उत्तराखण्ड

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक कर्ज का आंकड़ा वर्ष 2022-23 में बढ़कर 72 हजार 860 करोड़ रुपये जा पहुंचा

देहरादून। प्रदेश पर कर्ज का मर्ज निरंतर बढ़ता जा रहा है। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक यह आंकड़ा वर्ष 2022-23 में बढ़कर 72 हजार 860 करोड़ रुपये जा पहुंचा है। हालांकि, प्रदेश की अर्थव्यवस्था के बढ़ते आकार और ऋणों के पुनर्भुगतान में तेजी के चलते बीते पांच वर्षों में जीएसडीपी के मुकाबले ऋण का ग्राफ सबसे कम 24.08 प्रतिशत रहा है।

कैग की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018-19 में प्रदेश पर कुल कर्ज 58 हजार करोड़ रुपये के करीब था। वहीं, वर्ष 2022-23 में 25.53 प्रतिशत की वृद्धि के साथ यह आंकड़ा 72 हजार करोड़ रुपये को पार कर गया है। कैग के मुताबिक, राज्य सरकार के ऋणों में मुख्य रूप से लोक ऋण (मार्केट लोन) शामिल है। वर्तमान में यह आंकड़ा 56 हजार 510 करोड़ रुपये है।

ऋण में बढ़ोतरी के साथ देनदारी का ग्राफ भी उसी अनुपात में बढ़ रहा है। अच्छी बात यह है कि ऋण की बढ़ती देनदारियों के बीच सरकार ऋणों के पुनर्भुगतान में भी तेजी लाने के प्रयास कर रही है। साथ ही प्राप्तियों में बढ़ोतरी के प्रयास भी किए जा रहे हैं। वर्ष 2018-19 में ऋणों के पुनर्भुगतान/प्राप्तियों का जो आंकड़ा 72.07 प्रतिशत पर सिमटा था, वह बढ़कर 91.84 प्रतिशत पर पहुंच गया है।

इस तरह बढ़ रहा कर्ज का ग्राफ
वर्ष, कर्ज (करोड़ रु. में), जीएसडीपी का प्रतिशत
2018-19, 58039, 25. 20
2019-20, 65982, 27. 58
2020-21, 71435, 30.16
2021-22, 71374, 26.23
2022-23, 72860, 24.08
घट रही ऋण लेने की प्रवृत्ति

प्रदेश की वित्तीय तस्वीर इस तरफ भी इशारा करती है कि समय के साथ न सिर्फ ऋण लेने (लोक ऋण/आंतरिक ऋण) की प्रवृत्ति घट रही है, बल्कि पुराने ऋण के भुगतान में भी तेजी लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वर्ष 2022-23 में सरकार ने जहां 3817 करोड़ रुपये का ऋण लिया, वहीं 4017 रुपये का भुगतान ऋण चुकाने में किया।

लिए गए आंतरिक ऋण और पुनर्भुगतान की स्थिति
वर्ष, लिया ऋण, चुकाया ऋण
2018-19, 7170, 2013
2019-20, 6078, 2084
2020-21, 6728, 2863
2021-22, 3787, 3330
2022-23, 3817, 4017
वर्ष 2031 तक चुकाने होंगे 56 हजार करोड़

लोक ऋणों में शामिल आंतरिक और भारत सरकार से प्राप्त राशि को चुकता करने की स्थिति में कैग की रिपोर्ट में सामने आई है। इसमें एक वर्ष से लेकर सात वर्ष से अधिक की परिपक्वता वाले ऋण शामिल हैं।

सभी प्रकार के लोक ऋणों में राज्य सरकार में वर्ष 2030-31 तक 56 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि अदा करनी होगी। हर साल यह पुनर्भुगतान 3200 करोड़ रुपये से लेकर करीब 14 हजार करोड़ रुपये के बीच रहेगा।

इस तरह चुकाया जाएगा ऋण (राशि करोड़ रु. में)
वर्ष, ऋण पुनर्भुगतान, ऋण का प्रतिशत
2023-24 तक, 3316.63, 5.87
2024-25 एवं 2026 तक, 7859, 13.91
2026-27 एवं 2028 तक, 13067, 23.12
2028-29 एवं 2030 तक, 12249, 21.68
2030-31 से आगे, 14577, 9.63
अन्य, 5440, 9.63
वर्ष 2033 तक ब्याज में ही चले जाएंगे 19 हजार करोड़

राज्य सरकार जरूरत के मुताबिक बाजार/वित्तीय संस्थानों से भी ऋण लेती हैं। इनमें से मुख्य रूप से एलआइसी, जीआइसी, एसबीआइ, नाबार्ड, एनसीडीसी जैसे संस्थान शामिल हैं। सरकार ने जो भी ऋण लिया है, उसे हर वर्ष ब्याज के साथ चुकता किया जाता है।

कैग की रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि वर्ष 2023-24 से लेकर 2032-33 तक 44 हजार 910 करोड़ रुपये का ऋण चुकता किया जाना है। जिस पर 19 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि ब्याज के रूप में भी अदा करनी होगी।

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