लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार मिश्रा संभालेंगे आइएमए की कमान
देहरादून: ले. जनरल विजय कुमार मिश्रा भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) के नए कमांडेंट बने हैं। उन्होंने गुरुवार को 51वें कमांडेंट के तौर पर अकादमी की कमान संभाली है।
इससे पहले ले. जनरल हरिंदर सिंह इस पद पर तैनात थे जो कि 40 साल की सैन्य सेवा के बाद गत दिवस सेवानिवृत्त हो गए हैं। अकादमी के सैन्य अधिकारियों, प्रशिक्षकों, जवानों व कैडेटों ने नए समादेशक ले. जनरल मिश्रा का गर्मजोशी से स्वागत किया।
पदभार ग्रहण करने से पहले उन्होंने अकादमी स्थित युद्ध स्मारक पहुंचकर देश की रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने हुए सैन्य अफसरों को नमन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। एनडीए के बाद आइएमए से प्री-मिलिट्री ट्रेनिंग पूरी कर वह दिसंबर 1985 में सैन्य अकादमी से पास आउट होकर जम्मू-कश्मीर रायफल्स में कमीशंड हुए थे।
इस दौरान वह सेना में अहम पदों पर तैनात रहे। आतंक प्रभावित जम्मू-कश्मीर से लेकर राष्ट्रीय रायफल्स, त्रिपुरा, अरुणाचल आदि क्षेत्रों के आपरेशनल एरिया में उन्होंने सैन्य टुकड़ियों को कमान किया है।
उत्तर पूर्वी राज्यों में माउंटेन डिविजन के जनरल आफिसर कमांडिंग पद पर भी वह तैनात रहे हैं। आइएमए की कामन संभालने से पहले ले. जनरल मिश्रा दिल्ली एरिया के जीओसी रहे हैं।
धूमधाम से मनाया बटालियन का 41वां स्थापना दिवस
14वीं गढ़वाल रायफल्स के पूर्व सैनिकों ने गुरुवार को बटालियन का 41वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया। जोगीवाला स्थित एक वेडिंग प्वाइंट में आयोजित समारोह में सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।
उन्होंने दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया और सभी पूर्व सैनिकों व उनके पारिवारिक सदस्यों को स्थापना दिवस की बधाई दी। समारोह में वीरता पदक विजेता पूर्व सैनिकों व वीर नारियों को सम्मानित भी किया गया। वहीं, देश की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों की वीरता को याद कर दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
सैनिक कल्याण मंत्री ने कहा कि सैनिकों के सम्मान और उनके कल्याण के लिए केंद्र और राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है। बलिदानी सैनिकों को सम्मान देने के लिए उत्तराखंड में सैन्यधाम का निर्माण किया जा रहा है।
यह परिकल्पना देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की है। उन्होंने सैन्यधाम को पांचवें धाम के रूप में स्थापित करने की बात भी कही है। सैन्य धाम का मुख्य प्रवेश द्वार देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के नाम पर बनाया जा रहा है।