पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा- उत्तराखंड में भी एक दिन अनुसूचित जाति के व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहते हैं
देहरादून पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने कहा कि वह उत्तराखंड में भी एक दिन अनुसूचित जाति के व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहते हैं। पार्टी इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम करेगी।
रावत ने यह टिप्पणी हरिद्वार में परिवर्तन यात्रा को संबोधित करते हुए की। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि पार्टी ने पंजाब में अनुसूचित जाति से एक बेटे को मुख्यमंत्री बनाकर इतिहास रच दिया है। इतिहास में ऐसे अवसर कम आते हैं। जब आते हैं तो अनुकरणीय होते हैं। उन्होंने कहा कि यह इतिहास सिर्फ पंजाब में नहीं, बल्कि पूरे उत्तरी भारत में रचा गया है। वह भगवान और मां गंगा से प्रार्थना करते हैं कि उनके जीवन में भी यह क्षण आए जब वह एक अनुसूचित जाति व शिल्पकार के बेटे को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिले। अवसर मिलेगा तो हम प्रतिदान देंगे। कांग्रेस इस वर्ग की आकांक्षा के साथ चलेगी।
गोदियाल ने किया हरदा का समर्थन
उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी हरीश रावत के इस वक्तव्य का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि दबे-कुचले वर्ग की कांग्रेस के साथ हमेशा से हमदर्दी रही है। किसी भी वर्ग से ऐसे व्यक्ति को मौका मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि हरीश रावत हमारे नेता हैं। उन्होंने जो कहा है, उसके सिर्फ सियासत के नजरिये से निहितार्थ नहीं निकाले जाने चाहिए।
हरीश रावत फिर पहुंचे दिल्ली
पूर्व मुख्यमंत्री व पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत फिर दिल्ली चले गए। पंजाब मंत्रिमंडल पर विचार होने के चलते उनका कार्यक्रम तय हुआ है।
गलती नहीं, फिर भी 2017 में हार का ठीकरा फोड़ा : किशोर
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि 2017 के विधानसभा चुनाव में हार के कारणों का अभी तक सही तरीके से विवेचना नहीं की गई है। इसकी विवेचना होनी चाहिए। बतौर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उन पर हार का ठीकरा फोड़ा गया, जबकि उनकी कोई गलती नहीं थी। नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी 2017 के विधानसभा चुनाव में मिली हार को लेकर पार्टी पर अंगुली उठाई थी। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने इस पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि 2016 में प्रदेश कांग्रेस संगठन बहुत मजबूत स्थिति में था। पार्टी ने नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के शिकंजे से पार्टी को बचाने का काम किया। उन्होंने कहा कि 2017 का चुनाव हारे, इसकी सही विवेचना नहीं हो पाई है। 2022 का चुनाव सामने है तो विवेचना होनी ही चाहिए। साजिश कर हार का ठीकरा उनके सिर पर फोड़ा गया। 2017 के चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस को 33 फीसद से ज्यादा वोट मिले तो इसकी वजह पार्टी संगठन रहा।