‘‘अन्धा क्या चाहे-दो आंखें’’ की कहवात को धरातल पर उतारेगा भारतीय वैश्य महासंघ एवं यूनेस्को
(सुरेन्द्र अग्रवाल द्वारा)
देहरादून। दशकों से एक कहावल हम सभी सुनते आ रहे हैं ‘‘अन्धा क्या चाहे- दो आंखें’’। आजादी के सात दशक बाद भी इस कहावत को मूर्त रूप देने का कोई ठोस प्रयास नहीं हुआ है परन्तु अब इस कहावत को धरातल पर उतारने का संकल्प भारतीय वैश्य महासंघ एवं यूनेस्को ने व्यक्त किया है।
-विनय गोयल के उद्बोधन ने अन्तर्मन को छूआ
दून क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में भारतीय वैश्य समाज के प्रदेश अध्यक्ष विनय गोयल (महानगर अध्यक्ष-भाजपा) का उद्बोधन सभी के अन्तर्मन को छू गया। श्री गोयल ने कहा कि जब कभी स्वजन की दुखद मृत्यु हो जाती है तो हजारों रूपयों की कीमत वाले सोने के जेवरात उतार लिये जाते हैं परन्तु ईश्वर ने जो हमें बेशकीमती, अनमोल अंगों (नेत्र, लिवर, किडनी आदि) को जला कर खाक कर देते हैं। इन्हीं अंगों के अभाव में कोई आंखों से जीवन भर देख नहीं पाता है तो किसी की अकाल मौत हो जाती है। इस हेतु यूनेस्को के साथ मिलकर जन जागरण अभियान चलाया जाएगा कि मनुष्य के अंग उसकी जिन्दगी के बाद भी दूसरों के जीवन में खुशियां भर दे, जिसके लिये वह नेत्रदान, जीवनदान की घोषणा करे।
NOTTO पर उपलब्ध है पूरी जानकारी
National Organ and Tissue Transplant Organ नामक केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाईट पर इस सम्बन्ध में पूरी जानकारी उपलब्ध है। जिस पर अंगदान हेतु रजिस्ट्रेशन भी किया जा सकता है।
-रक्तदान पर घर में पड़ी थी डांट
विनय गोयल ने अंगदान के सम्बन्ध में समाज में जागरूकता बढ़ने की आशा व्यक्त करते हुए एक पुराने संस्मरण को बताया कि लगभग 20 वर्ष पूर्व वह किसी परिचित की जरूरत पर रक्त दान करके घर आये तो घर बहुत डांट पड़ी। परन्तु जब उनकी मां को जरूरत पड़ी तब समाज के कई लोगों ने आगे आकर रक्तदान किया तब कहीं जाकर घरवालों की सोच बदली। इसी बदली सोच का परिणाम है कि आज जब किसी को जरूरत पड़ती है तो दर्जनों लोग रक्तदान को आगे आते हैं।
-विवेक अग्रवाल बने सूत्रधार
नेत्रदान-अंगदान के लिये भारतीय वैश्य महासंघ को प्रेरित करने के सूत्रधार विवेक अग्रवाल बने। प्रदेश अध्यक्ष विनय गोयल ने प्रेसवार्ता में बताया कि विवेक अग्रवाल यूनेस्को के अध्यक्ष चुने गये तब उनके साथ हुई वार्ता में यूनेस्को के संयुक्त तत्वाधान में जनजागरण अभियान चलाने का निर्णय लिया गया।
-परिचय सम्मेलन बनेगा ऐतिहासिक क्षण
27 मई को ब्लैसिंग फार्म देहरादून में आयोजित होने वाला चैथा परिचय सम्मेलन जहां दर्जनों जोड़ियों के जुड़ने का साक्षी बनेगा, वहीं नेत्रदान-अंगदान की घोषणा के ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनेगा जहां भारतीय वैश्य महासंघ एवं यूनेस्को से जुड़े सैकड़ों लोग समाज के लिये अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करेंगे और वह नेत्रदान-अंगदान की घोषणा करेंगे।
-सुभाष मित्तल ने की अंगदान की घोषणा
प्रेसवार्ता के दौरान ही उद्योगपति सुभाष मित्तल ने मरणोपरान्त अपने नेत्रदान-अंगदान की घोषणा की। इस अवसर पर श्री मित्तल ने बताया कि वह इस उद्देश्य से महन्त इन्द्रेश अस्पताल से लेकर हिमालयन अस्पताल जौलीग्रान्ट तक हो आये परन्तु कहीं पर भी सन्तोषजनक उत्तर नहीं मिला। अतः नेत्रदान-अंगदान करने वालों के साथ-साथ इस संदर्भ में अस्पतालों में सही व्यवस्था भी होनी आवश्यक है।
-यूनिक हैल्पलाईन नम्बर भी आवश्यक
उद्योगपति सुभाष मित्तल के अनुसार आपात सेवायें- पुलिस, फायर ब्रिगेड, हैल्थ इमरजेन्सी की तर्ज पर अंगदान के सम्बन्ध में यूनिक हैल्पलाईन नम्बर की व्यवस्था भी होनी चाहिए ताकि अंगदान की घोषणा करने वाले की मृत्यु हो जाने पर उसके परिजन सम्बन्धित अस्पताल को तुरन्त सूचित कर सकें।
-प्रमुख उपस्थिति इस प्रकार रही
पत्रकार वार्ता के दौरान भारतीय वैश्य महासंघ एवं यूनेस्को के अनेकों महानुभाव उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से राजेन्द्र प्रसाद गोयल, विनोद गोयल, विवेक अग्रवाल, अजय गर्ग, महावीर गुप्ता, अनु गोयल, राजेश गर्ग, मीडिया प्रभारी संजय गर्ग, तेजेन्दर गर्ग, विनीत गुप्ता, अशोक गुप्ता, संजय अग्रवाल, वरिष्ठ पत्रकार सुधीर गोयल, वरिष्ठ पत्रकार राजकमल गोयल उपस्थित रहे, जबकि यूनेस्को की ओर से विवेक अग्रवाल (बंसल), हरदीप सिंह, अमरपाल सिंह प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। पत्रकार वार्ता के कार्यक्रम का सफल संचालन महानगर महामंत्री विवेक अग्रवाल ने किया।