचान रखने वाले ब्रज क्षेत्र में जल्द ही विकास की गंगा बहेगी। टीटीजेड के चलते आगरा में सिविल एंक्लेव, आगरा मेट्रो का काम भी बाधित है। होटल समेत तमाम उद्योगों के लगाने या विस्तारित करने पर प्रतिबंध है। सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर सुनवाई अंतिम चरण में है। प्रदेश सरकार शीर्ष कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष पूरी ताकत के साथ रख रही है। लॉकडाउन के चलते प्रक्रिया बाधित हुई है। प्रक्रिया शुरू होते ही प्रदेश सरकार फिर टीटीजेड की बाधाओं को पार करने की दिशा में प्रयास करेगी।

सवाल- ब्रज क्षेत्र में लगभग 170 हैक्टेअर आलू का उत्पादन होता है। यदि यहां आलू प्रसंस्करण केंद्र स्थापित हो जाए तो फसल को कीमत भी मिलेगी और रोजगार भी सृजित होगा?

योगी आदित्यनाथ- प्रदेश सरकार ने इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं। क्षेत्र में आलू के साथ ही मक्का का भी उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। दोनों के दम पर हम एक बड़े बाजार पर कब्जा जमा सकते हैं। लेकिन टीटीजेड के नियम और शर्तों के चलते हमने इसके लिए अलीगढ़ आदि निकटवर्ती जिलों में छोटी यूनिट स्थापित की हैं, भविष्य में इनकी संख्या और बढ़ाई जाएगी।

प्रदीप शुक्ल, राज्य संपादक, झारखंड का सवाल-उत्तर प्रदेश की तर्ज पर झारखंड सरकार ने भी ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ योजना शुरू की है। उत्तर प्रदेश में यह योजना पिछले ढाई सालों से चल रही है। अब तक प्रदेश को कितना लाभ हुआ है?

योगी आदित्यनाथ- इस योजना में स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की असीम संभावनाएं हैैं। ओडीओपी प्रदेश में जनवरी 2018 से शुरू हुई है और इससे प्रदेश में निर्यात को काफी आगे बढ़ाया गया है। इस योजना की वजह से प्रदेश में 30 प्रतिशत निर्यात बढ़ा है। एमएसएमई सेक्टर में इसके जरिए एक लाख 16 हजार करोड़ रुपये का निर्यात हो रहा है। स्थानीय उद्योगों को इसके जरिए आगे बढऩे की राह मिली है।

आशुतोष झा, नेशनल ब्यूरो हेड, दिल्ली का सवाल-यूपी सरकार अच्छा काम कर रही है और कोरोना के इस संकट में आगे बढ़कर कदम उठाए हैं, लेकिन कोरोना काल में रेवेन्यू पर भारी असर पड़ा है। कई राज्य सरकारों के खजाने खाली हैं। वेतन तक का संकट है। उत्तर प्रदेश में खजाने की स्थिति कैसी है और सरकार कैसे इस संकट का सामना करेगी?

योगी आदित्यनाथ- यह उत्तर प्रदेश है। राम कृष्ण और शिव का प्रदेश है। संभावनाओं का प्रदेश है। यूपी में कोई कमी नहीं है। यहां संभावनाओं के लिए न का स्थान नहीं है। मैैं प्रदेश के श्रमिकों की ऊर्जा जानता हूं। उनका उपयोग प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए किया जाएगा। सरकार वित्तीय संकट से निपटने के लिए यहां के लोगों पर कोई बोझ नहीं बढ़ाने जा रही है। अप्रैल में कुछ रेवेन्यू लॉस हुआ था। मई-जून में इसे पूरा कर लिया जाएगा।

कमलेश रघुवंशी, एडीटर, ऑनलाइन, जागरण समूह का सवाल- आपने कुछ दिनों पहले कहा था कि श्रमिकों को उत्तर प्रदेश से ले जाने के लिए दूसरे राज्यों को अनुमति लेनी पड़ेगी। इसके  पीछे आपका मंतव्य क्या था?

योगी आदित्यनाथ – हमें अपने श्रमिकों का हर स्तर पर ध्यान रखना है। कई राज्यों से उनके साथ  दुर्व्यवहार की शिकायतें थीं। अच्छा काम दिलाने के बहाने ले जाते थे और घटिया काम कराए जाते थे। इसीलिए हमने प्रदेश में ही सबको रोजगार उपलब्ध कराने की योजनाएं तैयार की हैं। अधिकांश श्रमिकों को अब यहीं काम मिलेगा।

कुशल कोठियाल, राज्य संपादक, उत्तराखंड का सवाल- उत्तराखंड से जो श्रमिक गए हैं, उनमें अधिकांश यूपी के निर्माण श्रमिक है। यहां ऐसे श्रमिकों की संख्या 15-20 प्रतिशत ही रह गई है। इस संकट के समाधान के लिए राज्य सरकारों में आपस में बातचीत हो सकती है? इसी के साथ एक अन्य सवाल कि संकट के इस दौर में यूपी को बड़े भाई की भूमिका निभाते हुए उत्तराखंड का बकाया एक हजार करोड़ नहीं देना चाहिए? 

योगी आदित्यनाथ- प्रदेश में लगभग तीस लाख श्रमिक आए हैं। इन सभी को रोजगार देंगे। जो बाहर जाना चाहता है, वह जाएगा लेकिन निर्माण श्रमिक यहां के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। हमारी बहुत सी परियोजनाएं चल रही हैैं। इनमें भी काम की संभावनाएं हैं। रही बात दोनों सरकारों के बात करने की। सीएम के साथ दोनों राज्यों की समस्याओं पर बात हो चुकी है। अबतो देनदारियों का निर्वाह भी हो रहा है।

आलोक मिश्र, राज्य संपादक, बिहार का सवाल- कोरोना संकट काल में आपकी भूमिका की काफी सराहना हुई है। सवाल शुरुआती दौर से जुड़ा हुआ है। कोटा में आपने जो बसें भेजीं, उससे यहां की सरकार असहज स्थिति में आई। क्या भाजपा या भाजपा गठबंधन की सरकारें इस पर सामूहिक निर्णय नहीं ले सकती थीं? 

योगी आदित्यनाथ- कोटा में यूपी के 12 हजार बच्चे फंसे थे। वे छोटी उम्र के थे-16 से 20 साल के बीच के। ऐसे में कोई घटना घटित हो जाती तो हमारे माथे पर कलंक लगता। भारत सरकार से निर्देश मिलने के बाद वहां बसें भेजी गईं। यह आवश्यक था। आपद धर्म था, जिसका सरकार ने निर्वाह किया।

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