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मानव तस्करी रोकने के लिए पहली बार बीएसएफ में गठित की एंटी- ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट

मानव तस्करी एक सभ्य समाज में मानवता के लिए कलंक है। महिलाएं और भोली- भाली लड़कियां मानव तस्करी का सर्वाधिक शिकार होती हैं। अक्सर देखा जाता है कि इस तस्करी में शामिल गिरोह व दलालों द्वारा धोखा देकर, डराकर, धमकाकर व भारत के बड़े शहरों में नौकरी का लालच देकर खासकर बांग्लादेश से गरीब व जरूरतमंद लड़कियों व महिलाओं को जोर जबरदस्ती सीमा पार करवा कर अवैध तरीके से लाया जाता है और फिर उन्हें यहां देह व्यापार जैसे धंधे में धकेल दिया जाता है। एक बार इस दलदल में फंसने के बाद उसका जीवन तबाह हो जाता है।

वहीं, पिछले कुछ वर्षों से सीमा पार से मानव तस्करी के मामलों में काफी वृद्धि देखी जा रही है, जिसे देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर इस घिनौने अपराध को पूरी तरह रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पूर्वी कमान के अंतर्गत 15 एंटी- ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट बनाई गई हैं। खास बात यह है कि इसमें सबसे ज्यादा सात एंटी- ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट दक्षिण बंगाल फ्रंटियर, सीमा सुरक्षा बल, कोलकाता में बनाई गई हैं।

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दरअसल, बांग्लादेश से लगने वाले दक्षिण बंगाल बॉर्डर का इलाका मानव तस्करी के लिए सबसे ज्यादा कुख्यात रहा है। यह बॉर्डर इलाका दुनिया के सबसे कठिनतम बॉर्डर में से भी एक है, जिसकी सुरक्षा बेहद ही चुनौतीपूर्ण कार्य है। वहीं, अब मानव तस्करी को रोकने के लिए बीएसएफ द्वारा एंटी- ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट गठित किए जाने के बाद इस धंधे से जुड़े गिरोह व दलालों की खैर नहीं है। बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के प्रवक्ता व डीआइजी सुरजीत सिंह गुलेरिया ने बताया कि यह पहली बार है जब मानव तस्करी रोकने को केंद्र के निर्देश पर बीएसएफ द्वारा एंटी- ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट गठित की गई है। इसमें सबसे ज्यादा सात टीमें दक्षिण बंगाल फ्रंटियर में बनाई गई है। उन्होंने बताया कि इस घिनौने अपराध से पूरी तरह निपटना व इसे दूर करना हमारी प्राथमिकता है। इसी दिशा में यह कदम उठाया गया है।

एंटी- ह्यूमन ट्रैफिकिंग टीम को दिया गया प्रशिक्षण

इधर, मानव तस्करी रोकने को नवगठित एंटी- ह्यूमन ट्रैफिकिंग टीम को इनके कामकाज के बारे में जानकारी देने के लिए 18 और 19 जनवरी को दक्षिण बंगाल फ्रंटियर की ओर से कोलकाता के टैगोर विला स्थित कोलकाता सेक्टर मुख्यालय में दो दिवसीय की कार्यशाला का आयोजन सुरजीत सिंह गुलेरिया, उप महानिरीक्षक (डीआइजी), सीमांत मुख्यालय, दक्षिण बंगाल, बीएसएफ, की अध्यक्षता में किया गया। इसमें बीएसएफ के पूर्व डीआइजी एस के मित्रा, संलाप एनजीओ की प्राधिकारी तापती भौमिक, इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल चेंज कोलकाता से जुड़े जय प्रकाश, वरिष्ठ अधिवक्ता मानवेंद्र मंडल आदि को भी आमंत्रित किया गया था जिन्होंने इस विषय में व्याख्यान प्रस्तुत किए।

गुलेरिया ने बताया कि इस कार्यशाला में बीएसएफ के अन्य अधिकारियों सहित एंटी- ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के 30 अधिकारी, 19 अधीनस्थ अधिकारी और 23 जवान यानी कुल 72 लोग शामिल हुए। इस कार्यशाला में मानव तस्करी के कई मुद्दों पर प्रकाश डाला गया और साथ ही बंगाल के सीमावर्ती इलाकों से होने वाली मानव तस्करी को रोकना और इस अपराधों का संचालन करने वाले अपराधियों को पकडऩा और मानव तस्करी के द्वारा शिकार व्यक्तियों को बचाना आदि इस कार्यशाला में मुख्य विषय थे। जिसमें डीआइजी सुरजीत सिंह गुलेरिया तथा संलाप एनजीओ के सदस्यों द्वारा एंटी- ह्यूमन ट्रैफिकिंग टीम को उनके कामकाज के बारे में विस्तार से बताया।

एक टीम में होंगे 11 सदस्य

डीआइजी गुलेरिया ने बताया कि प्रत्येक एंटी- ह्यूमन ट्रैफिकिंग टीम में 11 सदस्य होंगे जिसमें इंस्पेक्टर टीम लीडर होगा। मानव तस्करी रोकने को इस टीम को उपयुक्त संसाधन व उपकरण भी मुहैया कराए गए हैं। डीआइजी ने बताया कि यह टीम सीमा क्षेत्र में सक्रिय मानव तस्करी गिरोह व दलालों पर कड़ी नजर रखेगी और इसे रोकने के लिए सख्ती से निपटेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस पहल से मानव तस्करी रोकने में हमें काफी मदद मिलेगी और हम इसमें कामयाब होंगे।

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