डाक्टरों के तबादले में गड़बड़ियों पर भी होगी जल्द कार्रवाई, मुख्यमंत्री योगी ने जांच कमेटी की रिपोर्ट पर मांगी जानकारी
लखनऊ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लोक निर्माण विभाग में स्थानांतरण में गड़बड़ी व भ्रष्टाचार को लेकर लिए गए सख्त एक्शन के बाद अब स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट पर सबकी निगाहें लगी हुई है। डाक्टरों के स्थानांतरण में गड़बड़ियों को लेकर लग रहे आरोपों के चलते उम्मीद जताई जा रही है कि कमेटी की रिपोर्ट आते ही स्वास्थ्य विभाग में भी बड़ा एक्शन लिया जा सकता है। जांच के लिए मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा की अध्यक्षता में बनी कमेटी में अपर मुख्य सचिव, गृह अवनीश अवस्थी व अपर मुख्य सचिव, आबकारी संजय भूसरेड्डी शामिल हैं। माना जा रहा है कि कमेटी दो दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है।
स्वास्थ्य विभाग में प्रांतीय चिकित्सा सेवा (पीएमएस) संवर्ग के डाक्टरों के 30 जून को किए गए स्थानांतरण में काफी गड़बड़ियों सामने आईं थी। डाक्टरों द्वारा उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से शिकायत की गई थी। उप मुख्यमंत्री ने चार जुलाई को अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद को पत्र लिखकर मामले में जवाब-तलब किया था। फिलहाल तबादलों में गड़बड़ियों को लेकर किए जा रहे विरोध के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की जांच कर रिपोर्ट मांगी थी।
प्रदेश में अब तक 500 से अधिक डाक्टर गलत तबादलों के मामले में शिकायत कर चुके हैं। प्रांतीय चिकित्सा सेवा (पीएमएस) संवर्ग के डाक्टरों के तबादलों में गड़बड़ियां सामने आने के बाद अब मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) की तैनाती में भी खेल सामने आए तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में जांच बैठा दी।
तबादलों में ऐसे चिकित्सक जिन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई उन्हें भी कुर्सी सौंप दी गई। गंभीर रूप से बीमार डाक्टर जो सीएमओ नहीं बनना चाहते उन्हें भी तैनाती दे दी गई। यही नहीं सेवानिवृत्त होने में 11 महीने शेष बचे डाक्टर और अपर निदेशक पद पर जिनकी एक महीने बाद प्रोन्नति होनी है, उनको भी सीएमओ बना दिया गया।
इंटरनेट मीडिया पर सीएमओ की तैनाती में हुई गड़बड़ी को लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी संदेह के घेरे में हैं। हाथरस के सीएमओ बनाए गए डा. मंजीत सिंह पर तीन-तीन अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की गई है। गोरखपुर के सीएमओ रहते डा. सुधाकर पांडेय जनप्रतिनिधियों की शिकायत पर सीएम के आदेश पर महोबा में वरिष्ठ परामर्शदाता के पद तैनात किए गए। इसके बाद सीएमओ महोबा बनाए गए और छह माह बाद ही इन्हें सीएमओ झांसी बना दिया गया है।
देवरिया के सीएमओ बनाए गए डा. विमल बैसवार 11 महीने बाद रिटायर हो जाएंगे। सेवानिवृत्त के करीब कहीं कोई चूक न हो इसे लेकर वह परेशान हैं। हृदय रोग से ग्रस्त और अपर निदेशक के पद पर प्रोन्नति प्रस्तावित है। प्रतापगढ़ के सीएमओ बनाए गए डा. गिरेन्द्र मोहन शुक्ला बीते एक साल से अवकाश पर थे। संतकबीर नगर में बीते साल स्थानांतरित होने पर इन्होंने ज्वाइन नहीं किया था और छुट्टी पर चले गए थे। शारीरिक रूप से चलने-फिरने में बेहद कठिनाई का सामना कर रहीं डा. तरन्नुम रजा को संभल का सीएमओ बनाया गया है।
महाराजगंज की सीएमओ बनाई गईं डा. नीना वर्मा पर पूर्व में वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगे हैं। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पद पर रहते हुए उन पर दो-दो जांच बैठाई गई। विधानसभा की कमेटी से भी जांच कराई गई। इसी तरह डा. विनोद कुमार अग्रवाल डीटीओ के पद पर तैनाती के दौरान जनप्रतिनिधियों की शिकायत पर हटाए गए। उन्हें सीएमओ सिद्धार्थनगर बनाया गया। डाक्टरों के बाद अब सीएमओ की तैनाती में भी खेल सामने आने के बाद जांच के आदेश दिए गए थे।