अजब-गजब

हाउसिंग बोर्ड का गजब कारनामा; 2017 में लगाए गए जीएसटी और ब्याज,अब 2025 में मांग रहे एक साथ पैसे

कुरुक्षेत्र के हाउसिंग बोर्ड के बीपीएल फ्लैट आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए मुसीबत बन गए हैं। 2017 में लगाए गए जीएसटी और उस पर ब्याज की वजह से फ्लैट धारक परेशान हैं। 2019 में भेजे गए नोटिस में डिस्पैच डेट दिसंबर 2019 लिखी थी जबकि जीएसटी 2017 में लगाया गया था। अब 2025 में आकर एक साथ 35 से 80 हजार रुपये मांगे जा रहे हैं।

मगर इसी दौरान हाउसिंग बोर्ड के स्टाफ का कारनामा भी सामने आया। जब एक फ्लैट धारक ने उनसे भेजे गए जीएसटी नोटिस का डिस्पैच पत्र दिखाने को कहा। बोर्ड अधिकारियों के मुताबिक जहां जीएसटी 2017 में लगाया था, वहीं भेजे गए पत्र में डिस्पैच डेट दो साल बाद की दिसंबर 2019 लिखी थी।
इस पर जब बोर्ड संपदा प्रबंधक अमन लोहचब से पूछा गया तो वह भी जवाब नहीं दे पाए। फ्लैट धारकों ने आरोप लगाया कि बोर्ड ने 2017 में जीएसटी लगाया, दो साल बाद जाकर 2019 में पत्र भेजने का रिकॉर्ड दिखाया और वर्ष 2025 में आकर एक साथ 35 से 80 हजार रुपये मांग रहे हैं। फ्लैट धारकों ने कहा कि यह कैसे बीपीएल फ्लैट हैं जिनकी कीमत से अधिक उन पर ब्याज लगाया जा रहा है।
शहर निवासी महेश शर्मा ने बताया कि उनके पिता स्वर्गीय गंगाराम ने बीपीएल फ्लैट भरा था, जिसके निकलने पर पूरे परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा था, मगर हाउसिंग बोर्ड के फ्लैट की कीमत से कहीं अधिक तो ब्याज है। एक आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति से अगर गलती से भी एक किश्त छूट जाए तो बोर्ड ब्याज पर ब्याज लगाकर उसे हजारों रुपये में पहुंचा देता है। उनके साथ भी ऐसा ही हुआ।
उन्होंने बताया कि पहली 1600 रुपये की एक किश्त पिता नहीं भर पाए थे, जिसके बाद ब्याज लगाकर उस किश्त के 39 हजार रुपये बना दिए गए हैं। जबकि किसी ने उन्हें किश्त नहीं भरे जाने की बात आज तक नहीं बताई थी। इतना ही नहीं अधिकारियों ने तो जीएसटी लगाने का नोटिस भेजने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया, जबकि पत्र फ्लैट धारकों को मिले ही नही
ऐसा उनके साथ नहीं बल्कि सैकड़ों फ्लैट धारकों के साथ हुआ है। जब बोर्ड के अधिकारियों से पत्र रिसीव करने वाले के हस्ताक्षर दिखाने की बात कही गई तो वह कोई जवाब नहीं दे पाए।
उन्होंने उनकी मांग को ऊपर अधिकारियों तक पहुंचाने की बात कही तो स्टाफ ने जवाब दिया कि 119 केस इसी के चल रहे हैं आप भी कर दो 120 हो जाएंगे उन्हें तो अधिवक्ता को वेतन देना ही है। एक केस और सही। अब आर्थिक रूप से कमजोर परिवार जो पूरा दिन दो जून रोटी की जुगत में लगता रहता है वह क्या करेगा ? मगर बोर्ड इसी बात का फायदा उठा रहा है।
फ्लैट धारक राजपाल सेक्टर तीन स्थित हाउसिंग बोर्ड कार्यालय में पहुंचे। जहां उन्होंने जागरण संवाददाता के सामने बोर्ड संपदा प्रबंधक से भेजे गए नोटिस की प्रति दिखाने की बात कही। नोटिस देखने के बाद संवाददाता ने जब कहा कि संपदा प्रबंधक इस पर तो नौ दिसंबर 2019 की डिस्पैच तारीख लिखी हुई है।
तभी राजपाल बोले देखो जनाब कितनी धूल झोंकी जा रही है। वर्ष 2017 में जीएसटी लगाया गया, नोटिस दो साल बाद भेजने का रिकॉर्ड रखा हुआ है और ब्याज समेत राशि अब 2025 में आकर मांग रहे हैं। वह तो हर एक दो महीने बाद आकर भरी हुई किश्त का रिकार्ड मिलवाने के लिए आते थे।
उन्हें तब क्यों नहीं जीएसटी लगाने की जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि सरकार इस पर संज्ञान ले नहीं तो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को ऐसे ही ठगा जाता रहेगा।

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