हरीश रावत और कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के बीच इंटरनेट मीडिया में छिड़ी जुबानी जंग, कहा- दाज्यू, आपकी आदत रही सबको परेशान करो-राज करो
देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत और कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के बीच इंटरनेट मीडिया में छिड़ी जुबानी जंग दिलचस्प हो चली है। वार-पलटवार की कड़ी में मंत्री आर्य ने फिर से हरदा पर तंज कसते हुए उनकी तुलना ऐसे बल्द (बैल) से की है, जो अपने आसपास किसी को फटकने नहीं देता और हमेशा खुद का पेट भरने में लगा रहता है। उसकी इस प्रवृत्ति से हारकर सभी उससे दूर हो जाते हैं और आखिर में वह अकेला ही रह जाता है। उन्होंने फेसबुक पर हरदा को संबोधित करते हुए लिखा, ‘दाज्यू, आपकी स्थिति भी मारखूली बल्द जैसी हो रही है। क्या करें दाज्यू आपकी तो आदत रही है ‘सबको परेशान करो-राज करो’। इसी की परिणति है कि आप अकेले चलने को ही मजबूर हैं।’
मंत्री आर्य ने हरदा के उस वक्तव्य पर भी कटाक्ष किया, जिसमें रावत ने कहा कि जब-जब उत्तराखंडियत पर चोट होगी, वे श्मशान से भी आकर खड़े हो जाएंगे। मंत्री ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘..जब-जब मुख्यमंत्री पद की बात होती है, तब-तब आप जवान हो जाते हो। जब-जब जवान होने की कोशिश करते हो, तब-तब आपकी पार्टी के नेता ही कह देते हैं कि अब कांपते हाथ सत्ता नहीं संभाल सकते। दाज्यू, आपकी पार्टी के ही लोग आपका ऐसा उपहास करते हैं तो इससे हमें भी तकलीफ होती है।’ रेखा आर्य ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के लिए हरदा भाजपा नेताओं को उज्याड़ू बल्द जैसे शब्दों से संबोधित करते हैं, उन्हें अपनी पार्टी के नेताओं के लिए भी कोई शब्द ढूंढने चाहिए।’
हरदा ने भी अपने अंदाज में दिया जवाब
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कैबिनेट मंत्री आर्य को अपने ही अंदाज में फेसबुक पर जवाब दिया है। उन्होंने रेखा आर्य को संबोधित अपनी पोस्ट में कहा कि दल बदलने से पहले मैं तुम्हें अपनी बेटी मानता था। वर्ष 2016 का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जिस दिन विधानसभा में शक्ति परीक्षण हुआ, तब मुझे अंतिम क्षण तक विश्वास था कि मेरी सोमेश्वर की बेटी मेरे साथ खड़ी रहेगी। उन्होंने आगे लिखा, ‘खैर, नोटों में बड़ी ताकत होती है, लेकिन आज भी अच्छे कार्य करती हो तो मुझे खुशी होती है। उत्तराखंडी आभूषणों को प्रोत्साहित करने के लिए मैंने प्रतियोगिता की तो तुमने भी सरकारी स्तर पर प्रयास किए। मैंने तुम्हें शबासी दी। तुमने टेक होम राशन में टेंडर कर महापाप कर दिया। पुष्टाहार के मूल उद्देश्य को उथल-पुथल कर दिया।’