नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश और भीमा कोरोगांव हिंसा केस की सुनवाई टल गई है। केस की अगली सुनवाई बुधवार यानि 12 सितंबर को होगी। बुधवार तक इस मामले में गिरफ्तार पांचों आरोपी (वामपंथी विचारक और कवि वरवर राव, वकील सुधा भारद्वाज, मानवाधिकार कार्यकर्ता अरुण फ़रेरा, गौतम नवलखा और वरनॉन गोंज़ाल्विस) हाउस अरेस्ट यानी नज़रबंद रहेंगे।
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच के दौरान पुणे पुलिस ने इसी साल जून में पांच माओवादी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। उनसे पूछताछ के आधार पर मंगलवार को पुणे पुलिस ने छह राज्यों में छापे मार कर पांच और माओवादी कार्यकर्ताओं को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून और आइपीसी के तहत गिरफ्तार किया। इनमें राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सुधा भारद्वाज, मपंथी विचारक वरवर राव, वकील अरुण फरेरा, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और वेरनन गोंजाल्विस शामिल हैं। इतिहासकार रोमिला थापर सहित पांच लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर गिरफ्तारियों को चुनौती दी है।
आतंकवादियों से भी था माओवादी विचारकों का संपर्क’
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में की गई गिरफ्तारियों को महाराष्ट्र पुलिस ने सही बताया। महाराष्ट्र पुलिस के एडीशनल डायरेक्टर जनरल (एडीजी) परमवीर सिंह ने बताया कि छापेमारी के दौरान हमें ऐसे सबूत मिले हैं जो गिरफ्तार आरोपियों और माओवादियों के बीच का संबंध स्पष्ट कर रहे हैं। इसकी पुष्टि होने के बाद ही हमने इनके खिलाफ कार्रवाई की। पुलिस ने बताया कि क्लोन डिवाइसेज पर इंवेस्टीगेशन किया गया ऑरिजिनल डिवाइस अभी भी फॉरेंसिक लैब में है। प्रेस कांफ्रेंस में एडीजी ने कुछ पत्र भी दिखाए जिसमें हथियारों की खरीददारी के बारे में बात की गई है। यह पत्र रोना विल्सन ने कॉमरेड प्रकाश को लिखा था।