त्रिवेंद्र सरकार ने 2017 में उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम व्यवस्था 1950) में बदलाव किया था, अब धामी सरकार करेगी उसकी समीक्षा
त्रिवेंद्र सरकार ने औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए 2017 में उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम व्यवस्था 1950) में बदलाव किया था, अब धामी सरकार उसकी समीक्षा करेगी। उन्होंने कहा कि समीक्षा के बाद इसके प्रावधान हटाए जाएंगे।
त्रिवेंद्र सरकार ने 2017-18 में यह तर्क दिया था कि तराई क्षेत्रों में औद्योगिक प्रतिष्ठान, पर्यटन गतिविधियों, चिकित्सा तथा चिकित्सा शिक्षा के विकास के लिए निर्धारित सीमा से अधिक भूमि की मांग की जा रही है। कई प्रस्ताव इसी कारण लंबित हैं। इसके लिए उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम व्यवस्था 1950) में परिवर्तन किया गया था। उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 (अनुकलन एवं उपरांतरण आदेश 2001) (संशोधन) अध्यादेश 2018 को मंजूरी दी थी। अधिनियम की धारा 154 (4) (3) (क) में बदलाव किया गया, जिससे कृषि और औद्यानिकी की भूमि को उद्योग स्थापित करने के लिए खरीदा जा सकता है
त्रिवेंद्र सरकार ने उद्योगों के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि के लिए 12.5 एकड़ की सीलिंग हटा दी थी। किसान अपनी भूमि का उपयोग उद्योग लगाने के प्रयोजन से बिना राजस्व की अनुमति लिए कर सकता है। लैंड यूज बदलने के लिए अधिनियम की धारा 143 के तहत पटवारी से लेकर एसडीएम तक चक्कर काटने की औपचारिकताएं अध्यादेश प्रभावी होते ही खत्म हो गईं थीं। राजस्व विभाग की अधिकारों में कटौती कर पर्वतीय क्षेत्रों के धारा 143 को 143 (क) में परिवर्तित किया गया था।
नौ पर्वतीय जिलों में उद्योगों के लिए 12.5 एकड़ से अधिक खरीद की व्यवस्था पहले से थी लेकिन त्रिवेंद्र सरकार में उसमें मामूली संशोधन करते हुए कृषि एवं फल प्रसंस्करण, औद्योगिक हैंप एवं प्रसंस्करण, चाय बगान प्रसंस्करण तथा वैकल्पिक ऊर्जा परियोजना के लिए किसी व्यक्ति, संस्था, समिति, न्यास, फर्म, कंपनी तथा स्वयं सहायता समूह को भूमि लीज या पट्टे पर दिए जाने के लिए संशोधन किया गया था।
जब से त्रिवेंद्र सरकार ने ये नियम बदले थे, तब से ही इस पर विवाद होता आया है। धामी सरकार ने इसका संज्ञान लिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि इस बदलाव के सकारात्मक परिणाम नहीं आए हैं। लिहाजा, इसकी समीक्षा की जाएगी और इसके प्रावधान समाप्त होंगे।