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कश्मीर में तैनात सैन्यकर्मियों के नाम पर किसने जारी कराए 3000 बंदूकों के लाइसेंस ?
जयपुर। जम्मू-कश्मीर में पदस्थापित रहने के दौरान सैन्यकर्मियों के नाम पर कथित तौर पर जारी 3000 से अधिक बंदूकों के लाइसेंस राजस्थान पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) की जांच के घेरे में आ गये हैं। इन हथियारों को अवैध तरीके से खरीदने में एक गिरोह की संदिग्ध संलिप्तता के बाद एटीएस ने सेना से इन सैन्यकर्मियों के नामों की जांच करने को कहा है। पुलिस अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि यह मामला पिछले साल नवंबर का है, जब राजस्थान पुलिस के एटीएस ने ‘जुबैदा’ नाम का एक अभियान चलाया और संदिग्ध परिस्थितियों में जम्मू-कश्मीर के विभिन्न जिलों से लाइसेंस जारी कराने में कथित संलिप्तता के लिये अब तक 52 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन लाइसेंसों में 3367 ऐसे हैं, जो कथित तौर पर सैन्यकर्मियों के नाम पर जारी किये गए हैं।
उन्होंने बताया कि पूरी साजिश का खुलासा होने के बाद एटीएस के अधिकारियों ने पाया कि इस तरह के लाइसेंस पिछले एक दशक से अधिक समय में जिलों के उपायुक्तों ने जारी किये और उसका कोई रिकॉर्ड कथित तौर पर नहीं रखा गया। इस संबंध में सेना, भारतीय वायु सेना, नौसेना, तटरक्षक बल, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी), रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) समेत सात अर्द्धसैनिक बलों को पत्र लिखे गए। अधिकारियों ने कहा कि उनमें से ज्यादातर ने जहां उत्तर दे दिया है, वहीं रिमाइंडर भेजे जाने के बावजूद सेना से विस्तृत जवाब की अब भी प्रतीक्षा है।
पहला पत्र नौ नवंबर 2017 को सभी संगठनों को भेजा गया था। इसमें उन कर्मियों की सूची शामिल थी, जिनके नाम पर हथियारों के लाइसेंस जारी किये गए थे। पुलिस ने इन संगठनों से ऐसे नामों की जांच करने और उनसे प्रासंगिक सूचना सौंपने को कहा था। इसमें जम्मू-कश्मीर में कितनी अवधि तक वे पदस्थापित थे इसके बारे में भी जानकारी देने को कहा गया था। जहां ज्यादातर संगठनों ने अपना जवाब देना शुरू कर दिया, वहीं सेना ने भी 375 कर्मियों की सूची सौंपी। हालांकि, उसने यह नहीं बताया कि ये सैन्यकर्मी आतंकवाद प्रभावित राज्य में किस अवधि में तैनात थे। इसके बाद राजस्थान पुलिस ने इस साल 14 फरवरी को एक और पत्र लिखकर सैन्य अधिकारियों का ध्यान मामले की गंभीरता की ओर आकृष्ट कराया।
राजस्थान एटीएस की ओर से सैन्य मुख्यालय में अतिरिक्त महानिदेशक (कार्मिक एवं सेवा) को भेजे गए पत्र में कहा गया, ”हमें सिर्फ 375 कर्मियों के बारे में सूचना मिली है और रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद हमने पाया कि भेजी गई सूचना उस अनुरूप नहीं है, जिसे हम चाहते थे। कुछ सूचना नहीं है।’’ पत्र में कहा गया है, ”चूंकि मामला काफी गंभीर, संवेदनशील और अत्यावश्यक प्रकृति का है, इसलिये आपसे अनुरोध किया जाता है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए यथाशीघ्र सूचना प्रदान करें।’’ पुलिस सूची में जिन 3367 सैन्यकर्मियों के नाम का उल्लेख है उनकी पदस्थापना की अवधि, उनकी पदस्थापना का कार्यकाल कितने वर्षों का रहा और क्या ये कर्मी सेना से सेवानिवृत्त हो गए हैं, इस बारे में जानकारी चाहती थी। इसके बाद सेना ने तकरीबन 2500 कर्मियों की सूची भेजी, लेकिन इस बात का उल्लेख नहीं किया कि उनकी जम्मू-कश्मीर में तैनाती रही है या नहीं।
अधिकारियों ने बताया कि राजस्थान पुलिस ने 24 मार्च को तीसरा पत्र भेजकर कहा कि सूची में सैन्य अधिकारियों से जो सूचना मांगी गई है, वो नहीं दी गई है। एटीएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर किये जाने की शर्त पर कहा, ”हम सैन्य अधिकारियों से अब भी सूचना मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस मामले का सुरक्षा को लेकर प्रभाव है।’’ जहां तक अन्य संगठनों का सवाल है तो नौसेना ने पुलिस को सूचित किया कि जिन 26 नौसेनाकर्मियों की सूची सौंपी गई थी, उसमें से सिर्फ 14 मामले सही थे। अधिकारियों ने कहा कि यह इस बात का पता लगाने में हमारी मदद करेगा कि कैसे शेष 12 लोगों ने खुद को नौसेनाकर्मी के तौर पर पेश करके जम्मू-कश्मीर में लाइसेंस हासिल किया। वायु सेना को एटीएस ने 39 लोगों की सूची भेजी थी, जिसमें से सिर्फ 17 लोग सही पाए गए।
इसी तरह, बीएसएफ को 548 कर्मियों की सूची भेजी गई थी, जिसमें से 471 के रिकॉर्ड हासिल हुए हैं और उनमें से सिर्फ 336 कर्मियों का मामला सही पाया गया। सीआरपीएफ में 424 में से 237 कर्मी सही पाए गए। अधिकारियों ने बताया कि अन्य बलों में 387 में से सिर्फ 154 सही पाए गए। अन्य बलों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएफएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी), तटरक्षक बल, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ), नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) और एनडीआरएफ शामिल हैं।