भारत और नेपाल दोनों देशों के बीच आज एक अहम बैठक
भारत और नेपाल के बीच तल्खियों को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच आज एक अहम बैठक होने जा रही है। पिछले दिनों, भारत और नेपाल के बीच कई मुद्दों पर मतभेद के बाद यह बैठक अहम मानी जा रही है। नेपाल के साथ रिश्तों की फिर से पटरी पर लाने और नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की तल्खी को दूर करने की कोशिश विदेश मंत्रालय ने विभिन्न स्तरों पर शुरु कर दी है।
इसी कड़ी में आज भारत और नेपाल के विदेश सचिवों के बीच एक बैठक आयोजित होनी है। इसमें भारत की तरफ से वहां चलाई जा रही विकास परियोजनाओं के अलावा अन्य द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बात होनी है। आज नेपाल में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी के साथ बातचीत करेंगे। वैसे तो यह मुलाकात आधिकारिक तौर पर भारत की मदद से नेपाल में चलाये जा रहे विकास परियोजनाओं के संदर्भ में है, लेकिन इस मुलाकात में द्विपक्षीय सहयोग के दूसरे मुद्दों पर भी बात होगी।
समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, आज भारत और नेपाल के बीच, नेपाल में चल रही परियोजनाओं की प्रगति का जायजा लेने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक भी आयोजित की जाएगी। इस बैठक में नेपाल में चल रही परियोजनाओं की प्रगति का जायजा लिया जाएगा।
नेपाल की तरफ से भारत के तीन हिस्सों को अपने भौगोलिक क्षेत्र(मानचित्र) में शामिल करने संबंधी फैसले के बाद यह पहला मौका होगा जब दोनों देशों के बीच विदेश मंत्रालय स्तर की वार्ता होगी। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि द्विपक्षीय रिश्तों की समीक्षा को लेकर बैठक आयोजित होगी, जिसमें विकास कार्यो की प्रगति का लेखा जोखा लिया जाएगा। यह बैठक साल 2016 से हमेशा एक निश्चित अंतराल पर हो रही है।
मानचित्र विवाद के बाद पहली बार शीर्ष स्तरीय वार्ता
15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में नेबरहुड फर्स्ट नीति का विस्तार करने के संकेत दिए। इसके बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टेलीफोन करके आजादी की वर्षगांठ की बधाई दी नेपाल ने जब से अपना राजनीतिक मानचित्र बदलकर भारत के तीन हिस्सों पर अपना दावा पेश किया है उसके बाद से यह दोनों देशों के बीच सबसे उच्चस्तरीय बातचीत है।
नेपाल के प्रधानमंत्री ओली की तरफ से किए गए फोन का यह मतलब भी निकाला जा रहा है कि वह भारत को लेकर अपने रुख में बदलाव कर सकते हैं। ओली न सिर्फ नेपाल के नए राजनीतिक नक्शे को लेकर बल्कि हाल ही में भगवान राम के जन्मस्थान के विषय में विवादित बयान दे चुके हैं। पूर्व में भी वह कई बार भारत के बजाय चीन के निकट जाने की बात करते रहे हैं।